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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मिड-डे-मील में रोड़ा : हाई पावर कमेटी तय करेगी कब और कैसे दिए जाएंगे फल, मिड-डे-मील में शामिल हो चुका है फ्रूट, फलों के लिए बच्चों को करना होगा इंतजार

मिड-डे-मील में रोड़ा : हाई पावर कमेटी तय करेगी कब और कैसे दिए जाएंगे फल, मिड-डे-मील में शामिल हो चुका है फ्रूट, फलों के लिए बच्चों को करना होगा इंतजार

📌 1.98 करोड़ बच्चे हैं प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में

📌 1.80 लाख प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं प्रदेश में।

📌 01 दिन हफ्ते में बांटे जाएंगे स्कूलों में फल

📌 03 रुपये प्रति बच्चा खर्च किया जाएगा फलों पर

📢 हाईपावर कमिटी को तय करना है कि किस आधार पर फलों का वितरण किया जाए। शासन से आदेश होते ही जल्द से जल्द फलों के वितरण की व्यवस्था कर दी जाएगी। 
-श्रद्धा मिश्रा, डायरेक्टर एमडीएम

📢 शासन से बजट का प्रावधान हो गया है तो विलंब नहीं होना चाहिए। जल्द से जल्द स्कूलों को बजट भेजा जाए, ताकि बच्चों को फल मिल सकें।
-विनय, अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोिसएिशन

प्रमुख संवाददाता, लखनऊ । प्राइमरी स्कूलों के मिड-डे-मील में फलों के लिए बच्चों को अभी इंतजार करना होगा। हाईपावर कमिटी और एमडीएम अथॉरिटी की कार्यसमिति की बैठक में यह तय होगा कि किस दिन और किस आधार पर फल दिए जाने हैं। उसके बाद शासनादेश जारी होगा ओर जिलों को बजट भेजा जाएगा। 

प्रदेश सरकार ने बच्चों को मिड-डे-मील में फल दिए जाने का भी प्रावधान किया है। इसके लिए 200 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया जा चुका है। पिछले दिनों हुई बैठक में यह तय किया जा चुका है हफ्ते में एक दिन फल दिए जाएंगे। प्रति बच्चा तीन रुपये की लागत से फलों का वितरण किया जाना है। इसकी व्यवस्था विद्यालय प्रबंधन समिति(एसएमसी) को करनी है। इसके लिए सरकार स्कूलों को बजट भेजेगी। कौन सा मौसमी फल दिया जाए, इस बारे में स्कूल तय करेंगे। एमडीएम अथॉरिटी इस बारे में एक गाइडलाइन जारी करेगी। जब बजट का प्रावधान किया गया था तो नए सत्र से फलों के वितरण की बात कही गई थी। नया सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया है लेकिन अभी जो स्थिति है, उसके अनुसार फलों के लिए अभी महीनों इंतजार करना पड़ सकता है। 

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