परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे मील में गुरुजी बच्चों को खिलाएंगे फल़ : अंगूर और काटकर खिलाए जाने वाले फलों पर रहेगा प्रतिबंधित
हरदोई । नवीन शैक्षिक सत्र में बच्चों को दूध तो पिलाया ही जाएगा। हर सोमवार को उन्हें मौसमी फल भी खिलाए जाएंगे। जिसके लिए प्रति बच्चा चार रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। व्यवस्था तो अच्छी है और पैसे भी सामान्य माने जा रहे हैं। फलों के लिए शासन स्तर से अभी कोई अतिरिक्त बजट भले ही नहीं दिया गया है लेकिन फल खिलाने का आदेश जारी हो गया। फिलहाल धनराशि का इंतजाम न होने तक गुरु जी बच्चों को जुगाड़ के फल खिलाएंगे। वैसे बीएसए का कहना है कि अध्यापक परेशान न हों उन्हें पूरी धनराशि मिलेगी और शासन स्तर से हरी झंडी भी मिल गई है। सभी सरकार की योजना में भागीदारी निभाएं।
परिषदीय विद्यालयों की सूरत सुधारने के लिए शासन स्तर से जोर दिया जा रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता पर तो ध्यान है ही, मिड-डे मील पर शासन स्तर से अभियान चलाया जा रहा है। रोजाना अलग अलग खाना खिलाने का इंतजाम है तो हर बुधवार को बच्चों को दूध पिलाने की भी व्यवस्था की गई है।
यह अलग बात है कि बच्चों को दूध पिलाने में गुरु जी के चेहरों पर चिंता की मलाई छाई रहती है। किसी तरह काम चल रहा अब सरकार ने बच्चों को मौसमी फल खिलाने का भी आदेश दिया है। अप्रैल से शुरु हो रहे नवीन शैक्षिक सत्र से बच्चों को सोमवार को मौसमी फल खिलाने का इंतजाम किया गया है। जिसके लिए प्रति बच्चा चार रुपये भी स्वीकृत हुए हैं।
शासन के आदेश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. ब्रजेश मिश्र ने खंड शिक्षा अधिकारियों को आदेश भी जारी कर दिया है। बीएसए ने बताया कि हर हालत में सोमवार से बच्चों को फल खिलाए जाएं। वैसे व्यवस्था अच्छी है लेकिन जानकारों का कहना है कि अभी धनराशि नहीं आई है। जिससे शिक्षक शिक्षिकाओं को अपने पास ही इंतजाम करना होगा। बीएसए डा. मिश्र ने बताया कि धनराशि का पूरा इंतजाम हो गया है और ग्रांट भी आ रही है। शिक्षक शिक्षिकाएं बच्चों को फल खिलाना शुरू कर दें।
अंगूर नहीं खाएंगे बच्चे
बच्चों को फल खिलाने में काटकर खिलाए जाने वाले फलों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। पपीता हो या फिर तरबूज या खरबूजा आदि बच्चों को नहीं खिलाया जाएगा। बच्चों को केला, सेव, संतरा, अमरूद आदि खिलाया जाएगा लेकिन अंगूर भी नहीं खिलाए जाएंगे।
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