यूपी के शिक्षामित्रों को एनसीटीई से राहत : आरटीआई के जवाब में एनसीटीई ने 21 मार्च के अपने जवाब में 14 जनवरी 2011 के उस पत्र का हवाला दिया है जिसमें एनसीटीई ने उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षामित्रों को दो वर्षीय प्रशिक्षण दिए जाने की अनुमति
इलाहाबाद, वरिष्ठ संवाददाता : प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित 1.70 लाख शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने वैध ठहराया है। शिक्षामित्रों को दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण दिए जाने के खिलाफ दो वर्षीय नियमित बीटीसी प्रशिक्षण करने वाले कुलदीप सिंह व एक अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका की है।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के जरिए अवैध तरीके से शिक्षामित्रों को दो वर्षीय दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण कराया। जबकि दूरस्थ विधि से प्रशिक्षण देने के लिए डायट अधिकृत नहीं है।
इस पर 14 मार्च के अपने आदेश में हाईकोर्ट ने एनसीटीई को मामले की अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस बीच इसी मुद्दे पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह की आरटीआई के जवाब में एनसीटीई ने 21 मार्च के अपने जवाब में 14 जनवरी 2011 के उस पत्र का हवाला दिया है जिसमें एनसीटीई ने उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षामित्रों को दो वर्षीय प्रशिक्षण दिए जाने की अनुमति दी थी। यानि एनसीटीई ने साफ कर दिया है कि शिक्षामित्रों के दो वर्षीय दूरस्थ विधि प्रशिक्षण पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में 28 अप्रैल को होगी।
शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण के खिलाफ कई याचिकाएं हुई है। मैंने 15 जनवरी 2015 को एनसीटीई से आरटीआई के जरिए प्रशिक्षण के संबंध में सवाल पूछा था। 21 मार्च 2016 को एनसीटीई ने जो जवाब भेजा है उसमें 14 जनवरी 2011 के उस पत्र का हवाला दिया है जिसमें प्रशिक्षण की अनुमति दी गई थी। यह वास्तव में शिक्षामित्रों के लिए बड़ी राहत है।
- कौशल कुमार सिंह, प्रदेश मंत्री प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
एनसीटीई ने माना शिक्षा मित्रों की दूरस्थ बीटीसी सही, प्रदेश सरकार को दी थी अनुमति
प्रमुख संवाददाता, लखनऊ । प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बने शिक्षा मित्रों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बड़ी राहत दी है। परिषद ने शिक्षा मित्रों के दो साल के दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण को वैध ठहराया है। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत एनसीटीई ने शिक्षा मित्रों को यह जानकारी दी है। इससे शिक्षा मित्रों के बीटीसी प्रशिक्षण को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दी गई चुनौती के मामले में उन्हें राहत मिलेगी। इसकी सुनवाई 28 अप्रैल को है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में लागू किया गया था। इसके तहत पैरा टीचर्स का प्रावधान खत्म कर दिया गया था। ऐसे में सरकार के पास दो विकल्प थे। पहला यह कि सभी शिक्षा मित्रों को निकाल दिया जाए और दूसरा यह कि उन्हें शिक्षक बनाया जाए। उस समय केंद्र और राज्य सरकार की सहमति से ही शिक्षकों के समायोजन की पहल हुई थी।
आरटीई के तहत बीटीसी के समकक्ष प्रशिक्षण अनिवार्य था। केंद्र की अनुमति
आरटीआई से मिली जानकारी, इलाहाबाद हाई कोर्ट में 28 अप्रैल को होनी है सुनवाई
शिक्षा मित्रों के पक्ष में यह बहुत ही राहत भरी खबर है। निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट इस आधार पर हमें राहत देंगे। समायोजन भी सही साबित होगा।
-दीपाली निगम, महामंत्री दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ
एनसीटीई ने ही बीटीसी को वैध ठहराते हुए जानकारी दी है। यह एक बड़ी राहत है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में इससे हमारे पक्ष में फैसला होने की पूरी उम्मीद है।
-गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष शिक्षा मित्र संघ
इसी बीच नियमित बीटीसी प्रशिक्षकों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक और याचिका दायर कर दी। इसमें बीटीसी प्रशिक्षण को ही चुनौती दी गई थी। इस पर 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इसी बीच शिक्षा मित्र नेता कौशल कुमार सिंह ने एनसीटीई से इस बारे में जानकारी मांगी थी। एनसीटीई ने उस पत्र की प्रति भी दी है जिसके तहत प्रदेश सरकार ने प्रशिक्षण की अनुमति मांगी थी। किन शर्तों के साथ अनुमति दी गई थी और ट्रेनिंग मॉड्यूल भी एनसीटीई की अनुमति से ही तैयार हुआ था। एससीईआरटी ने यह मॉड्यूल तैयार किया था और डायट में प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण को एनसीटीई ने सही ठहराया है।
टीईटी की बाधा पार करना बाकी
शिक्षा मित्रों को बीटीसी प्रशिक्षण सही ठहराए जाने से उन्हें राहत मिली है लेकिन टीईटी की बाधा पार करने के लिए अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टीईटी न होने को बड़ा मु्द्दा मानते हुए समायोजन रद किया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगाई है। अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज नहीं किया गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार अभी करना होगा।
पर प्रदेश सरकार ने शिक्षा मित्रों को तीन चरण में दूरस्थ विधि से बीटीसी प्रशिक्षण करवाया। उसके बाद उन्हें बतौर शिक्षक समायोजित कर दिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस समयोजन को अवैध ठहरा दिया। इसमें बीटीसी प्रशिक्षण पर सवाल उठाने के साथ ही टीईटी न होने को बड़ी रुकावट बताया था। इस मामले में शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और मुकदमा चल रहा है। तब से समायोजित हो चुके करीब 1.40 लाख शिक्षा मित्रों को वेतन जारी करने के आदेश प्रदेश सरकार ने कर दिया और वे पढ़ा
रहे हैं।
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📌 एनसीटीई ने शिक्षा मित्रों को दी बड़ी राहत : दूरस्थ बीटीसी कोर्स को ठहराया वैध, RTI के तहत NCTE ने दी जानकारी, 28 अप्रैल को होगी सुनवाई
ReplyDelete👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/04/rti-ncte-28.html