मन की बात : पेंशनविहीन शिक्षक/शिक्षिकाओं/कर्मचारीयों आप सभी साथियों को अब अपने हक़ की मांग हेतु रजिस्टर्ड पत्र अभियान की शुरुआत.......
मेरे प्यारे सम्मानित पेंशनहींन शिक्षक/शिक्षिकाओ/कर्मचारीयो आप सभी साथियो को अब अपने हक़ की मांग हेतु रजिस्टर्ड पत्र अभियान की शुरुवात करना होगा । जिसके अंतर्गत हम एक साथ माननीय प्रधानमंत्री, ग्रहमंत्री व् मुख्य मंत्री (उ.प्र.) को एक निर्धारित दिनांक पर भारी संख्या में उनको हमारी पेंशन बहाली हेतु की गयी मार्मिक अपील प्राप्त हो :----
नोट:-
1. पत्र का नमूना नीचे अंकित है
२. पत्र स्पीड पोस्ट, रजिस्टर डाक या साधारण डाक द्वारा भेजे (मित्रो यदि संभव हो सके तो स्पीड पोस्ट या रजिस्टर डाक से भेजे)
३. पत्र साधारण कागज पर भी लिख कर भेजा जा सकता है
४. इस सन्देश को अपने अधिक से अधिक मित्रो को पोस्ट करे या शेयर करे
५. मुख्यमंत्री जी व गृह मंत्री को पत्र लिखते समय भाषा में थोडा परिवर्तन जरूर कर ले
सेवा में,
श्री नरेन्द्र दामोदर मोदी
प्रधानमन्त्री, भारत सरकार
साऊथ ब्लाक, रायसीना हिल्स
नयी दिल्ली, 110001
श्री राजनाथ सिंह
गृह मंत्री, भारत सरकार
नार्थ ब्लाक, केन्द्रीय
सचिवालय नई दिल्ली, 110001
विषय:- "एक सरकारी कर्मचारी की अपने हक “पुरानी पेंशन” हेतु मार्मिक अपील" |
महोदय,
मैं ................................., (पद) ............................., विकास खंड..............., जनपद................ आपसे विनम्र निवेदन करता हूँ कि आप मेरे बुढ़ापे के सहारे "पुरानी पेंशन" को पुन: बहाल करने की दिशा में कोई सार्थक कदम उठाएं और आपसे आशा करता हूँ कि आप अपने द्वारा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किये गये वादे को याद करते हुए हम कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा देंगे। मैं आपसे अपील करना चाहता हूँ कि पिछली बीजेपी सरकार द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था को बंद करके जो कुठाराघात कर्मचारी वर्ग पर किया गया था, पुरानी पेंशन व्यस्था को बहाल करते हुए आप उस पर मरहम लगाएं। आज एक कर्मचारी को सरकार और समाज की सेवा करते हुए 11 वर्ष से भी अधिक का समय बीत गया है किन्तु सामाजिक सुरक्षा के नाम पर आज तक उसके हाथ खाली हैं। उच्चतम न्यायालय ने भी पेंशन को सामाजिक सुरक्षा के रूप में प्रत्येक कर्मचारी के लिए अनिवार्य माना है। क्या आप नहीं जानते की समाज के बदलते परिवेश में एक कर्मचारी चाहे कितनी भी बड़ी तनख्वाह से सेवानिवृत हो जाए, बुढ़ापे में अपने बच्चो या अन्य लोगो से सेवाभाव व खर्च की अपेक्षा रखना अपने स्वाभिमान के साथ समझौता करने जैसा होगा? उस कठिन समय में हमारी क्या दुर्दशा होगी उसे शायद शब्दों में बंया करना मुश्किल है | शारीरिक रूप से निर्बल हो जाने पर जीवन के जिस मोड़ पर हमे आर्थिक मदद की सर्वाधिक आवश्यकता होगी, तब दूसरों के रहमो कर्म पर अपनी जिंदगी गुजारेंगे। क्या यह हमारे साथ अन्याय नहीं होगा? आप ही बताएं कि बुढ़ापे की लाठी “पुरानी पेंशन” को बंद करना क्या सच में अन्यायपूर्ण निर्णय नहीं था ? क्या एक शेयर मार्किट पर आधारित निवेश योजना NPS (New Pension Scheme) को जबरन किसी कर्मचारी पर थोपना सरकार की उचित नीति है ? मैं तो कहूँगा कि शायद नहीं ? यदि NPS वास्तव में एक बढ़िया प्लान होता तो इससे हमारे सशस्त्र बलों को वंचित ना रखा जाता? क्यों एक विधायक/सांसद NPS प्राप्त नहीं कर रहा ? ये कुठाराघात सिर्फ कर्मचारी वर्ग पर ही क्यों ? यदि पेंशन देने से किसी भी केंद्र या राज्य सरकार को बड़ी आर्थिक हानि हो रही है तो फिर इन माननीय विधायको या सांसदों को ही क्यों पेंशन नामक तोहफे से नवाजा जा रहा है? सरकार की ये दोगली नीति क्यों ? क्या ये माननीय लोग भारत देश के नागरिक नहीं है ? या हम कर्मचारी वर्ग इस भारत के नागरिक नहीं है? क्या भारत देश का कानून सिर्फ कर्मचारी वर्ग को ही आहत करने के लिए बना है? क्या इन लोगो को भी इसे त्याग कर समाज में एक "आदर्श" स्थापित नहीं करना चाहिए? मैं भारत देश का एक सभ्य व सामाजिक प्राणी होने की हैसियत से आपसे विन्रम निवेदन करता हूँ की आप हमारी पुरानी पेंशन को पुनः बहाल करके कर्मचारी वर्ग में फैले इस असंतोष व असुरक्षा की भावना का अंत करें व हमें सेवा उपरांत समाज में एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार प्रदान करें।
धन्यवाद.......
आपका
(नाम व पद फोन न. सहित)
निवेदक:- डॉ अनुज कुमार राठी (कलम का सच्चा सिपाही)
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