शिक्षा के अधिकार के मसले पर सर्वोच्च न्यायालय की फटकार बनेगी नजीर! : स्कूलों की मनमानी के सामने अब तक नतमस्तक रहा है शिक्षा महकमा, करीब एक हजार गरीब बच्चों को निजी स्कूल में दाखिले का इंतजार, प्रशासन की सख्ती का कुछ हुआ है असर, एक दर्जन से अधिक स्कूलों को दी जा चुकी है नोटिस
जागरण संवाददाता, लखनऊ : गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार शायद राजधानी के निजी स्कूलों में दाखिलों का रास्ता खोल सके। अगर शिक्षा विभाग ने ढुलमुल रवैया नहीं अपनाया तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला दूसरे स्कूलों के लिए नजीर बन सकता है। 1 शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क दाखिले की व्यवस्था है। आरटीई के तहत गरीब बच्चों को निर्धारित 25 प्रतिशत सीटों पर दाखिला देना ही होगा। इस संदर्भ में कुल सीटों की संख्या 25 हजार है। बेहद गंभीर बात रही कि बेसिक शिक्षा विभाग को 25 हजार सीटों के सापेक्ष महज 3400 ही आवेदन मिल सके। इससे स्पष्ट होता है कि दुर्बल आय बर्ग के अधिक से अधिक बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाए जाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई गई। विभाग ने 3400 बच्चों में से 2500 बच्चों को पात्र बताया। उसमें से अब तक सभी पात्र बच्चों को बेसिक शिक्षा विभाग दाखिला दिलाने में नाकाम साबित रहा। जिलाधिकारी राजशेखर ने स्कूलों पर नकेल कसी तो कुछ स्कूलों ने रास्ते खोले, लेकिन तमाम मनमानी पर उतारू हैं।
रसूख से घबराता है बेसिक शिक्षा विभाग : दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को 25 जुलाई तक दाखिला लेने का समय है। व्यवस्था के तहत यदि निजी स्कूल द्वारा अभिभावक से किसी भी तरह का शुल्क मांगा जाता है तो बेसिक शिक्षा विभाग को संबंधित स्कूल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करना होगा। बावजूद इसके अधिकांश निजी स्कूलों द्वारा दाखिले में आनाकानी के मामलों में बेसिक शिक्षा विभाग मौन मुद्रा में रहा। यही कारण रहा जिससे निजी स्कूलों का मनमाना रवैया बढ़ता गया। साफ है कि निजी स्कूलों के ऊंचे रसूख से बेसिक शिक्षा विभाग कार्यवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार :-
जिलाधिकारी राजशेखर का कहना है कि जितने भी पात्र बच्चे हैं उनका दाखिला कराया जाएगा। बच्चों के नाम स्कूलों को भेजे गए हैं। एक दर्जन से अधिक स्कूलों को नोटिस भी दी गयी है। स्कूलों ने दाखिला नहीं लिया तो उचित कार्रवाई की जाएगी। वहीं इस बावत बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) प्रवीण मणि त्रिपाठी से बात करने का कई बार प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना ही मुनासिब नहीं समझा।
दुर्बल वर्ग के बच्चों की श्रेणी
🔵 जिसके माता-पिता या सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्गत गरीबी रेखा के नीचे के कार्डधारक हैं,अथवा ग्राम्य विकास की सूची में सम्मिलित हैं।
🔴 जिसके माता पिता या संरक्षक विकलांगता/ वृद्धावस्था/ विधवा पेंशन प्राप्तकर्ता हैं।
🌕 जिसके माता-पिता या संरक्षक की अधिकतम वार्षिक आय एक लाख रूपए तक हो।
🌑 ऐसे माता पिता या अभिभावक जो एचआईवी अथवा कैंसर से पीड़ित हैं, का बालक अथवा ऐसा बालक जो अनाथ हैं, भी अलाभित समूह का बालक होगा।
🔴 कुल सीटों की संख्या-250001
🌕 आवेदन करने वालों की संख्या-3400
🌑 पात्रों की संख्या-2500
🔵 दाखिला पाने वालों की संख्या-1500
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📌 RTE : शिक्षा के अधिकार के मसले पर सर्वोच्च न्यायालय की फटकार बनेगी नजीर! : स्कूलों की मनमानी के सामने अब तक नतमस्तक रहा है शिक्षा महकमा, करीब एक हजार गरीब बच्चों को निजी स्कूल में दाखिले का इंतजार, प्रशासन की सख्ती का कुछ हुआ है असर, एक दर्जन से अधिक स्कूलों को दी जा चुकी है नोटिस
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