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प्रथम पत्नी को ही पेंशन और सेवानिवृत्ति का लाभ : यह फैसला हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा जी की खंडपीठ ने दिया

प्रथम पत्नी को ही पेंशन और सेवानिवृत्ति का लाभ : यह फैसला हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा जी की खंडपीठ ने दिया

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की एक से अधिक पत्नियां हैं तो उसकी मृत्यु पर प्रथम विवाहित पत्नी को ही पेंशन और सेवानिवृत्ति का लाभ मिलेगा। ऐसा तभी होगा जब कर्मचारी ने किसी पत्नी को नामित न किया हो। कोर्ट ने यह भी कहा है कि ज्येष्ठ पत्नी से तात्पर्य उस पत्नी से है, जिसका विवाह पहले हुआ है, भले ही वह आयु में कम हो।

यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने फर्रुखाबाद की मीना देवी की विशेष अपील पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अन्य सेवानिवृत्त लाभों ग्रेच्युटी, फंड आदि का लाभ उसी पत्नी को मिलेगा जिसे कर्मचारी ने सर्विस रिकार्ड में नामित किया हो। यदि किसी को नामित नहीं किया गया है तो लाभ ज्येष्ठ पत्नी को ही मिलेगा। याची मीना देवी के पति पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर थे। उन्होंने दो शादियां और की थीं। पति की मृत्यु पर तीनों पत्नियों ने पेंशन व अन्य परिलाभों के लिए दावा किया। संबधित एसपी ने जांच क्षेत्रधिकारी को सौंपी।

पहली पत्नी ही पेंशन की हकदार, मृत कर्मचारी के मामले में हाईकोर्ट का फैसला

विधि संवाददाताइलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि जहां किसी मृतक कर्मचारी की कई पत्नियां हों वहां ज्येष्ठ पत्नी ही पारिवारिक पेंशन की हकदार होगी। बशर्ते मृतक कर्मचारी ने सेवा पुस्तिका में किसी एक को नामित न किया हो। इसी प्रकार से अन्य सेवानिवृत्त परिलाभोें के संबंध में कोर्ट का कहना था कि मृतक कर्मी द्वारा सेवा पुस्तिका में जिसके नाम का उल्लेख होगा उन्हीं को यह लाभ मिल सकता है। अन्यथा कि स्थिति में ज्येष्ठ पत्नी का ही हक होगा। फर्रूखाबाद की मीना देवी द्वारा दाखिल विशेष अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डी.वाई. चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने यह आदेश दिया। मीना देवी के पति पुलिस विभाग में दरोगा थे। वर्ष 2014 में उनकी मृत्यु हो गयी। अपीलार्थी पत्नी ने पारिवारिक पेंशन और अन्य लाभों के भुगतान के लिए अर्जी दी थी। इसी प्रकार की अर्जी मृतक दरोगा की दो अन्य पत्नियों ने भी दी थी। दरोगा की कुल तीन पत्नियां थी। विवाद होने पर एसपी ने क्षेत्राधिकारी को जांच दी।

सीओ ने तीनों को बुलाकर समझौता कराने का प्रयास किया मगर सफल नहीं हुआ। उसने रिपोर्ट दी कि तीनों विधवाओं में पेंशन व सेवाजनित परिलाभों को लेकर विवाद हो सकता है। सुलह की उम्मीद नहीं। कोर्ट के आदेश से ही निर्णय हो सकता है। पहली पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर पेंशन व अन्य लाभों की मांग की। एकल पीठ ने याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि तीनों में अपने-अपने हक को लेकर झगड़ा है इसलिए कोर्ट कोई आदेश पारित नहीं कर सकती। एकल पीठ के फैसले को विशेष अपील में चुनौती दी गयी थी। स्थायी अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय ने कोर्ट के समक्ष पारिवारिक पेंशन संबंधी विभागीय सर्कुलर पेश कर बताया कि सर्कुलर रिटायरमेंट बेनिफिट रूल्स 1961 के प्राविधानोें के अनुरूप है। बताया कि नियमावली में ऐसे मामले में ज्येष्ठ विधवा को ही पारिवारिक पेंशन का हक है। जहां कर्मचारी की कई पत्नियां हों। कोर्ट ने कानूनी व्यवस्था स्पष्ट करते हुए संबंधित पुलिस अधीक्षक को तीन माह में इस मामले को निस्तारण करने के लिए कहा है।

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