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मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड - 77 । कहानी का शीर्षक - “सबसे बड़ा इंसान”

मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड - 77 । कहानी का शीर्षक - “सबसे बड़ा इंसान”

मीना की दुनिया - रेडियो प्रसारण
एपिसोड-77
दिनांक-13/02/2016
आकाशवाणी केंद्र-लखनऊ  ;   समय-11:15am से 11:30am तक
कहानी का शीर्षक- “सबसे बड़ा इंसान”  

           सुनील कब से आधी छुट्टी होने का इंतज़ार कर रहाथा। ”कब बजेगी घंटी?“ यह सोच-सोच कर सुनील के मुँह में पानी आ रहा था।  तभी घंटी बजी और सभी बच्चे स्कूल के रसोईघर की तरफ़ दौड़े।
”अरे वाह, मज़ा आ गया! कितना स्वादिष्ट खाना है, मैं तो सारा का सारा खा जाऊँगा,“ सुनील गपागप खाते हुए
बुदबुदाया।
पास बैठी मीना ने ठिठोली करते हुए कहा, ”मोटू कहीं के, आराम से खा, इतनी भी क्या जल्दी है?“
”अरे मीना, रामू काका ने खाना इतना स्वाद जो बनाया है, और फिर मुझे मुकाबला भी तो जीतना है!“ सुनील बोला।
”मुकाबला? कैसा मुकाबला?“ मीना ने हैरानी से पूछा।
सुनील ने बड़े गर्व सेबताया, ”मेरे और दीपू में पेड़पर चढ़ने का मुकाबला! हम दोनों में से जो भी सबसे ऊँची डाल
को छू लेगा, वह अगले सप्ताह साथ वाले गाँव के रमेशके साथ मुकाबला खेल पाएगा। तुम भी चलो ना हमारा
मुकाबला देखने! “ नहीं सुनील, मैं पहले सुमी के घर जाकर उसे आज का पाठ समझाऊँगी। पता नहीं वह आज स्कूल क्यों नहीं आई! तुम लोग जाओ,“ यह कहकर मीना सुमी के घर की ओर चल दी।
………………और उधर, सीटी बजते ही सुनील और दीपू पेड़ों पर चढ़ने लगे। आस-पास खड़े सभी बच्चे उनका उत्साह बढ़ा रहे थे। जैसे-जैसे वे छोटी-बड़ी, मोटी-पतली टहनियों को नीचे छोड़ते हुए ऊपर बढ़ रहे थे,वैसे- वैसे नीचे से आती हुई आवाज़ें तेज़ होती जा रहीं थी – जल्दी चढो! ... अरे! सम्भलकर पैर रखो ... बहुत बढ़िया!
”हुरररररर्रे! सुनील जीत गया!“ सभी ने मिलकर सुनील को बधाई दी।



अगले दिन सुबह स्कूल में मीना ने भी सुनील को बधाई दी, ”वाह सुनील! कल तो तुमने कमाल ही कर दिया’’  इससे पहले कि मीना कुछ और कहती, आधी छुट्टी की घंटी बज गई। सभी बच्चे रसोईघर पहुँचे।

पर यह आज रामू काका दिखाई क्यों नहीं दे रहे?!

तभी बहनजी ने बताया, ”बच्चों, रामू काका की तबीयत अचानक खराब हो गई है, जब तक वह नहीं आते शम्भू काका खाना बनाएँगे और हम सब को खिलाएँगे।“

यह सुनकर तो मानो सुनील को साँप ही सूंघ गया। वह खाना छोड़ कक्षा में वापस चला गया। और उस दिन से सुनील ने स्कूल में मिलने वाला खाना खाना बंद कर दिया। वह काफी सुस्त भी रहने लगा।

           एक सप्ताह बाद सुनील और रमेश के मुकाबले वाले दिन ...

सुनील और रमेश पूरी तैयारी में थे। इशारा मिलते ही दोनों ने पेड़ पर चढ़ना शुरू किया। उन्हंे घेरे सभी बच्चे

तालियाँ बजा रहे थे। पर यह क्या! ”सुनील बार-बार अपने एक हाथ से अपने सिर को क्यों दबा रहा है? लगता है उसे चक्कर आ रहे हैं!“ सुमी घबराकर बोली।

तभी मीना चिल्लाई, ”सम्भालो अपने आपको सुनील और डाल को पकड़े रहना। मैं अभी किसी को बुलाकर लाती हूँ।“ मीना तुरन्त गई और शम्भू काका को बुला लाई और वह फुर्ती से पेड़ पर चढ़ गए।

”लाओ सुनील, अपना हाथ दो,“ शम्भू काका ने सुनील से कहा।

”अरे! सुनील शम्भू काका की तरफ़ अपना हाथ क्यों नहीं बढ़ा रहा?“ सुमी ने हैरानी से पूछा।

”शम्भू काका को अपना हाथ दो सुनील वरना नीचे गिर जाओगे ...“ दीपू चिल्लाया। आख़िर सुनील ने हिचकिचाते

हुए शम्भू काका को अपना हाथ दे ही दिया और वे उसे पेड़ से नीचे ले आए। इतने में बहनजी भी आ र्गइं। उन्होंने सारी बात सुनी और शम्भू काका का धन्यवाद किया। फिर बहनजी ने सुनील से पूछा, ”सुनील तुम्हें चक्कर कैसे आ गए, आज खाना नहीं खाया क्या?“ तभी दीपू तपाक से बोल पड़ा, ”बहनजी इसने तो स्कूल का खाना तब से नहीं खाया जब से शम्भू काका आए हैं।“

”क्या तुम भी ऊँच-नीच के भेदभाव में विश्वास रखते हो सुनील?“ बहनजी नाराज़गी से बोली।

”नहीं नहीं बहनजी!“ सुनील बेहद शर्मिंदा होकर बोला।

          उस रात सुनील सो नहीं सका, बार-बार वही दो मज़बूत हाथ ...

अगले दिन स्कूल में आधी छुट्टी की घंटी बजते ही

         सभी बच्चे, रोज़ ही की तरह, रसोई की ओर दौड़े। बहनजी ने सभी पर सरसरी नज़र दौड़ाई और फिर मीना से पूछा, ”मीना! क्या आज भी सुनील नहीं आया?“ ”बहनजी, वो देखिए! आज तो खाने का स्वाद दुगना हो जाएगा, काका के साथ उनका नया चेला जो है!“ मीना हँसते-हँसते बोली।


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1 Comments

  1. 📌 मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण एपिसोड - 77 । कहानी का शीर्षक - “सबसे बड़ा इंसान”
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/meena-ki-duniya-77.html

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