ट्रांसफर के खेल में दिव्यांग फेल : हाल में ट्रांसफर अचानक हुए वह भी सैकड़ों की संख्या में लेकिन उन शिक्षकों का इसका पता ही नहीं चला जो इसके इंतजार में
उन्नाव : आंतरिक ट्रांसफर प्रक्रिया बंद होने से बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात शिक्षकों को इसके खुलने का इंतजार आज भी है। हाल में ट्रांसफर अचानक हुए वह भी सैकड़ों की संख्या में लेकिन उन शिक्षकों का इसका पता ही नहीं चला जो इसके इंतजार में हैं। तमाम ऐसे स्कूलों में आंख बंद करके तबादले हुए जहां एकल शिक्षक होने से ताला लगने की नौबत आ गई। वहीं, कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जहां 30-40 छात्रों को पढ़ाने के लिए चार-चार शिक्षक तैनात हैं। जबकि पैर से लाचार दिव्यांग शिक्षिका नजदीक के विद्यालय में तैनाती पाने के लिए बीएसए से लेकर प्रदेश स्तरीय अधिकारियों तक की ड्योढ़ी नाप रही है लेकिन उसकी कोई सुनने वाला नहीं। उल्टे ट्रांसफर मांगने पर उन्हें बेइज्जत तक होना पड़ रहा। नियमों को ताक पर रखते हुए ट्रांसफर के खेल को परवान चढ़ाया गया। पूरे सिस्टम पर उंगली उठी इस सब के बाद भी सब मौन हैं। परेशान शिक्षकों का आरोप है कि विभाग में शिक्षकों के ट्रांसफर पो¨स्टग में खेल हो रहा है। केवल चहेतों को ही उनके मन माफिक जगहों पर तैनाती दी जा रही है। विभागीय काकस के नियमों में नहीं आता है उसे ट्रांसफर तो बहुत दूर सीधे मुंह बात तक नहीं की जाती है।
केस एक : सहायक शिक्षिका मधू दीक्षित के पति आईपी दीक्षित एलआईसी में हैं दोनों ही दिव्यांग हैं। 3 जुलाई 2015 तक इनकी तैनाती सिकंदरपुर कर्ण ब्लाक के शेखपुर नरी में थी। शहर से करीब होने से आराम से नौकरी हो रही थी। इसी बीच प्रोन्नति हुई। मधू दीक्षित ने अपने दिव्यांग होने का हवाला देते हुए उसी विद्यालय में तैनाती होने का प्रमाण पत्र दिया, लेकिन विभाग ने 68 किमी दूर स्थित औरास ब्लाक के गांव शिवाला में तैनाती कर दी गई। इतनी लंबी दूरी हर रोज समय पर स्कूल पहुंचना मधू के लिए मुसीबत हो गया। फिर क्या करती नौकरी तो करनी ही थी। विद्यालय में ज्वाइन कर लिया। इसके बाद से लगातार मधू और उनके पति अधिकारियों से लेकर नेताओं गुहार लगा मुख्यालय के किसी नजदीक के स्कूल में तबादला मांगने को भटकती रहीं। पर उन्हें तबादला तो मिला नहीं। बकौल मधू उनको चार दिन पहले अधिकारी ने अपमानित किया।
केस दो : हिलौली विकास खंड के विद्यालय में तैनात संजय कुमार एकल शिक्षक रहे। लेकिन अधिकारियों के चहेते बने और मनमाफिक जगह पर तबादला मिल गया और एक श्रेणी के ब्लाक बिछिया के एक स्कूल में तैनाती दे दी गई। अब उनके मूल तैनाती वाले विद्यालय में तालाबंदी है।
केस तीन: सिकंदरपुर सरोसी के उच्च प्राथमिक विद्यालय गगनीखेड़ा यहां छात्र संख्या 40 से भी कम हैं। यहां पहले से दो शिक्षक तैनात थे पर ट्रासंफर की बयार चली और दो और शिक्षकों को खुश करने के लिए उन्हें इसी स्कूल में तैनात कर दिया गया। अब गगनीखेड़ा विद्यालय में चार शिक्षक गिनती के छात्रों को पढ़ा रहे हैं। इनमें से अधिकतर शिक्षक कानपुर में रहकर नौकरी कर रहे हैं।
केस चार : असोहा ब्लाक के गांव दऊ विद्यालय में 200 छात्र संख्या पर 4 शिक्षक व शिक्षिकाओं की तैनाती रही।
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