मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड-84 । कहानी का शीर्षक- 'ट्राफी की राज'
मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण एपिसोड-84
दिनांक 22 /02/2016
आकाशवाणी केन्द्र
कहानी का शीर्षक- 'ट्राफी की राज'
आज मीना के स्कूल में बहिन जी इस साल की ‘निबंध प्रतियोगिता’ का परिणाम घोषित करने जा रहीं हैं। ......और इस साल की ‘हमारा देश’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता जीती है सबीना ने । इस अवसर पर उसे ट्राफी दी गयी । उसने कहा-‘यह संभव हुआ मेरे रोज़ स्कूल आने के कारण। ’
सबीना- (टीचर बहिन जी से) मेरे घर पर निर्माण कार्य चल रहा है। क्या यह ट्राफी,मैं यहाँ स्कूल में रख सकती हूँ?
बहिन जी ने ट्राफी को प्रिंसिपल के कमरे में रखवा दिया।
और दूसरे दिन स्कूल में.................¬...
जब मीना अपने दोस्तों के साथ स्कूल पहुंची.....तो उन सब ने किसी के रोने की आवाज़ सुनी जो कि प्रिंसिपल के कमरे से आ रही थी । यह सबीना के रोने की आवाज़ थी....उसकी ट्राफी चोरी हो गयी थी। यह बात टीचर बहिन जी को बताई गयी। उन्होंने भी इधर-उधर ढूँढा पर ट्राफी नहीं मिली।
मीना और सबीना ने पता लगाने की कोशिश की...तो मीना ने देखा कि मिठ्ठू तो कमरे में था वह वहां (प्रिंसिपल के कमरे में) कैसे आया?...कमरे का निरीक्षण करने पर पता चला कि खिड़की का काँच टूटा हुआ था, जो कि बहुत छोटी भी थी। मीना ने अंदाजा लगाया कि चोरी इसी खिड़की से हुयी है....तभी उसे खिड़की में फँसा पीली शर्ट का टुकड़ा दिखाई दिया।
मीना- अरे! हाँ, यह शर्ट तो कल सुनील ने पहनी थी।
यह बात बहिन जी को बतायी जाती है।
स्कूल की छुट्टी होने पर मीना और सबीना, सुनील के घर तहकीकात को जाते हैं....पता लगता है कि ट्राफी सुनील ने ही चुराई है।
अगले दिन स्कूल में.......
बहिन जी सुनील को बुलाकर बड़े प्यार से समझाते हुए पूँछताछ करती हैं। सुनील को अपनी भूल का एहसास होता है। .....और वह इसके लिए सबीना से मांफी भी मांगता है और कभी भी चोरी न करने का प्रण लेता है।
0 Comments