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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मन की बात : कार्यशाला से कतराने वालों के नाम परन्तु यदि विचार करें तो कार्यशाला को शिक्षा के क्षेत्र में एक त्यौहार या उत्सव की संज्ञा भी इसलिए दी जाती है कि उत्सव और त्यौहार जिस तरह मानव जीवन में नव उमंग और खुशी को पैदा करते हैं उसी तरह शैक्षिक कार्यशाला......

मन की बात : कार्यशाला से कतराने वालों के नाम परन्तु यदि विचार करें तो कार्यशाला को शिक्षा के क्षेत्र में एक त्यौहार या उत्सव की संज्ञा भी इसलिए दी जाती है कि उत्सव और त्यौहार जिस तरह मानव जीवन में नव उमंग और खुशी को पैदा करते हैं उसी तरह शैक्षिक कार्यशाला......

कार्यशाला में मुझे क्या मिलेगा ? एक कार्यशाला मुझे क्या सिखा सकती है ? मैं तो सब कुछ जान चुका हूँ, न जाने कितनी कार्यशालाएँ ले चुका या करवा चुका हूँ फिर मै कार्यशाला से क्या सीख पाऊॅँगा, हर कार्यशाला में वही सब कुछ होता है, जो होता आया है। वही उद्देश्यों और विषय की प्रकृति पर बात होगी। आमतौर पर कार्यशाला का नाम सुनते ही हममें से अधिकांश लोगों के मन में यही सवाल उभरते हैं।          

पर वास्‍तव में ऐसा है नहीं। कार्यशाला जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि  कोई शाला जहाँ कुछ कार्य होता होगा। यहाँ कार्यशाला में जिस कार्य की बात हो रही है, वह कोई साधारण कार्य या रोजमर्रा के कार्य से आशय नहीं रखता है। कार्यशाला का आशय किसी विशेष कार्य और विशेष से भी ज्यादा महत्वपूर्ण उसमें किसी विशेष कार्य को सिखाने और उस पर अपनी समझ बनाने की ओर रहता है। यहाँ एक बात ध्यान करने योग्य है कि कोई भी कार्यशाला में पुनरावृति नहीं होती है। कार्यशाला में सिखाने वाले हर बार यह प्रयास करते हैं कि संभागियों को कुछ नया दे पाएँ।  यह भी हो सकता है कि जो सिखाना चाह रहे हैं उसके तरीके में बदलाव हो सकता है। हर कार्यशाला संभागी को कुछ न कुछ जरुर सिखाती है,चाहे वो बहुत कुछ जानता हो,पर नया बताती है।

कार्यशाला में जब पुराने हो चुके सिद्धान्‍तों, प्रक्रियाओं, विषयवस्तु पर पुनः चर्चा की जाती है, उन्हें खंगाला जाता है तो उन पर चढ़ी धूल हटती चली जाती है। जैसे–जैसे यह धूल हटती है नए विचारों का संचार होता है, संभागी को भी लगने लगता है कि  मैं भी कुछ नया जान रहा हूँ, एक नवीन ऊर्जा का संचार होने लगता है।

कार्यशाला की एक ओर विशेषता होती है कि कार्यशाला पूर्व तैयारी भी एक कार्यशाला होती है,जिसमें कार्यशाला में सिखाने वाले कार्यशाला की बेहतरी के लिय कार्य योजना बनाते हैं। कार्यशाला से जुड़ी सामग्री-साजो सामान जुटाते हैं, ताकि कार्यशाला में आने वाले संभागी कुछ न कुछ सीखकर जाएँ। कार्यशाला का स्वरुप, उसकी योजनाएँ, उन योजनाओं में निहित क्रियाकलाप बहुत सोच–समझ के साथ बनाएँ जाते हैं, जिससे हर योजना और उस योजना मे निहित गतिविधियाँ संभागी को नया विचार दें, उसके सोचने–समझने की शक्ति को ओर अधिक व्यापक बनाएँ।

कार्यशाला में जाने से कतराने वाले थोड़ी-सी हिम्मत जुटाकर हर कार्यशाला में जाएँ। आपको लगेगा कि आप उम्र के तजुर्बे के साथ जरूर बढ़ गए हैं, लेकिन जो जोश और ऊर्जा का संचार आप अपने आप में, अपने कार्यो में चाहते हैं, वह सच्चे अर्थो में एक कार्यशाला ही कर सकती है। हर कार्यशाला आपकी क्षमतावर्धन कर रही होती है। और यह बात सन्दर्भ व्यक्ति जो कार्यशाला में सिखाता है तथा संभागी जो कार्यशाला मे सीखता है दोनों पर ही लागू होती है। सन्दर्भ व्यक्ति को कार्यशाला में नवीन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अचानक आए नए प्रश्नों की तैयारी करनी होती है।

कार्यशाला के प्रति नकारात्मक भाव रखने वालों की दलील होती है कि वही सब कुछ होगा। बात सही है। पर बात यह भी है कि गाडी की हर सर्विस में भी तो वही होता है। उसकी साफ–सफाई,टूट–फूट की मरम्मत की जाती है,इंजन आयल बदला जाता है ,लेकिन यह कार्य नियमित होता रहे तो गाड़ी की लाइफ बन जाती है। देसी भाषा में कहूँ तो गाड़ी टनाटन हो जाती है। तो फिर कार्यशाला मे जाकर क्यों हम अपनी लाइफ/जिन्दगी बनाना नहीं चाहते। सही बात है कि हम गाड़ी नहीं हैं, इन्सान हैं, पर क्या एक इन्सान को मानसिक रूप से नयापन लाने की जरुरत नहीं होती ? कार्यशालाओं में यही नयापन दिया जाता है,नए पन के साथ हर कार्यशाला का एक नया कलेवर होता है जो संभागी को एक नया फ़्लेवर प्रदान करता है, और यही  फ़्लेवर इन्सान को नए आयाम और विकास के नए सोपान प्रदान करता है। इसलिए  कार्यशालाओं पर विचार करें, मंथन करें, सोचे–समझें और कार्यशाला में जाने को तैयार हो जाएँ।

कार्यशाला का एक महत्वपूर्ण मकसद होता है कि वह आपके कार्य क्षेत्र में मदद करेगी,उसे नई दिशा देगी, फिर आपको सोचना चाहिए कि हम अपने कार्य को नई  दिशा अपने वैचारिक दृष्टिकोण को और पुष्ट बनाएँ। कार्यशाला आपको पूरे वर्ष ऊर्जा देती रहेगी। आप नए विचारों, नए प्रतिमानों के साथ जहाँ भी कार्य कर रहे हैं, उस संस्था को ओर अधिक ऊँचाइयों तक ले जा सकेंगे।

कार्यशाला को शिक्षा के क्षेत्र में एक त्यौहार या उत्सव की संज्ञा भी इसलिए दी जाती है कि उत्सव और त्यौहार जिस तरह मानव जीवन में नव उमंग और खुशी को पैदा करते हैं उसी तरह शैक्षिक कार्यशाला संभागी तथा सन्दर्भ व्यक्ति दोनों को एक सुकून देती। लेकिन यह तभी सम्‍भव हो पाता है, जब आपने दत्‍तचित होकर कार्यशाला में कार्य किया है तथा उसे साथ–साथ आत्मसात करते चले हैं। अतः कार्यशाला की महत्ता पर पुनः विचार करें, सोचे–समझें और कार्यशाला में जाने से इंकार न करें।

-द्वारा मनीष दत्त शर्मा,अज़ीम प्रेमजी फाउण्‍डेशन, उनियारा ब्‍लाक,टोंक, राजस्‍थान   

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  1. 📌 मन की बात : कार्यशाला से कतराने वालों के नाम परन्तु यदि विचार करें तो कार्यशाला को शिक्षा के क्षेत्र में एक त्यौहार या उत्सव की संज्ञा भी इसलिए दी जाती है कि उत्सव और त्यौहार जिस तरह मानव जीवन में नव उमंग और खुशी को पैदा करते हैं उसी तरह शैक्षिक कार्यशाला......
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/05/blog-post_604.html

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