समान शिक्षा व्यवस्था के लिए धरना : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2015 को सराकरी कर्मचारी, अधिकारी और न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाने का दिया था आदेश
लखनऊ: सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के बैनर तले सोमवार को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर अनिश्चितकालीन धरना और अनशन शुरू हुआ। समाजसेवी संदीप पाण्डेय ने बताया कि उनकी मांग है कि प्रदेश सरकार जल्द से जल्द सरकारी कर्मचारियों और जन प्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में पढ़वाने का आदेश लागू करवाए। इससे समान शिक्षा व्यवस्था लागू हो सकेगी।
संदीप पाण्डेय ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2015 को सराकरी कर्मचारी, अधिकारी और न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाने का आदेश दिया था। इस दिशा में अभी तक प्रदेश सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है। प्रदर्शन को पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के राम किशोर ने संबोधित किया।
सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने जाएं मामले ने फिर पकड़ा तूल: हाईकोर्ट ने 18 अगस्त, 2015 को दिया था आदेश
मैैग्सेसे अवार्डी संदीप पांडे का धरना श्ाुरू, खास और आम सबके बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने की जिद:
पढ़ाने की बाध्यता वाले फैसले को लेकर सोमवार से प्रदर्शन शुरू हो गया है। इसमें मैग्सेसे अवार्ड विनर और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पांडेय की लीडरशिप में सैंकड़ों लोग गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
संदीप पांडे ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 अगस्त, 2015 को सरकारी तनख्वाह पाने वाले अधिकारियाें और कर्मचारियाें के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में अनिवार्य रूप से पढ़ाने के फैसले के क्रियान्वयन के लिए यूपी सरकार को निर्देश दिए थे। यह व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2016-17 से लागू हो जानी चाहिए थी। सरकार ने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया है।
पांडेय ने आगे बताया कि देश में दो तरह की शिक्षा व्यवस्थाएं लागू हैं। पैसे वाले अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेज रहे हैं जहां बड़ा शुल्क लिया जाता है और जहां से निकलने के बाद बच्चा उच्च शिक्षा पूरी कर कहीं न कहीं नौकरी पा जाता है अथवा अपना कुछ काम शुरू कर सकता है। जिनके पास इन निजी विद्यालयों में पढ़ाने का पैसा नहीं वे अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने के लिए अभिशप्त हैं जहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इन विद्यालयों के बच्चे आगे चल नकल करके अपनी परीक्षा देने को मजबूर होते हैं। नतीजा यह होता है कि कक्षा आठ तक आते आते भारत के आधे बच्चे विद्यालय से बाहर हो जाते हैं या शिक्षा पूरी होने पर भी बेरोजगार हैं।
पांडेय के मुताबिक, भारत के सरकारी विद्यालयों को ठीक करने का एकमात्र उपाय यही है कि सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने जाएं। इस वर्ग के बच्चों के जाने से सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी और फिर गरीब के बच्चे को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी। इसलिए सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) की यह भी मांग है कि इस देश में चुनाव लड़ने वा सरकारी नौकरी हेतु आवेदन के लिए सरकारी विद्यालय से पढ़ा होना अनिवार्य शर्त हो। इसी तरह सरकारी वेतन पाने वालों व जन प्रतिनिधियों व उन पर आश्रित लोगों के लिए सरकारी चिकित्सालय में इलाज कराना भी अनिवार्य हो।सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में सभी निजी संस्थानों के सरकारीकरण के पक्ष में हैं जिससे सभी नागरिकों को शिक्षा व चिकित्सा का लाभ एक समान व मुफ्त मिल सके।
NEWS-SOURCE: dainikbhaskar.com
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📌 समान शिक्षा व्यवस्था के लिए धरना : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2015 को सराकरी कर्मचारी, अधिकारी और न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ाने का दिया था आदेश
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