ड्रेस व किताबें देने पर निदेशालय का फरमान बना स्कूलों की मुश्किल : 25 फीसद गरीब व वंचित वर्ग के विद्यार्थी इन दिनों दिल्ली के निजी स्कूलों के लिए परेशानी का सबब बने
नई दिल्ली : नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के अंतर्गत अध्ययनरत 25 फीसद गरीब व वंचित वर्ग के विद्यार्थी इन दिनों दिल्ली के निजी स्कूलों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
दरअसल, शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वो इस श्रेणी के विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ-साथ ड्रेस व किताबें भी मुफ्त प्रदान करें और इसी के चलते स्कूल प्रबंधक अपने यहां आए दिन अभिभावकों के हंगामें की शिकायत कर रहे हैं। निदेशालय के इस फरमान के विरोध में आगामी 12 अप्रैल को स्कूल प्रबंधकों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है।
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने बताया कि इस मामले में शिक्षा निदेशालय का रुख पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि ये विषय न्यायालय में विचाराधीन हैं बावजूद इसके शिक्षा निदेशालय ने ऐसा आदेश जारी किया है जिसके चलते आए दिन स्कूलों में अभिभावक नि:शुल्क ड्रेस व किताबों के लिए हंगामा कर रहे हैं। जैन का कहना है कि दिल्ली स्कूल शिक्षा कानून व नियम -1973 में स्कूलों में इस प्रकार की चीजें बेचना प्रतिबंधित है। इस संबंध में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी स्कूलों को रोका है और निर्देश दिया है कि स्कूल स्तर पर किताब व ड्रेस आदि की खरीद-बेच न हो, बावजूद इसके शिक्षा निदेशालय इसके लिए स्कूलों को बाध्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि निदेशालय ने ये निर्णय वापस नहीं लिए तो हम सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।
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