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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

सुनकर आश्चर्य,बेसिक शिक्षा विभाग में मृत अध्यापकों के आश्रितों के लिए सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ही नौकरी : दैव की मार, एमबीए और पीएचडी भी बने हैं चपरासी

सुनकर आश्चर्य,बेसिक शिक्षा विभाग में मृत अध्यापकों के आश्रितों के लिए सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ही नौकरी : दैव की मार, एमबीए और पीएचडी भी बने हैं चपरासी

इलाहाबाद । वे नियति का शिकार हैं और विडंबना यह कि अनुकंपा के नाम पर उन पर रहम करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग ने जिंदगी में उनके आगे बढ़ने की राह भी रोक दी है। सुनकर आश्चर्य होगा कि बेसिक शिक्षा विभाग में मृत अध्यापकों के आश्रितों के लिए सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ही नौकरी है भले ही वे कितने भी शिक्षित हों।

नतीजा यह है कि एमबीए और पीएचडी करने वाले भी विद्यालयों में चपरासी की नौकरी कर रहे हैं। विभाग ने उनके प्रमोशन की राह नहीं खोल रखी है, शिक्षा मित्र अलबत्ता उसकी प्राथमिकताओं में शामिल हैं।

प्रदेश में लगभग तीस हजार मृतक आश्रित ऐसे हैं जिन पर बेसिक शिक्षा विभाग की रहमदिली उनकी कुंठा का कारण बन गई है। उन्हें मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त किया गया है लेकिन विभाग के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उन्हें प्रशिक्षित करके शिक्षक बनने का अवसर दिया जा सके। हालांकि पहले ऐसा नहीं होता था। 2011 के पहले तक ऐसी नियुक्तियों में बीए-एमए पास लोगों को प्रशिक्षित कराकर उन्हें पदोन्नत किया जाता रहा है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद बीटीसी या टीईटी अनिवार्य कर दी गई। तब से उनके लिए कोई नियमावली ही नहीं बनाई गई।

उदाहरण के लिए बाराबंकी के जुबैर अहमद एमबीए हैं। मां के निधन के बाद उनकी जगह काम कर रहे हैं। उनके ही जिले में सात और मृतक आश्रित बीएड और टीईटी के बावजूद इसी पद पर काम कर रहे हैं। हाथरस की दीक्षा एलएलबी होकर भी चतुर्थ श्रेणी कर्मी है और नोएडा में आधा दर्जन पीएचडी चपरासी का काम करने को मजबूर हैं।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक मृतक आश्रित शिक्षणोतर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जुबेर अहमद के अनुसार पिछले दो सालों से यह मुद्दा वह सरकार के समक्ष उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि जो भी उच्च शिक्षित व्यक्ति मृतक आश्रित कोटे के तहत चतुर्थ श्रेणी पद पर काम कर रहा है, उसके लिए विभागीय तौर पर टीईटी पास करने या फिर प्रशिक्षण का रास्ता खोला जाए। ऐसा करने वालों को ही पदोन्नति दी जाए लेकिन विभाग उनकी नहीं सुन रहा है। इसी तरह इंटर करने वालों को लिपिकीय पद पर पदोन्नत किया जाए। संघ ने अब एक मुहिम के तहत सभी विधायकों से अपने लिए पत्र लिखाना शुरू किया है। इसके बाद वे विधानसभा का घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं।

यह है उत्तर प्रदेश का शिक्षा विभाग, एमबीए और पीएचडी धारक हैं चपरासी : प्रदेश में लगभग तीस हजार मृतक आश्रित ऐसे हैं जिन पर बेसिक शिक्षा विभाग की रहमदिली उनकी कुंठा का कारण बन गई

इलाहाबाद [हरिशंकर मिश्र] । वे नियति का शिकार हैं और विडंबना यह कि अनुकंपा के नाम पर उन पर रहम करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग ने जिंदगी में उनके आगे बढऩे की राह भी रोक दी है। सुनकर आश्चर्य होगा कि बेसिक शिक्षा विभाग में मृत अध्यापकों के आश्रितों के लिए सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ही नौकरी है भले ही वे कितने भी शिक्षित हों। नतीजा यह है कि एमबीए और पीएचडी करने वाले भी विद्यालयों में चपरासी की नौकरी कर रहे हैं। विभाग ने उनके प्रमोशन की राह नहीं खोल रखी है, शिक्षा मित्र अलबत्ता उसकी प्राथमिकताओं में शामिल हैं।

प्रदेश में लगभग तीस हजार मृतक आश्रित ऐसे हैं जिन पर बेसिक शिक्षा विभाग की रहमदिली उनकी कुंठा का कारण बन गई है। उन्हें मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त किया गया है लेकिन विभाग के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उन्हें प्रशिक्षित करके शिक्षक बनने का अवसर दिया जा सके। हालांकि पहले ऐसा नहीं होता था। 2011 के पहले तक ऐसी नियुक्तियों में बीए-एमए पास लोगों को प्रशिक्षित कराकर उन्हें पदोन्नत किया जाता रहा है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद बीटीसी या टीईटी अनिवार्य कर दी गई। तब से उनके लिए कोई नियमावली ही नहीं बनाई गई। उदाहरण के लिए बाराबंकी के जुबैर अहमद एमबीए हैं। मां के निधन के बाद उनकी जगह काम कर रहे हैं। उनके ही जिले में सात और मृतक आश्रित बीएड और टीईटी के बावजूद इसी पद पर काम कर रहे हैं। हाथरस की दीक्षा एलएलबी होकर भी चतुर्थ श्रेणी कर्मी है और नोएडा में आधा दर्जन पीएचडी चपरासी का काम करने को मजबूर हैं।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक मृतक आश्रित शिक्षणेतर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जुबेर अहमद के अनुसार पिछले दो सालों से यह मुद्दा वह सरकार के समक्ष उठा रहे हैं। वह कहते हैं कि हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि जो भी उच्च शिक्षित व्यक्ति मृतक आश्रित कोटे के तहत चतुर्थ श्रेणी पद पर काम कर रहा है, उसके लिए विभागीय तौर पर टीईटी पास करने या फिर प्रशिक्षण का रास्ता खोला जाए। ऐसा करने वालों को ही पदोन्नति दी जाए लेकिन विभाग उनकी नहीं सुन रहा है। इसी तरह इंटर करने वालों को लिपिकीय पद पर पदोन्नत किया जाए। संघ ने अब एक मुहिम के तहत सभी विधायकों से अपने लिए पत्र लिखाना शुरू किया है। इसके बाद वे विधानसभा का घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं।

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  1. 📌 सुनकर आश्चर्य,बेसिक शिक्षा विभाग में मृत अध्यापकों के आश्रितों के लिए सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ही नौकरी : दैव की मार, एमबीए और पीएचडी भी बने हैं चपरासी
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/blog-post_917.html

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  2. 📌 सुनकर आश्चर्य,बेसिक शिक्षा विभाग में मृत अध्यापकों के आश्रितों के लिए सिर्फ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की ही नौकरी : दैव की मार, एमबीए और पीएचडी भी बने हैं चपरासी
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/blog-post_917.html

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