राजनीति : नेताओं में ‘पेंशन’ लपकने की होड़, शिक्षक संगठनों में चुनाव को लेकर हो रही जोरआजमाइश
जासं, इलाहाबाद : राजनीति में वही मुद्दा अहम होता है जो अधिक व्यक्ति को प्रभावित करे। जनता का शुभचिंतक बनने को हर दल उसे लपकना चाहता है। शिक्षा विभाग में इन दिनों कुछ ऐसा ही चल रहा है। अक्टूबर-नवंबर माह में इलाहाबाद-झांसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव होना है। ऐसे में शिक्षक नेताओं में अध्यापकों के बीच पैठ बनाने की होड़ मची है। कोई नई पेंशन दिलाने का दम भर रहा है तो कोई पहले नई व बाद में पुरानी पेंशन दिलाने का दावा करता नजर आ रहा है।
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों एवं शिक्षणोत्तर कर्मचारियों को नवीन अंशदायी पेंशन के दायरे में रखा गया है। इसके दायरे में इलाहाबाद 1234 एवं प्रदेशभर में 20656 के लगभग शिक्षक व कर्मचारी हैं। इनका फार्म एस-1 भरकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में जमा है। इसके तहत उनके मूल वेतन व महंगाई का 10 प्रतिशत कटौती करना है। सेवानिवृत्ति पर कुल जमा धनराशि का 60 प्रतिशत संबंधित शिक्षक व कर्मचारियों को तत्काल मिलेगा।
जबकि शेष 40 प्रतिशत की धनराशि किसी धनराशि किसी निर्धारित पेंशन योजना में लगाना होगा, जिसके आधार पर पेंशन मिलेगी। लेकिन यह प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। स्थिति यह है कि प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर) तो जारी हो गया, परंतु पेंशन की कटौती अभी शुरू नहीं हुई। इधर शिक्षक नेता पेंशन के मुद्दे को उठाकर अध्यापकों का हितैषी बनना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ‘शर्मा गुट’ के प्रांतीय सदस्य डॉ. शैलेश पांडेय का कहना है नई पेंशन की लड़ाई हमारे संगठन ने छेड़ी है, जो अंजाम तक पहुंच जाएगी। चेतनारायण गुट के उपाध्यक्ष रामसेवक त्रिपाठी हर शिक्षक को पुरानी पेंशन दिलाने की वकालत करते हैं। जबकि ठकुराई गुट के प्रदेश उपाध्यक्ष मुहर्रम अली कहते हैं कि नई पेंशन के लिए उनके संगठन से अधिक किसी ने संघर्ष नहीं किया।
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