अगले सत्र से चार टेस्ट : 'एसी कमरों से बाहर निकलें शिक्षाधिकारी, करें निरीक्षण, तब सुधरेगा परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई और बच्चों के सीखने-समझने का ढर्रा
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : मुख्य सचिव आलोक रंजन ने गुरुवार को दो टूक लहजे में कहा कि जब तक निदेशक से लेकर निचले स्तर के शिक्षा अधिकारी वातानुकूलित कमरों से निकल कर स्कूलों का निरीक्षण नहीं करेंगे, तब तक परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई और बच्चों के सीखने-समझने का ढर्रा नहीं सुधरेगा। परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई का स्तर इसलिए चौपट है क्योंकि शिक्षा अधिकारी स्कूलों के दौरे बहुत कम कर रहे हैं। निदेशक और अपर निदेशक स्तर के अधिकारी भी सिर्फ कागजी कार्यवाहियों में उलङो रहते हैं।
वह होटल क्लार्क्स अवध में उप्र प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी (उपाम) और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा ‘बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर हर जगह उठ रहे सवालों पर गंभीर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार मुफ्त किताबें और यूनीफॉर्म के साथ बच्चों को मिड-डे मील दे रही है लेकिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति सिर्फ 52-53 प्रतिशत है। परिषदीय स्कूलों के शिक्षक अधिक योग्य और प्रशिक्षित होने के साथ ज्यादा वेतन पा रहे हैं फिर भी बच्चों के सीखने समझने का स्तर सोचनीय है। उन्होंने कहा कि स्कूलों का निरीक्षण करने वाले अधिकारी को बच्चों के सीखने-समझने स्तर को भी आंकना चाहिए, तभी इसमें सुधार आएगा। पढ़ाने के तरीके को रोचक बनाने के साथ शिक्षकों को भी प्रेरित करना होगा। उन्होंने परिषदीय स्कूलों में अंग्रेजी की पढ़ाई पर जोर देने के साथ शैक्षिक स्तर के आधार पर स्कूलों की ग्रेडिंग करने का भी निर्देश दिया।इस मौके पर सचिव बेसिक शिक्षा आशीष कुमार गोयल ने बताया कि अगले शैक्षिक सत्र से परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक कैलेंडर लागू होगा।
सतत और व्यापक मूल्यांकन के लिए अगले सत्र से बच्चों के चार टेस्ट होंगे। बच्चों का नामांकन और उपस्थिति बढ़ाने के लिए अगले सत्र में स्कूल चलो अभियान चार बार आयोजित होगा। एक बार अप्रैल, दूसरी बार जुलाई, तीसरी मर्तबा दीवाली की छुट्टियों के बाद और चौथा शीतकाल के अवकाश के बाद। पहली अप्रैल से स्कूलों के निरीक्षण की व्यवस्था को ऑनलाइन कर दिया जाएगा।
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