प्राइमरी की पढ़ाई इंजीनियरिंग से महंगी : नर्सरी से लेकर कक्षा आठ तक की फीस व अन्य खर्चे एक से डेढ़ लाख रुपये तक
📌 नर्सरी से लेकर कक्षा आठ तक की फीस व अन्य खर्चे एक से डेढ़ लाख रुपये तक
📌 स्कूलों में खुली दुकानों से महंगी कापी किताबें खरीदने की मजबूरी
📌 मार्केट से महंगी कापी और किताबें खरीदने की मजबूरी
जागरण संवाददाता, लखनऊ : निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों को प्राइमरी स्तर तक की पढ़ाई इंजीनियरिंग से भी महंगी पड़ रही है। भारी-भरकम फीस और कापी-किताबों से लेकर ड्रेस तक में स्कूलों की मनमानी चलती है। कई स्कूलों में दुकानें खुली हुई हैं, जहां पर किताबें, कापियां व स्टेशनरी मार्केट से महंगी मिल रही हैं। स्कूलों द्वारा निर्धारित दुकानों पर ही ड्रेस भी खरीदनी पड़ती है। इसके अलावा योगा, ऑनलाइन टेस्ट, म्यूजिक व स्पोर्ट्स के नाम पर अलग मासिक फीस देनी होती है। यही कारण है कि नर्सरी से कक्षा आठ तक अलग-अलग फीस सहित अन्य खर्चे एक लाख रुपये से लेकर सवा लाख रुपये तक हैं। अगर स्कूल से घर दूर है तो न्यूनतम 1200 रुपये महीने का वैन का खर्च जोड़ लिया जाए तो यह कम से कम डेढ़ लाख रुपये वार्षिक पड़ रहा है, जबकि इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक की वार्षिक फीस न्यूनतम 80 हजार से लेकर 1.10 लाख रुपये तक ही है।
राजधानी में निजी स्कूलों व मिशनरी स्कूलों में इस सत्र में भी न्यूनतम 20 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी हुई है। अलीगंज क्षेत्र में ‘माडर्न विद्या ट्री स्कूल’ (माडर्न कॉलेज) में नर्सरी की फीस न्यूनतम पांच हजार रुपये मासिक पड़ती है। इसमें अन्य खर्चे जोड़ लिए जाएं तो अभिभावकों की जेब पर बोझ और बढ़ जाता है। स्कूल से घर दूर है तो वैन सहित सालभर में अभिभावक की जेब से 70 से 80 हजार रुपये नर्सरी की पढ़ाई करवाने में ही निकल जाते हैं। राजधानी में अच्छे स्कूलों में शुमार जीडी गोयनका स्कूल, सीएमएस, विबग्योर, स्ट्डी हॉल, लखनऊ पब्लिक स्कूल व मिशनरी स्कूल जिसमें लॉरेटो कांवेंट स्कूल, लामार्ट्स व सेंट फ्रांसिस सहित कई स्कूलों में फीस स्ट्रक्चर ऐसा है कि नर्सरी से लेकर कक्षा आठ तक की पढ़ाई पर सालाना एक लाख रुपये से डेढ़ लाख रुपये तक बैठती है।
फीस जल्द भरने की मजबूरी
ज्यादातर निजी स्कूलों में फीस ज्यादा है और वह इसे दो या तीन किश्तों में वसूलते हैं। जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में अगर कोई केजी में पढ़ता है तो उससे वार्षिक फीस 87800 रुपये देने होते हैं। अगर नया दाखिला लेता है तो 55000 रुपये एडमिशन फीस व काशनमनी के देने होते हैं। कुल 138800 रुपये देने होते हैं। इसके बाद कक्षा एक से कक्षा आठ तक की वार्षिक फीस 96000 रुपये है और नया दाखिला लेने पर 55000 रुपये और देने होते हैं। इस तरह कुल 151000 रुपये देने होते हैं। स्टडी हाल में प्री-प्राइमरी की सालाना फीस 85480 रुपये है और नया एडमिशन लेने पर 13000 रुपये और देना होता है। ऐसे में 98000 रुपये फीस भरनी पड़ती है। इसी तरह डीपीएस में 43800 रुपये प्री-प्राइमरी की फीस और 27000 रुपये एडमिशन फीस व काशनमनी के देने होते हैं। इस तरह कुल 70800 रुपये देने होते हैं। वहीं कक्षा एक से कक्षा पांच तक वार्षिक फीस 74400 रुपये व कक्षा छह से आठ तक की वार्षिक फीस 77400 रुपये है। मिलेनियम स्कूल में प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा आठ तक की वार्षिक फीस 60916 रुपये है।
नया एडमिशन लेने पर एडमिशन फीस व काशनमनी के 40000 रुपये जोड़ने पर 100916 रुपये देने होते हैं। लामार्ट ब्वायज में प्री प्राइमरी में 38185 रुपये, कक्षा एक से कक्षा पांच तक 45985 रुपये और कक्षा छह से कक्षा आठ तक 46285 रुपये देने होते हैं। कुछ मिशनरी स्कूल दिसंबर में एरियर के नाम पर अलग से फीस भी लेते हैं। सीएमएस में प्री-प्राइमरी में 27350 रुपये, कक्षा एक से कक्षा पांच तक 43630 रुपये व कक्षा छह से कक्षा आठ तक 57990 रुपये हैं। नए एडमिशन पर 5500 से 6000 रुपये तक एडमिशन फीस व काशनमनी देनी होती है।
क्या कहते हैं स्कूल
🌕 मेरे स्कूल में एक क्लास में सिर्फ 25 स्टूडेंट पढ़ते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्कूल चला रहे हैं। ऐसे में खर्च ज्यादा होता है। फिर भी फीस ज्यादा नहीं बढ़ी है।
-राकेश कपूर, प्रमुख माडर्न विद्या ट्री स्कूल
🌕 हम विश्वस्तरीय शिक्षा दे रहे हैं और सुविधा भी। शिक्षकों का वेतन बढ़ाया है। फिर यह तो आपको देखना है कि आपका बजट कितना है। हमारी फीस जायज है।
-सर्वेश गोयल, प्रमुख-जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल
🌕 मेरे यहां सिर्फ 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी फीस में हुई है। नया फर्नीचर विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं। स्मार्ट क्लास की सुविधा दे रहे हैं।
-जगदीश गांधी, संस्थापक सीएमएस
🌕 मिशनरी स्कूलों में इस बार फीस में मात्र 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी शिक्षकों को ज्यादा वेतन देने के लिए की गई है। हम प्रतिवर्ष दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाते।
-फादर पॉल
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निजी स्कूलों में खोली गईं किताब-कापी की दुकानों व स्कूल द्वारा नामित की गई दुकानों पर कापी-किताबें मार्केट से 20 से 30 प्रतिशत तक महंगी मिल रही हैं। कापियों में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर ठगा जा रहा है। इतना ही नहीं कापी-किताबों पर चढ़ाई जाने वाला स्कूल का कवर भी महंगा है। सिर्फ कक्षा एक का कापी-किताब का सेट 3300 रुपये तक है।
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📌 प्राइमरी की पढ़ाई इंजीनियरिंग से महंगी : नर्सरी से लेकर कक्षा आठ तक की फीस व अन्य खर्चे एक से डेढ़ लाख रुपये तक
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