अफसरों की मनमानी नौनिहालों पर भारी, नहीं मिल पाएंगी जुलाई में भी किताबें : सूबे के सरकारी स्कूलों में मुफ्त बंटने वाली किताबों की छपाई में हो रही देरी
🌑 निविदा समिति की आपात बैठक नये सिरे से टेण्डर जारी करने का निर्णय
🌑 Rs 200 करोड़ से ज्यादा की किताबों की होनी है छपाई
🌑 नहीं मिल पाएंगी जुलाई में भी किताबें
लखनऊ । सूबे के सरकारी स्कूलों में मुफ्त बंटने वाली किताबों की छपाई को लेकर अफसरों के बीच चली खींचतान अब नौनिहालों पर भारी पड़ेगी। पुरानी किताबों से जैसे-जैसे शैक्षिक सत्र तो शुरू ही हो गया, लेकिन उनके हाथों में जुलाई में भी किताबें नहीं आ सकेंगी।
बेसिक शिक्षा निदेशालय में निविदा समिति की हुई आपात बैठक में पूर्व के टेण्डर को निरस्त करके नये सिरे से टेण्डर जारी करने का निर्णय लिया गया और आवेदन 29 अप्रैल तक करना होगा। यह लगातार दूसरा वर्ष है, जब किताबों की छपाई का टेण्डर निरस्त करके दूसरी बार जारी करना पड़ा है।बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबों की छपाई के लिए अपनी नीति तो पहले ही तय कर ली थी। इस नीति को लेकर प्रकाशकों ने सवाल खड़े किये और अधिकारियों को एक कम्पनी विशेष को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
प्रकाशकों ने सरकारी अधिकारियों के रवैये को लेकर कोर्ट में भी गुहार लगायी और पर्यावरण को होने वाले नुकसान का मुद्दा भी कोर्ट में उठाया था। इसके बाद भी टेक्निकल बिड की प्रक्रिया बढ़ाते हुए अधिकारी कम्पनी विशेष को ही लाभ देने के लिए लगे रहे, लेकिन आखिर कोर्ट के सख्त रुख के बाद निविदा समिति ने पुरानी निविदा को निरस्त करने का फैसला लिया। सूबे में इस बार भी 200 करोड़ से ज्यादा की किताबों की छपाई होनी है।
प्रकाशक पिछले वर्ष किताबों की छपाई के भुगतान को लेकर भी अफसरों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, जबकि स्थिति यह है कि जिन भी प्रकाशकों ने गत वर्ष किताबें छापी थीं, उन सभी के कागज के नमूने जांच में फेल हो गये थे, और अभी की तकरीबन 60 फीसद भुगतान लटका है, न तो उन पर कार्रवाई हो पायी और न ही भुगतान हो सके हैं।
उल्लेखनीय है कि परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2016-17 की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन अभी एक भी छात्र के हाथ में किताबें नहीं आ पायी है। जिस तरीके से अब टेण्डर फिर से 29 अप्रैल तक मांगा गया है, ऐसे में नौनिहालों के हाथ किताबें जुलाई में भी नहीं आ सकेंगी।
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