मंत्री-अफसरों के बच्चे तो कॉन्वेंट और प्राइवेट में ही जाएंगे : अखबारों में छपे यूपी सरकार के इश्तेहार 'आओ पढ़ें, आगे बढ़े' के जरिए सरकारी स्कूलों की खासियतों से रूबरू कराया गया, इश्तहार आम लोगों के लिए
लखनऊ: बेसिक स्कूलों का नया सेशन शुरू हो रहा है। अखबारों में छपे यूपी सरकार के इश्तेहार 'आओ पढ़ें, आगे बढ़े' के जरिए सरकारी स्कूलों की खासियतों से रूबरू कराया गया है। यह इश्तहार आम लोगों के लिए ही है कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं, मंत्री-अफसरों के बच्चे तो कॉन्वेंट और प्राइवेट में ही जाएंगे। सरकारी खजाने से सैलरी पाने वालों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की अनिवार्यता वाला हाई कोर्ट का आदेश फिलहाल दरकिनार कर दिया गया है। यही नहीं अफसरों के बच्चों के लिए खास तौर पर अलग स्कूल बनवाया जा रहा है।
बेसिक स्कूलों में पढ़ाई को देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 अगस्त को मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि सरकारी खजाने से वेतन या मानदेय पाने वालों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाया जाना अनिवार्य किया जाए। कार्ययोजना बनाने को 6 महीने का समय दिया गया। कार्य योजना बनी पर लागू करने के बजाय विरोध की।
पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने अफसरों से लेकर कर्मचारियों के असोसिएशन को चिट्ठी लिखकर इसकी अपील जरूर की, मगर इसे कानूनी जामा पहनाने की कोई पहल नहीं की। अफसर बच्चे को पढ़ाई की जगह तय करना अपना हक बता पहले ही कानूनी लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं। सरकार विधानसभा में सुप्रीम कोर्ट तक जाने का आश्वासन दे चुकी है। सरकारी स्कूलों पर आम लोग कैसे भरोसा करें जब सरकार को ही इससे परहेज है/ इस पर विभागीय अफसरों का जवाब है कि लोगों को पढ़ाने के लिए कहना हमारा काम है हम बस उसे कर रहे हैं।
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अपील कुछ लोगों ने दायर की थी। अभी उस पर सुनवाई लंबित है। आरटीई के तहत हमारी जिम्मेदारी है कि बच्चे स्कूल जाएं। इसलिए हम विशेष अभियान चला कर उन्हें इसके लिए प्रेरित करते हैं।
-आशीष गोयल, सचिव, बेसिक शिक्षा
यह है हाई कोर्ट का आदेश : अफसरों, नेताओं व सरकारी खजाने से सैलरी पाने वाले हर व्यक्ति के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ना अनिवार्य किया जाए। जिनके बच्चे कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ें, वहां की फीस के बराबर रकम उनके वेतन से काट ली जाए। साथ ही ऐसे लोगों का कुछ समय के लिए इन्क्रीमेंट व प्रमोशन रोकने की व्यवस्था की जाए। अगले सेशन से इसे लागू भी किया जाए। सरकार, नेता व अफसर इस बदहाली के बावजूद बेसिक शिक्षा के प्रति संजीदा नहीं हैं क्योंकि उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं बल्कि कॉन्वेंट और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं।
अफसरों के बच्चों के लिए अलग 'संस्कृति' : हाई कोर्ट के आदेश का अनुपालन तो दूर यूपी की ब्यूरोक्रेसी इससे एक कदम और आगे बढ़ गई है। राजधानी में चक गंजरिया में 10 एकड़ में अफसरों के बच्चों के लिए खास तौर पर संस्कृति स्कूल बनाया जा रहा है। अगले सेशन तक इसका निर्माण पूरा करने की तैयारी है। इस साल दिसंबर तक नर्सरी क्लॉसेज शुरू हो सकती हैं। सीबीएसई पैटर्न पर यह स्कूल संचालित किया जाएगा।
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📌 मंत्री-अफसरों के बच्चे तो कॉन्वेंट और प्राइवेट में ही जाएंगे : अखबारों में छपे यूपी सरकार के इश्तेहार 'आओ पढ़ें, आगे बढ़े' के जरिए सरकारी स्कूलों की खासियतों से रूबरू कराया गया, इश्तहार आम लोगों के लिए
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