अनुकम्पा नियुक्ति के लिए रिजर्व नहीं रखा जा सकता पद : कर्मचारी की मृत्यु के 18 साल बाद नियुक्ति का दावा स्वीकार्य नहीं - हाईकोर्ट
मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति का मामला बालिग होने तक नौकरी सुरक्षित नहीं 18 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग खारिज इलाहाबाद। हाईकोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके आश्रितों के लिये पद इस आधार पर सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है कि वह अभी नाबालिग हैं और बालिग होने पर उनको नियुक्ति दे दी जायेगी। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का तात्पर्य यह है कि रोजी-रोटी कमाने वाले सदस्य की अचानक मृत्यु से उसके परिवार को आर्थिक संकट से उबारना। यह कोई अधिकार नहीं बल्कि अनुकंपा है। नगर पालिका परिषद एटा के दिवंगत कर्मचारी के पुत्र मनोज कुमार की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने दिया है। याची के बड़े भाई नगर पालिका परिषद के कर्मचारी थी। 1998 में उनकी मृत्यु हो गई। उस समय वह अविवाहित थे। मृतक की मां को अनुकंपा नियुक्ति के लिये मांग कही गई मगर सक्षम अधिकारी का अनुमोदन न मिलने के कारण उसका दावा 2001 में खारिज कर दिया गया। याची ने 2010 में अनुकंपा नियुक्ति के लिये दावा किया। उसे सशर्त नियुक्ति दी गई जिसे बाद में राज्य सरकार का अनुमोदन न मिलने के कारण रद कर दिया गया। इसके विरुद्ध याचिका दाखिल की गई। नगर पालिका परिषद के वकील सुनील यादव ने इसका विरोध करते हुए कहा कि याची के भाई की मृत्यु 1998 में हुई है। उस समय अनुकंपा नियुक्ति नियमावली में भाई को परिवार की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया था। याची के भाई की मृत्यु को करीब 18 साल बीत चुके हैं और अनुकंपा नियुक्ति देने का उद्देश्य नहीं रह गया है क्योंकि यदि परिवार 18 वर्षों तक निर्वाह कर ले गया तो इसका अर्थ है उसे अब अनुकंपा की आवश्यकता नहीं रही। अपनी दलील के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट की कई नजीरें भी प्रस्तुत की गईं। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। |
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📌 अनुकम्पा नियुक्ति के लिए रिजर्व नहीं रखा जा सकता पद : कर्मचारी की मृत्यु के 18 साल बाद नियुक्ति का दावा स्वीकार्य नहीं - हाईकोर्ट
ReplyDelete👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/04/18.html
📌 अनुकम्पा नियुक्ति के लिए रिजर्व नहीं रखा जा सकता पद : कर्मचारी की मृत्यु के 18 साल बाद नियुक्ति का दावा स्वीकार्य नहीं - हाईकोर्ट
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