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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

गरीब बच्चों को निशुल्क किताब व वर्दी पर सख्त निदेशालय


दिल्ली के विभिन्न निजी स्कूलों में पढ़ रहे आर्थिक रूप से पिछड़े व वंचित वर्ग बच्चों को स्कूलों की ओर से नि:शुल्क किताबें व वर्दी नहीं देने पर शिक्षा निदेशालय ने सख्त रवैया अपना लिया है। शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 (आरटीई) के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े व वंचित वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क किताबें व वर्दी उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसा न करने की सूरत में मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी।

यहां बता दें कि स्कूलों में एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में अभिभावकों की ओर से वर्दी, किताबें व लिखित सामग्री खरीदी जा रही हैं। शिक्षा निदेशालय को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही है कि निजी स्कूल आर्थिक रूप से पिछड़े व वंचित वर्ग के अंतर्गत आने वाले बच्चों को नि:शुल्क किताबें, वर्दी व लिखित सामग्री देने में आनाकानी कर रहे हैं। निदेशालय को ऐसी शिकायत भी मिल रही है कि स्कूल इसके एवज में अभिभावकों से पैसों की भी माग कर रहे हैं। इस संबंध में उपशिक्षा निदेशक (एक्ट-1) पी लता तारा की ओर से आदेश जारी कर साफ कर दिया गया है कि स्कूल गरीब वर्ग के छात्रों से वर्दी व किताबों के नाम पर पैसे की माग नहीं कर सकते हैं। यदि ऐसा करते हैं तो इसे बड़ी गंभीरता से लिया जाएगा। साथ ही आरटीई के प्रावधानों के तहत स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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