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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

CMS की दलील, पहले सरकारी स्कूल तो भरो : गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिले देने से इनकार कर स्कूल प्रबन्धन ने हाल ही में बेसिक शिक्षा अधिकारी को ही आपत्ति पत्र भेजा, राज्य सरकार ने 11 मई को जीओ जारी कर, गरीब बच्चों के प्रवेश के लिए दिया था आदेश

CMS की दलील, पहले सरकारी स्कूल तो भरो : गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिले देने से इन्कार कर स्कूल प्रबन्धन ने हाल ही में बेसिक शिक्षा अधिकारी को ही आपत्ति पत्र भेजा, राज्य सरकार ने 11 मई को जीओ जारी कर, गरीब बच्चों के प्रवेश के लिए दिया था आदेश

लखनऊ : सिटी मॉन्टेसरी स्कूल प्रबंधन ने इस साल भी शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत मुफ्त दाखिले देने में पेच फंसा दिया है। 18 गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिले देने से इनकार कर स्कूल प्रबन्धन ने हाल ही में बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीणमणि त्रिपाठी को आपत्ति पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि आवेदन करने वाले सात बच्चों का घर एक किमी के दायरे से बाहर है। बाकी 11 आवेदनों के बारे में दलील दी है कि एक किमी के दायरे में कई सरकारी स्कूल भी हैं। ऐसे में पहले उन्हें भरा जाए।

सीएमएस प्रबंधन ने पिछले साल 14 अप्रैल को जिला प्रशासन की बैठक में आरटीई के तहत गरीब बच्चों को एडमिशन देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अप्रैल में ही हाई कोर्ट में भी रिट दायर की। इस मामले में 6 अगस्त को जज राजन रॉय की बेंच ने सीएमएस प्रबंधन को एडमिशन देने का फैसला सुनाया। फैसले के तुरंत बाद सीएमएस प्रबंधन ने हाई कोर्ट की डबल बेंच, फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की, हालांकि सितंबर के आखिरी सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने भी एडमिशन लेने का अंतरिम आदेश दिया था। 

भेजेंगे जवाबः बीएसए

अब नए सत्र में भी सीएमएस प्रबंधन ने आरटीई के तहत आए आवेदन खारिज कर दिए हैं और इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजा है। इस बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीणमणि त्रिपाठी का कहना है कि नए शासनादेश में सरकारी स्कूलों की सीटें पहले भरने की शर्त समाप्त कर दी गई है। इस संबंध में सीएमएस प्रबंधन को पत्र भेजा जाएगा।

हमें आरटीई एडमिशन लेने से कोई परहेज नहीं है। बीएसए को पत्र लिखा है। वह उसका जवाब दें, उसके आधार पर हम एडमिशन ले लेंगे।
-जगदीश गांधी, संस्थापक, सीएमएस

सुप्रीम कोर्ट ने एडमिशन देने के लिए कहा है तो पैसे लेना उसी के आदेश का पालन हुआ, जिन बच्चों को पढ़ाया उसका शुल्क लेना कोर्ट का उल्लंघन तो नहीं है।
-जफरयाब जिलानी, अधिवक्ता 
(RTE का केस लड़ चुके हैं।)

फैसला आने के बाद लेंगे फीस प्रतिपूर्ति

सीएमएस प्रबंधन ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरटीई के तहत हुए 13 एडमिशन की प्रतिपूर्ति सरकार से नहीं ली है। बीएसए के मुताबिक, बैंक खाते की जानकारी के लिए स्कूल प्रबंधन को कई बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है। इस बारे में स्कूल प्रबंधन का कहना है कि पिछले साल के एडमिशन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुए थे। केस अब भी कोर्ट में है। ऐसे में फैसला होने के बाद ही प्रतिपूर्ति लेंगे।

CMS की दलील, पहले सरकारी स्कूल तो भरो

जैसा कि आरटीई एक्टिविस्ट समीना बानो ने बताया
एक्ट के सेक्शन 12.1.C में प्री-प्राइमरी क्लास भी शामिल करने का जिक्र है। 

24 फरवरी-2016 को जारी जीओ में यह बाध्यता खत्म कर दी गई है। अब पहले सरकारी या दूसरे स्कूल भरने का कोई नियम नहीं है। 

राज्य सरकार ने 11 मई को जीओ जारी किया है। इसमें लिखा है कि आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार के बच्चों को नजदीकी स्कूल में मुफ्त दाखिला मिले। किसी दूरी का प्रावधान नहीं है।

1. केंद्र सरकार ने आरटीई एक्ट में नर्सरी क्लास शामिल नहीं की है।

2. आसपास और सरकारी स्कूल भी हैं, जहां जगह भी खाली हैं। पहले उन्हें भरा जाए।

3. एक किलोमीटर के दायरे के बाहर के कई बच्चों ने आवेदन किया है। उन्हें एडमिशन नहीं दिया जा सकता। 

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  1. 📌 CMS की दलील, पहले सरकारी स्कूल तो भरो : गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिले देने से इनकार कर स्कूल प्रबन्धन ने हाल ही में बेसिक शिक्षा अधिकारी को ही आपत्ति पत्र भेजा, राज्य सरकार ने 11 मई को जीओ जारी कर, गरीब बच्चों के प्रवेश के लिए दिया था आदेश
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/05/cms-11.html

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