मजहबी दीवारों पर शिक्षा की इबारत : विद्या भारती के स्कूलों में मुस्लिम विद्यार्थियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
🔴 इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का असर कहें या शिक्षा के प्रति जागरूकता। शिक्षा के मंदिरों में मजहबी दीवारें दरकने लगीं हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शिक्षा के प्रचार-प्रसार में जुटी संस्था विद्या भारती के 1200 स्कूलों में दो साल के अंतराल में मुस्लिम विद्यार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इन्हें न वंदेमातरम से परहेज है न ही तिलक से। इनका मकसद सिर्फ शिक्षित होकर देश का नाम रोशन करना है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, लखनऊ : गुरु व शिष्य के बीच शिक्षा के अलावा कोई और धर्म नहीं होता है। अच्छी शिक्षा ही इंसान की पहचान होती है। वाराणसी के सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ रहे मुहम्मद दिलशान व उनके अभिभावक अयूब के यह विचार समाज में सांप्रदायिकता का जहर घोलने वालों को एक आईना है। धर्म व जातिवाद से परे रहकर शिक्षा को ही सवरेपरि मानने वाले ऐसे छात्रों का मकसद सिर्फ शिक्षित होकर देश का नाम रोशन करना ही बन गया है।
विद्याभारती के सरस्वती शिशु मंदिर व सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालयों में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों के बुलंद इरादों से मजहबी दीवार गिर गई है। वाराणसी के ही भारतीय शिक्षा मंदिर (इंग्लिशिया लाइन) के प्रधानाचार्य चारुचंद्र राम त्रिपाठी ने बताया कि हाईस्कूल परीक्षा में टॉप फाइव में भी एक मुस्लिम छात्र का स्थान है। मीरजापुर के भी चार विद्यालयों में 29 मुस्लिम बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मऊ के नौ विद्यालयों में लगभग दो दर्जन संख्या मुस्लिम बच्चों की है। इलाहाबाद के 16 स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या पांच सौ से ज्यादा है। गोरखपुर के 33 विद्यालयों में 346 मुस्लिम विद्यार्थी हैं, जो सरस्वती वंदना से लेकर सूर्य नमस्कार में भी प्रतिभाग करते हैं।
दो-तीन वर्षो में बढ़ी संख्या : हालांकि, विद्या भारती के स्कूलों में मुस्लिम बच्चे अर्से से पढ़ रहे हैं, लेकिन बीते दो-तीन वर्षो से इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। अंबेडकरनगर जिले में विद्या भारती के नौ स्कूलों में 28 व गोंडा के 15 सरस्वती विद्या मंदिर स्कूलों में 532 मुस्लिम बच्चे हैं। शिक्षकों के मुताबिक मुस्लिम बच्चों की संख्या में 25 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है। फैजाबाद के 27 विद्यालयों में गत सत्र के मुकाबले मुस्लिम छात्रों की संख्या में 20 फीसद से ज्यादा इजाफा हुआ है। कानपुर शहर में विद्याभारती के स्कूलों की संख्या 20 है। बीएनएसडी शिक्षा निकेतन के प्रधानाचार्य डॉ. अंगद सिंह ने कहा कि इन छात्र छात्रओं में 10 फीसद बच्चे मुस्लिम परिवारों से हैं।
संस्कार करते हैं आकर्षित : मुरादाबाद में संघ के नौ विद्यालय और पांच पाठशालाएं हैं। इनमें साढ़े चार सौ मुस्लिम बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। कृष्णा बाल मंदिर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि शिक्षा के साथ संस्कार मुस्लिमों को स्कूलों के प्रति आकर्षित कर रहे हैं। रामपुर के स्कूलों में भी मुस्लिम बच्चों की संख्या बढ़ रही है। अलीगढ़ के छह स्कूलों में 78 बच्चे मुस्लिम समुदाय से हैं जबकि वहां पिछले साल इनकी संख्या 72 थी। सहारनपुर के 13 स्कूलों में करीब 50 मुस्लिम बच्चे हैं। हाथरस के दो स्कूलों में भी बच्चों की संख्या चार से बढ़कर 20 हो गई है। मेरठ में विद्या भारती के 16 स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों में करीब साढ़े पांच हजार बच्चों में मुस्लिम बच्चों की संख्या करीब पांच सौ है। सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा समिति मेरठ के मंत्री डा. विनोद कुमार अग्रवाल के अनुसार छात्रों की संख्या धर्म के आधार पर नहीं आकी जाती है। गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद शहर में छात्रों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 50 से 70 फीसद इजाफा हुआ है। गाजियाबाद के कैला भट्टा निवासी राजा ने अपने बच्चे का एडमिशन सरस्वती शिशु मंदिर में कराया है। राजा का कहना है कि वह बेटे को बेहतर शिक्षा दिलाना चाहते हैं।
वंदेमातरम न तिलक से परहेज : सरस्वती शिशु मंदिरों को लेकर दो साल में मुस्लिमों की सोच में तेज बदलाव आया है। वह मानते हैं कि ये स्कूल भेद करते नहीं उसे खत्म करते हैं। यही वजह है कि उन्हें वंदेमातरम से न तिलक से परहेज है। आगरा में 16 सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल हैं।
फीरोजाबाद में तीन मुस्लिम शिक्षिकाएं : फीरोजाबाद चौकी गेट के सरस्वती शिशु मंदिर चौकी गेट में तीन मुस्लिम शिक्षिकाएं आसतारा खान, समर, हुमा मलिक और समर स्कूल में पढ़ाती हैं। कक्षा पांच तक चलने वाले इस स्कूल में दस मुस्लिम बच्चे भी अध्ययनरत हैं।
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📌 मजहबी दीवारों पर शिक्षा की इबारत : विद्या भारती के स्कूलों में मुस्लिम विद्यार्थियों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी
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