सरकारी कर्मचारियों की मांग पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर टाली संपत्ति घोषित करने की तिथि अब तारीख बढ़ाकर 31 जुलाई की गई
🌑 लोकपाल कानून बना फांस आज तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाई है
🌑 अन्ना के दवाब में बनाया गया था यह कानून
नई दिल्ली। अन्ना के दबाव में पास हुआ लोकपाल कानून मोदी सरकार के गले की फांस बन गया है। सरकारी कर्मचारियों के भारी विरोध के बाद सरकार ने अपने कर्मचारियों की संपत्ति घोषित करने की तिथि एक बार फिर बढ़ा दी है। सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न एसोसिएशनों की मांग है कि लोकपाल संशोधन विधेयक के पारित होने तक इस प्रक्रिया को रोक दिया जाए। जल्दबाजी में पारित किए गए लोकपाल कानून में अनेक खामियां रह गई थीं।
इस कारण आज तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो पाई, हालांकि कार्मिक विभाग ने इस कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी थी। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए सरकार बनने के बाद लोकपाल की धारा 44 के तहत सभी कर्मचारियों के लिए अपनी संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य है।
कानून में लिखा है कि सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति के ब्योरे को इंटरनेट पर डाला जाएगा ताकि पब्लिक को पता चल सके कि किसी कर्मचारी, अधिकारी के पास कितनी संपत्ति है। लेकिन सरकारी कर्मचारी शुरू से इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी संपत्ति सार्वजनिक करने से उनको और उनके परिवार को खतरा हो सकता है, इसलिए सरकार संपत्ति का ब्योरा ले, लेकिन इसे सार्वजनिक न करे। चूंकि कानून लागू हो चुका है, इसलिए कार्मिक विभाग संपत्ति का ब्योरा देने के लिए नोटिस निकालता रहता है और फिर उसकी तिथि को आगे बढ़ाता रहता है।
इस बार विभाग ने 15 अप्रैल तक ब्योरा जमा करने का हुक्म देते हुए कहा है कि यह आखिरी मौका है और इसके बाद आगे तिथि नहीं बढ़ाई जाएगी।इस हुक्म के मद्देनजर सरकारी कर्मचारियों की विभिन्न एसोसिएशनों ने कार्मिक मंत्रालय को ज्ञापन देकर संसद में लंबित लोकपाल संशोधन विधेयक के पारित होने तक इंतजार करने का आग्रह किया है।
संसदीय स्थाई समिति ने सिफारिश की है कि कर्मचारी की संपत्ति को सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं होगा। संबंधित विभाग अपने पास रखे और उसे लोकपाल को भेजेगा। लोकपाल हर साल के विवरण के हिसाब से छानबीन कर सकता है। दूसरी और महत्वपूर्ण सिफारिश है कि कमाऊ जीवनसाथी की संपत्ति का ब्योरा नहीं मांगा जाएगा, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार और 21 में गोपनीयता का अधिकार आता है। अलबत्ता समिति ने कहा है कि आश्रितों का ब्योरा देना और किसी रिश्तेदार के नाम पर संपत्ति खरीदने को उजागर करना अनिवार्य होगा।
उम्मीद है कि यह विधेयक आगामी 25 अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र में पारित किया जाएगा। इसी उद्देश्य से सरकारी कर्मचारियों को संपत्ति का ब्योरा देने के लिए समय बढ़कार 31 जुलाई कर दिया गया है। सिविल सेवा एसोसिएशनों के परिसंघ के सम्वन्यक जयंत मिश्रा के अनुसार हमने सरकार से मांग की है कि लोकपाल विधेयक के पारित होने तक इंतजार करें। मिश्रा के अनुसार सरकारी कर्मचारी की संपत्ति को सार्वजनिक करने से उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि जीवनसाथी की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगना भी उचित नहीं है, क्योंकि जीवनसाथ स्वतंत्र है और उसकी अपनी आमदनी का जरिया होता है।
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📌 सरकारी कर्मचारियों की मांग पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर टाली संपत्ति घोषित करने की तिथि अब तारीख बढ़ाकर 31 जुलाई की गई
ReplyDelete👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/04/31_14.html