तीन माह बीते, अभी चल रही पुस्तकों की छपाई : अप्रैल से शुरू हुआ शैक्षिक सत्र, शिक्षा अधिकारियों का दावा, सितंबर में मिल जाएंगी पाठ्य पुस्तकें
इलाहाबाद : कहते हैं सामर्थ के अनुरूप ही नकल करनी चाहिए। उचित योग्यता व संसाधन न होने से कई बार नकल परेशानी का सबब बन जाती है। परिषदीय व माध्यमिक के विद्यार्थियों के साथ इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है। अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा छात्र-छात्रएं भुगत रहे हैं। सीबीएसई और आइसीएसई तर्ज पर परिषदीय व माध्यमिक स्कूलों का शैक्षिक सत्र अप्रैल से कर दिया गया। लेकिन संसाधन ना के बराबर है। स्थिति यह है कि अभी तक बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं हो पायी। अभी उसकी छपाई का चल रही है, जिसके दो माह में पूरा होने की संभावना है।
परिषदीय व माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को निश्शुल्क पुस्तक मुहैया कराई जाती है। इसके लिए दस जनवरी को शासन ने प्रकाशकों के लिए टेंडर निकाला। मार्च में किताबों की छपाई शुरू करके मई के अंत और जून माह के द्वितीय सप्ताह तक शिक्षा विभाग को किताबें उपलब्ध कराने की योजना थी। अचानक पहले के टेंडर को निरस्त करके उसे नए सिरे से कराया गया। अफसरों का कहना है कि कागज की क्वालिटी अच्छी नहीं होने के चलते किताब छपाई का टेंडर निरस्त कर दिया गया। फिर नए सिरे से 15 मई को छपाई टेंडर फाइनल हुआ। अब पुस्तक छपाई चल रही है। इधर अवकाश के बाद स्कूल फिर से खुल गए हैं। अब बिन किताब विद्यार्थी क्या पढ़ेंगे यह अफसर ही बता सकते हैं।
बीएसए जयकरन यादव का कहना है कि किताबों कब आएंगी उसकी जानकारी नही है। हां, पुरानी किताबों से पढ़ाई शुरू हो गई है। इधर, राजकीय बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या संगीता सिंह कहती हैं कि पुरानी किताबों से पढ़ाई कराई जा रही है।
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