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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मिड-डे मील में दूध, अंडा और फल दिए जाने की सिफारिश : नंगे पांव स्कूल जाने वाले बच्चों को नहीं मिल पा रहा है मिड-डे मील की पौष्टिकता का फायदा

मिड-डे मील में दूध, अंडा और फल दिए जाने की सिफारिश : नंगे पांव स्कूल जाने वाले बच्चों को नहीं मिल पा रहा है मिड-डे मील की पौष्टिकता का फायदा

विनोद के शुक्ल / एसएनबीनई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा बनाए गए ज्वाइंट रिव्यू मिशन (जेआरएम) ने मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करने की मिड डे मील योजना का सही फायदा न मिल पाने के लिए बच्चों के नंगे पैर स्कूल जाने को जिम्मेदार बताया है। इसके अलावा जेआरएम ने खाना बनाने वालों को प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया है। जेआरएम ने यह रिपोर्ट हरियाणा, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, केरल, कर्नाटक और सिक्किम के दौरे के बाद मंत्रालय को सौंपी है।

मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जेआरएम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बड़ी संख्या में बच्चे नंगे पैर स्कूल आते हैं इससे मिड डे मील का मकसद हल नहीं हो पा रहा है। नंगे पैर आने से इन बच्चों को कई बीमारियों के संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके अलावा ज्यादातर प्रदेशों में बच्चे अंडरवेट हैं इस कारण भी उनके लिए खतरा और बढ़ा है, इसलिए सिर्फ पौष्टिक आहार देना ही नाकाफी है और इन बच्चों को मिड डे मील के साथ इस बात का भी इंतजाम करना होगा कि बच्चे नंगे पैर न रहें।

सूत्रों ने आगे बताया कि कुछ प्रदेशों से मिड डे मील में दिए जाने वाले खाने की मात्रा घटाने की बात भी कही जा रही है, लेकिन रिपोर्ट में साफ कर दिया गया है कि खाने की मात्रा में कोई भी बदलाव नहीं होगा। प्राइमरी में 100 ग्राम और अपर प्राइमरी में 150 ग्राम खाना दिया जाता है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खाना बनाने वाले को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। साथ ही साथ कुकिंग कीमत को बढ़ाना चाहिए, क्योंकि वक्त के साथ खर्च में बढ़ोतरी होती रहती है।

रिपोर्ट में खाना पकाने पर होने वाले खर्च को महंगाई से जोड़ने को कहा गया है।इस रिपोर्ट में मिड डे मील में दूध, अंडा और फल देने पर जोर दिए जाने की बात कही गई है। साथ ही माता-पिता को इस बात की जानकारी देने को कहा गया है कि बच्चों को खाली पेट स्कूल न भेजा जाए।मिड डे मील को बेहतर करने के लिए अगर पीपीपी मॉडल पर काम करने का फायदा है तो इस दिशा में सोचने की बात भी इसमें कही गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि हर जगह खाने की टेस्टिंग का इंतजाम किया जाना चाहिए नहीं तो इस बात का पता नहीं चल पाएगा कि जो खाना दिया जा रहा है वह पौष्टिक है या नहीं और है तो कितना।

इस रिपोर्ट में बड़े स्कूलों में चपाती बनाने के लिए मशीन देने की सिफारिश की गई है। जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कुछ अवॉर्ड देने की बात भी इस रिपोर्ट में है। जेआरएम ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि कई जगह हाथ धोने के लिए मल्टीटैप फैसिलिटी नहीं है और खाने के लिए डायनिंग हॉल भी नहीं हैं, लेकिन पैसे सही समय पर न पहुंच पाना भी एक बड़ी समस्या है।

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  1. 📌 मिड-डे मील में दूध, अंडा और फल दिए जाने की सिफारिश : नंगे पांव स्कूल जाने वाले बच्चों को नहीं मिल पा रहा है मिड-डे मील की पौष्टिकता का फायदा
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/blog-post_582.html

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