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एससी/एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रमोशन में कोटा देने को बाध्य नहीं सरकार, पदावनति रोकने की सभी याचिकाएं खारिज

एससी/एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रमोशन में कोटा देने को बाध्य नहीं सरकार, पदावनति रोकने की सभी याचिकाएं खारिज

नई दिल्ली : यूपी में प्रमोशन में आरक्षण मामले में डिमोशन की कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से मना कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में दिए गए आदेश में बदलाव से भी इनकार कर दिया। याचिका में कहा गया था कि जिन कर्मचारियों को कोटे से प्रमोशन दिया जा चुका है, उन्हें डिमोट न किया जाए और इस कार्रवाई से पहले सर्वे किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एससी/एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य नहीं है। इसके लिए राज्य सरकार बाध्य नहीं हैं।

उच्चतम न्यायालय ने खारिज की पदावनति रोकने की सभी याचिकाएं

🌑 पदोन्नति में आरक्षण पाए कर्मी हों रिवर्ट: शैलेंद्र दुबे 

🌑 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण का लाभ पाकर पदोन्नत किए गए कार्मिकों को पदावनत करने को न्यायिक ठहराए जाने का स्वागत कर प्रदेश सरकार से प्रक्रिया शुरू करने की उठाई मांग

नई दिल्ली/लखनऊ (भाषा/ डीएनएन)। उत्तर प्रदेश की सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ पाकर पदोन्नत किए गए कार्मिकों को पदावनत करने को न्यायिक ठहराते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पदावनति रोकने की सभी याचिकाओं को खारिज करने का शुक्रवार को फैसला सुनाया। याचिकाएं खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह न तो कानून बना सकता है और न ही कार्यपालिका को नीतिगत मामलों यथा नौकरी में पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने जैसे मामलों पर कानून बनाने का निर्देश दे सकता है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने कहा कि इसे साफ तौर पर कहा जाए अदालतें कोई नीति नहीं बनाती हैं और ऐसा कुछ भी बनाने से दूर रहती हैं जो आरक्षण पर कानून, नियम और नियमन या नीति होगा। जिन याचिकाओं को खारिज किया गया उसमें यूपी सरकार को सेवाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए उनके प्रतिनिधित्व के संबंध में जरूरी गुणात्मक आंकड़ों के संग्रह के लिए सर्वेक्षण कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी।वहीं फैसले का सर्वजन हिताय संरक्षण समिति ने स्वागत करते हुए उप्र सरकार से मांग की है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुपालन में शीघ्रातिशीघ्र कार्रवाई कर समस्त विभागों में शेष बचे कार्मिकों को भी अविलंब पदावनत किया जाए और रिक्तपदों पर ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नतियां सुनिश्चित की जाएं।

समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे व अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिए ऐतिहासिक फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि पदोन्नति में आरक्षण असंवैधानिक है, और इस आधार पर पदोन्नति पाए सभी कार्मिकों के पदावनति की प्रक्रिया पूरी तरह न्याय सम्मत है। इस संबंध में पदावनति रोकने विषयक सभी याचिकाएं खारिज कर सर्वोच्च न्यायालय ने स्वागत योग्य कदम उठाया है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एम नागराज के मामले में दिया गया निर्णय अंतिम है और उस पर पुनर्विचार का सवाल ही नहीं उठता। इस संबंध में नए सिरे से संख्यात्मक आंकड़े एकत्र करने की याचिका भी खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संख्यात्मक आंकड़े आदि एकत्र करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया जाएगा। फैसले के परिप्रेक्ष्य में समिति के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों विशेषतया भाजपा और कांग्रेस से अपील की है कि वे सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करें और वोट की राजनीति में लाए गए 117वें संविधान संशोधन बिल को पूरी तरह वापस लें। समिति ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी सेवाओं में जाति के स्थान पर योग्यता और ज्येष्ठता को सम्मानित किया है जिस पर राजनीति बंद होनी चाहिए।

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1 Comments

  1. 📌 एससी/एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देना सरकार का संवैधानिक कर्तव्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रमोशन में कोटा देने को बाध्य नहीं सरकार, याचिका खारिज
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/blog-post_34.html

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