UP में सादी कॉपियां, जीरो नंबर, फिर भी सब होंगे पास, अबकी परीक्षा में खर्च हो गया लाखों का बजट
प्रतापगढ़, नीरज श्रीवास्तव । कक्ष निरीक्षक से लेकर परीक्षा व परीक्षा कॉपी के मूल्यांकन तक सब कुछ बोर्ड की तर्ज पर। बस अगर कुछ अलग है तो परीक्षा परिणाम, जिसमें परीक्षक किसी परीक्षार्थी को फेल नहीं कर सकता। भले ही परीक्षार्थी ने बगैर कुछ लिखे ही परीक्षा कॉपी जमा कर दी हो।
इस बार बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन के निर्देश पर परिषदीय स्कूलों की परीक्षा बोर्ड की तर्ज पर सम्पन्न कराई। इसके लिए प्रत्येक जिले के डायट पर अनुभवी शिक्षकों की टीम से प्रश्न-पत्र तैयार कराया गया। जिसे परीक्षा के दिन सभी केन्द्रों पर पहुंचाने के साथ निर्देश दिए गए कि परीक्षा शुरू होने से ठीक 15 मिनट पूर्व प्रश्न पत्र का पैकेट खोला जाएगा, जिससे पेपर लीक होने का चांस नहीं रहेगा।
यही नहीं प्रत्येक विद्यालय में एक दूसरे विद्यालय के कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी लगाई गई। हेडमास्टर को जिम्मेदारी दी गई कि परीक्षा समाप्त होने के ठीक बाद सभी परीक्षार्थियों की कापी पैकेट में रखकर सील कर सम्बंधित न्याय पंचायत संसाधन केन्द्र पर जमा कराएं।
मूल्यांकन के लिए भी बोर्ड की हूबहू नकल की गई। विद्यालय के छात्र/छात्राओं की कापियां जांचने का जिम्मा दूसरे विद्यालय के शिक्षक को सौंपा गया। यहां तक सब कुछ बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर चलाया गया। लेकिन यहां पहुंचने के बाद शिक्षा के अधिकार अधिनियम ने शिक्षकों को असमंजस में डाल दिया है। जिसमें यह निर्देश है कि परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले किसी भी छात्र/छात्रा को फेल नहीं किया जा सकता।
शिक्षकों का कहना है कि परिषदीय स्कूलों में सम्पन्न हुई परीक्षा में बहुत सारे परीक्षार्थियों ने बगैर कुछ लिखे ही कापियां जमा कर दी हैं। ऐसे छात्रों को कितने नम्बर दिए जा सकते हैं।
अबकी परीक्षा में खर्च हो गया लाखों का बजट
इस बार परिषदीय स्कूलों में परीक्षा सम्पन्न कराने के लिए शासन की ओर से प्रत्येक जिले को डिमांड के मुताबिक लाखों रूपए का बजट दिया गया था। जिससे प्रश्न पत्र व परीक्षा कापी की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया था।
परीक्षा में किसी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता, लेकिन परीक्षा के मूल्यांकन से यह निर्धारित किया जाता है कि कौन छात्र किस कैटेगरी का है। परीक्षा के बाद कमजोर छात्रों की पढ़ाई पर अधिक जोर दिया जाता है।
माधवजी तिवारी, बीएसए
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