मिड-डे मील तैयार करने के दौरान की स्वच्छता भी सवालों के घेरे में : पढ़ाई पर सवाल पुराना अब सेहत की अनदेखी, एमडीएम के बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में गिरावट
लखनऊ : सरकारी स्कूलों की शिक्षा के स्तर पर पहले ही सवाल उठते रहे हैं अब यहां के छात्रों के स्वास्थ्य की अनदेखी, मिड-डे मील तैयार करने के दौरान की स्वच्छता भी सवालों के घेरे में है। रविवार को विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) रिपोर्ट में मिड-डे मील (मध्यान्ह भोजन) वितरण में लापरवाही, रसोईघरों की स्वच्छता और भोजन वितरण से पहले शिक्षक व किसी एक बच्चे की मां द्वारा चखे जाने की अनदेखी का उल्लेख किया है।
कहा गया कि मध्यान्ह भोजन योजना चलने के बावजूद वर्ष 2010-11 की तुलना में सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में 7.3 फीसद की गिरावट है। छात्रों के पोषकीय स्तर में सुधार के लिए नियमित स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कराये जा रहे हैं। जबकि 2010-15 की अवधि में गुणवत्ता परख मध्यान्ह भोजन पर 7,226.65 करोड़ खर्च किये हैं। सीएजी ने रिपोर्ट में खाद्यान्न परिवहन, कोटेदारों को लाभांश देने में करोड़ों रुपये अतिरिक्त भुगतान करने का उल्लेख किया है।
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