मन की बात में आज मैं बेसिक शिक्षा के बारे में बात करना चाहता हूं बेसिक शिक्षा एक बच्चे का मूल अधिकार है जिसके तहत एक बच्चा अपनी वह सारी क्रियाएं करता है जो पूरे जीवन भर वह क्रिया नहीं कर सकता लेकिन आज के 21वीं सदी में क्या वास्तव में बच्चा उन मूलभूत क्रियाओं को कर रहा है जिससे बच्चे का मानसिक ,व्यवहारिक ,बोद्धिक, ज्ञान का विकास होता है शायद नहीं क्योंकि इस प्रकार की व्यवस्था आज बेसिक शिक्षा में हो गई है कि बच्चे को वह मूलभूत आवश्यकताएं प्राप्त नहीं हो रही है जहां पर विद्यालय की रूपरेखा एकदम लचर-पचर है और एक या दो शिक्षक ही शिक्षण कार्य करते हैं यह शिक्षक की कमी नहीं है बल्कि इस व्यवस्था की कमी है क्योंकि शिक्षक तो अपना कार्य बखूबी कर रहा है कभी शिक्षक से खाना बनवाया जाता है तो कभी शिक्षक से बीएलओ की ड्यूटी करवाई जाती है कभी शिक्षक से भवन निर्माण कराया जाता है कभी चुनाव में उसकी ड्यूटी लग जाती है क्या इन सब का दोषी एक शिक्षक है शिक्षक इन सबका दोषी नहीं है दोषी है वह व्यवस्था जिस व्यवस्था में हम लोग शामिल है ना बच्चे को बैठने के लिए उचित साधन है ना ही कमरे की व्यवस्था है यदि कमरे भी है तो वह टूटे-फूटे हैं और आज के समय में बच्चा उन टूटी-फूटी चटाई का पर बैठता है जिनमें हम लोगो को बैठने में भी शर्म महसूस होगी एक विद्यालय का स्वच्छ वातावरण शिक्षा में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यदि वातावरण ही सही नहीं है तो वहां पर शिक्षा उचित रुप से नहीं दी जा सकती क्योंकि शिक्षा देने के लिए भी एक उचित वातावरण की आवश्यकता पड़ती है तभी एक बच्चा सही रुप से शिक्षा ग्रहण कर सकता है आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने श्रावस्ती के एक विद्यालय का निरीक्षण किया जहां पर बहुत बड़ी खामियां पाई गई अधिकारी सब जानते की विधालय मैं क्या कमी है ओर कमी को केसे दूर किया जा सकता है लेकिन अपने लालच के कारण आंखें मूंद लेते हैं उस समस्या का समाधान नहीं करते यदि कोई विद्यालय में समस्या है तो समस्या का निराकरण किया जाए न कि आंख ,कान ,मुंह ,बंद कर कर चुप बैठ जाए में आप लोगों से यही आशा करताहुँ कि जो यह व्यवस्था है उस व्यवस्था में सुधार किया जाए जो शिक्षा पर अनेकों बार कार्य थोप दिये जाते है वह कार्य न कराए जाएं केवल शिक्षक जो कार्य है वही उसे कराया जाए तभी इस बेसिक शिक्षा की जो लचर पचर व्यवस्था है उसमें तभी सुधार हो सकता है
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