सातवां वेतन आयोग : जुलाई से नए वेतनमान, बढे़गा न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फार्मूला और मकान किराया भत्ता, इन्क्रीमैंट और एमएसीपी में निराशा
नयी दिल्ली : वेतन आयोग की सिफारिशों पर सरकार ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। पांच राज्यो के चुनावों की आचार सहिंता खत्म होने के बाद कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में बनी समिति अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी । इसके बाद म़ंत्रिमंडल द्वारा इसे पास करने के साथ ही गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जायेगा ।
सरकार की जिस तरह की तैयारी है उसके हिसाब से जुलाई के वेतन से कर्मचारियों को इन सिफारिशों के अनुसार बढा हुआ वेतन मिलने लगेगा। वहीं सूत्रों का कहना है कि इन सिफारिशों पर सारी कवायद सरकार ने काफी पहले पूरी कर ली थी लेकिन आये दिन यूनियनों/फेडरेशनों की हड़ताल की धमकी के कारण इस पर अमल टाल दिया गया। अभी भी सूत्र दावा कर रहे हैं कि यदि इसी प्रकार हड़ताल की धमकी चलती रही तब फिर बढ़ा हूआ वेतन जुलाई के बाद से लागू होगा।
सुत्रों का कहना है कि कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में बनी समिति ने अपनी सिफारिशों को फाईनल कर लिया है। अब इसे पांच राज्यों के चुनावों के कारण लागू आचार संहिता के खत्म होने का इंतजार है। 21 मई के बाद इन सिफारिशों को सरकार को सौंपा जा सकता है। समिति ने कर्मचारियों को खुश करने का पूरा मसौदा तैयार कर लिया है। सुत्रों का कहना है कि जहाँ न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी करने का निर्णय लिया जा चुका है वहीं वेतन फिक्सेशन के फार्मूले को भी बढ़ाकर 2.57 सें 2.83 करने के संकेत हैं। ऐसे में सभी कैटेगरियों के वेतन में बढोत्तरी हो जायेगी। न्यूनतम वेतन बढ़ाने से जहां अघिकतम वेतन के अंतर को दुर क्रिया गया है वहीं फिक्सेशन के फार्मूले को बढ़़ाकर कर्मचारियों के अंदर पनप रहे गुस्से को शांत करने का प्रयास क्रिया गया है। इसके अलावा सूत्रों का दावा है कि भत्तो में भी परिर्वतन किया गया है। अब आवास भत्ता पहले की तरह 10-20—30 प्रतिशत मिलेगा । हालाकि यूनियनों द्वारा सुझाये गये 20-40-60 प्रतिशत की मांग की ठुकरा दिया गया है। इसी तरह पांच प्रतिशत के वार्षिक वेतन वृद्धि की मांग को भी ठुकरा दिया गया है। इसकी जगह पूर्ववत: तीन प्रतिशत की दर से ही इंक्रीमेंट मिलेगा। पांच एमएसीपी की मांग को भी ठुकरा दिया गया है। पहले की तरह तीन एमएसीपी ही कर्मचारियों को मिलेगी।
पुरानी पेंशन योजना को दुबारा चालू करने की मांग को भी सरकार ने नकार दिया है। यानि नई पेंशन योजना ही चालू रहेगी। हालांकि इस योजना को और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिये सुझाव दिये गये हैं। वेतन आयोग द्वारा कई भत्तों को बंद करने की सिफारिशों को भी नहीं माना गया है। अनिवार्य सेवानिवृति के फार्मूले में कोई दिशा निर्देश नहीं दिये गये हैं। हालाकि सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों को भी खारिज नहीं किया गया है। इसके तहत 55 वर्ष की आयु या 33 वर्ष की नौकरी करने पर ऐसे कर्मचारियों को सरकार जबरन सेवानिवृत्त कर सकती है जिनका परफार्मेंस अच्छा नहीं है। हालांकि ऐसे कर्मचारियों का डाटा सरकार एकत्र कर रही है जिनका कार्यकाल अच्छा नहीं है।
दुसरी ओर, युनियनों/फेडरैशनों की हड़ताल की धमकी से क्या वेतन आयोग की सिफारिशों पर सरकार ने देर की? हालत तो कुछ यही दर्शा रहे हैं । वेतन आयोग ने काफी पहले अपनी सिफारिशों को सरकार को सौंप दिया था। इसके तुरंत बाद सरकार ने सभी विभाग के प्रमुखों को इस पर अध्ययन करने तथा उनके अधीन आने वाली यूनियन/फेडरेशनों से इस पर आपत्ति लेने के निर्देश दिये थे। इसके बाद आये सुझाव और आपत्तियों पर विचार सहित कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में बनी समिति को सौंप दिये गये। इस समिति को ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन यूनियनों/फेडरेशनों की लगातार हड़ताल की धमकी देने के कारण सरकार ने अपने बढ़े कदम वापस खींच लिये। सरकार का ईरादा एक अप्रैल से शुरू हो रहे नये वित्तीय वर्ष से वेतन आयोग की सिफारिशों का फायदा कर्मचारियों को देने का था। लेकिन दूसरी ओर सरकार भी चाहती थी कि एक बार इन नेताओं की ताकत का अंदाजा लगा लिया जाये। इसी कारण वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल टाल दिया गया। यह उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद यह पहली ऐसी सरकार है जिसके एजेंडे में रेलवे सबसे उपर है। यह सरकार रेलवे की दशा और दिशा दोनों बदलने पर प्रयत्नशील है।
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📌 सातवां वेतन आयोग : जुलाई से नए वेतनमान, बढे़गा न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फार्मूला और मकान किराया भत्ता, इन्क्रीमैंट और एमएसीपी में निराशा
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📌 सातवां वेतन आयोग : जुलाई से नए वेतनमान, बढे़गा न्यूनतम वेतन, फिटमेंट फार्मूला और मकान किराया भत्ता, इन्क्रीमैंट और एमएसीपी में निराशा
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