देशभर में बीएड की एक परीक्षा की तैयारी : सिद्दीकी कमेटी की सिफारिश पर केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एचआरडी) में विचार-विमर्श शुरू
प्रभात उपाध्याय, नोएडा। मेडिकल में दाखिले के लिए 'नीट' को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब बीएड में दाखिले के लिए भी देशभर में एक प्रवेश परीक्षा 'नीटे' आयोजित करने की सिफारिश की गई है। सिद्दीकी कमेटी की सिफारिश पर केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एचआरडी) में विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
कमेटी ने मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में देशभर में शिक्षकों की गुणवत्ता पर गहरी चिंता जताई है। उसने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) को सरकारी व निजी कॉलेजों में बीएड में दाखिले के लिए देशभर में एक प्रवेश परीक्षा कराने का सुझाव दिया है। कमेटी ने इस प्रवेश परीक्षा का नाम नेशनल इंट्रेंस एग्जामिनेशन फॉर टीचर एजुकेशन (नीटे) रखा है।
कमेटी ने कहा है कि प्रवेश परीक्षा में 50 फीसद से अधिक कटऑफ पाने वाले अभ्यर्थियों को ही दाखिला दिया जाएगा। कटऑफ में किसी भी शर्त पर छूट न दी जाए। भले ही सीटें खाली रह जाएं। कमेटी ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि नीटे में टॉप 2000 रैंकिंग लाने वाले अभ्यर्थियों को न्यूनतम 5000 रुपये प्रति माह भत्ता भी दिया जाना चाहिए। इससे भविष्य में ये अभ्यर्थी आदर्श शिक्षक का रोल मॉडल बनेंगे।
गौरतलब है कि केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने टीचर एजुकेशन सेक्टर की चुनौतियों से निपटने के लिए 12 अक्टूबर को एनसीटीई रिव्यू कमेटी गठित की थी। एनसीटीई के पूर्व चेयरमैन प्रो. एमए सिद्दीकी की अगुवाई में गठित पांच सदस्यीय समिति ने बीते 11 अप्रैल को मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में अध्यापकों के प्रशिक्षण से लेकर अध्यापन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए तमाम प्रस्ताव दिए गए हैं।
चार साल करने का भी सुझाव
सिद्दीकी कमेटी ने गुणवत्तापरक पठन-पाठन के लिए बीएड की अवधि को भी धीरे-धीरे चार साल का करने का सुझाव दिया है। कमेटी के अनुसार, बीएड किसी भी अध्यापक के लिए नींव की तरह है। ऐसे में नींव को मजबूत बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है। अवधि बढ़ाने से गुणवत्ता में सुधार होगा।
हालांकि अभी भी एनसीईआरटी द्वारा संचालित देशभर के चार रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन में बीएड की अवधि चार साल की है। ये रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन अजमेर, भुवनेश्वर, मैसूर और भोपाल में हैं।
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