परिषदीय परीक्षा में पास नहीं होने वाले परीक्षार्थी को भी मिलेगी कक्षोन्नति : रहें टेंशन फ्री सादी कॉपी पर भी मिलेगे अंक, बाल शिक्षा अधिकार के तहत हैं कक्षोन्नति के आदेश
इलाहाबाद : क्या गजब का देश है! बिना अदालत और मुवक्किल के मुकदमा पेश है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता की यह पंक्तियां परिषदीय स्कूलों की परीक्षाओं की स्थिति बयां करने के लिए काफी है।
यूपी बोर्ड परीक्षा के तर्ज पर परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों की परीक्षा कराई जा रही है। परीक्षार्थी नकल न कर सके। इसके लिए स्टैटिक मजिस्ट्रेट, सचल दस्ता की टीम गठित की गई है। मंगलवार को जनपद के दो हजार से अधिक स्कूलों में कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों की गणित विषय की परीक्षा थी। नगर क्षेत्र समेत कई स्कूलों के परीक्षार्थी परीक्षा देने पहुंचे। लेकिन गणित के प्रश्नों को हल नहीं कर सके। इस वजह से उन्होंने सादी उत्तर पुस्तिकाएं ही जमा कर दी।
नाम न छापने की शर्त पर एक शिक्षिका ने बताया कि यह केवल गणित पेपर का ही हाल नहीं है। इससे पहले हिंदी पेपर में कुछ यूं ही हाल रहा। बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत कक्षोन्नति देने के निर्देश हैं। इस वजह से परीक्षार्थी प्रश्न भी उतार देंगे तो नंबर दिए जाएंगे। किसी विद्यार्थी को फेल नहीं किया जा सकता है।
यह परिषदीय स्कूलों की हकीकत है। ऐसे में परिषदीय स्कूलों से पासआउट होने वाले विद्यार्थियों का भविष्य कैसा होगा? यह सभी की समझ से परे है। परिषदीय स्कूलों में तैयार हो रही भविष्य की नर्सरी की नींव ही जब कमजोर हो जाएगी। तब कहां डाक्टर, वैज्ञानिक व इंजीनियर बनेंगे। पूर्व वर्षो में इन कक्षाओं का पेपर बनाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होती थी। लेकिन इस बार जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान के हवाले की गई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार ने बताया कि शैक्षिक स्तर की जांच करने के लिए परीक्षा कराई जा रही है। किसी को फेल करने के लिए नहीं।
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