प्रतिकूल प्रविष्टि की सूचना न देना प्रोन्नति में बाधक नहीं : याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने दिया आदेश फैसला
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि सरकारी सेवक को उसके विरुद्ध दी गयी प्रतिकूल प्रविष्टि की सूचना 45 दिन में नहीं दी जाती तो यह उसकी प्रोन्नति में बाधक नहीं बनेगी। हालांकि नियत समय में सूचना न देने के कारण प्रविष्टि को अवैध या कालबाधित भी नहीं माना जाएगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति पीसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विपक्षी कर्मचारी के सेवानिवृत्त हुए 10 वर्ष बीत चुके हैं। ऐसे में प्रकरण अधिकरण को निर्णय के लिए वापस करने का औचित्य नहीं है। सेवा नियमावली 1995 के नियम 4(1) के तहत प्रतिकूल प्रविष्टि की 45 दिन सूचना देना अनिवार्य है। नियम 4(2) के तहत सेवक 45 दिन में प्रत्यावेदन दे सकता है जिसे 120 दिन में निर्णीत करना होगा। नियम 5 के अनुसार यदि कार्यवाही नियत समय में नहीं की गयी है तो प्रतिकूल प्रविष्टि को पदोन्नति या अन्य सेवा जनित कार्यो में विचार में नहीं लिया जायेगा। प्रविष्टि अवैध नहीं होगी केवल उसका प्रभाव प्रोन्नति पर नहीं पड़ेगा।
कोर्ट ने कहा है कि यदि प्रतिकूल रिपोर्ट सूचित कर दी गयी तो वह लागू मानी जायेगी। साथ ही प्रत्यावेदन नियत अवधि में निर्णीत नहीं किया गया तो यह नहीं माना जायेगा कि प्रत्यावेदन स्वीकार कर लिया गया और प्रविष्टि रद कर दी गयी। कोर्ट ने वरिष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक रहे शुभ करण सिंह गौतम व अन्य की प्रतिकूल प्रविष्टि निरस्त करने के न्यायाधिकरण के आदेश को रद कर दिया है।
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