परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में "स्कूल चलो अभियान" की राह नहीं आसान : प्रदेश के 6900 परिषदीय स्कूल ऐसे पाये गए हैं जिनमें 25 या उससे कम बच्चे
लखनऊ । पहली अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र में परिषदीय स्कूलों में छात्रों का नामांकन बढ़ाने के लिए शुरू हुआ स्कूल चलो अभियान कहीं फिर रस्म अदायगी न बनकर रह जाए। साल दर साल चलाये जा रहे इस अभियान के बावजूद परिषदीय स्कूलों में छात्रों के नामांकन की स्थिति चिंताजनक है। बीते कुछ वर्षो के दौरान परिषदीय स्कूलों की संख्या में तो तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन उनमें से ज्यादातर में बच्चों की संख्या अपेक्षित स्तर से कम है।
परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में स्कूल चलो अभियान कितना कारगर हुआ है, इसका अंदाज इस बात से लगता है कि प्रदेश के 6900 परिषदीय स्कूल ऐसे पाये गए हैं जिनमें 25 या उससे कम बच्चे हैं। समाजवादी पेंशन योजना के तहत विकसित किये गए नामांकन मॉड्यूल में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से फीड किये गए आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।
नामांकन मॉड्यूल में अब तक 141341 परिषदीय विद्यालयों के आंकड़े फीड किए जा चुके हैं। अमरोहा में 21 फीसद परिषदीय विद्यालय ऐसे पाए गए हैं जिनमें बच्चों की संख्या 25 या उससे कम है। इटावा में 16 प्रतिशत, गौतम बुद्ध नगर में 14 प्रतिशत, सीतापुर में 13 प्रतिशत, मेरठ, मथुरा व फीरोजाबाद में 12 प्रतिशत, बिजनौर, बुलंदशहर व फरुखाबाद में 11 प्रतिशत परिषदीय विद्यालयों में 25 या उससे कम बच्चे हैं। वहीं प्रदेश में 23298 परिषदीय विद्यालय ऐसे मिले हैं जिनमें बच्चों की संख्या 26 से लेकर 50 तक है। यानी सूबे के लगभग 18 फीसद परिषदीय विद्यालयों में 50 या उससे कम बच्चे हैं। यह स्थिति तब है जब बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों के वेतन का सालाना बजट 23137 करोड़ रुपये है। वर्ष 2001-02 से शुरू हुए सर्व शिक्षा अभियान के तहत अब तक 50034.53 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। स्कूल चलो अभियान को प्रभावी बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने नए शैक्षिक सत्र में इस मुहिम को चार बार चलाने की योजना बनायी है। फिलहाल स्कूल चलो अभियान का पहला चरण 30 अप्रैल तक चलाया जाना है।
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📌 परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने में "स्कूल चलो अभियान" की राह नहीं आसान : प्रदेश के 6900 परिषदीय स्कूल ऐसे पाये गए हैं जिनमें 25 या उससे कम बच्चे
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