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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

शिक्षा विभाग के 76 अफसरों को बड़ी राहत, पदनाम व अन्य लाभ नहीं मिल रहे थे, उनका राह डेढ़ बरस बाद खुली : सुप्रीम कोर्ट ने डेढ़ बरस बाद हटाई डीपीसी पदस्थापन पर लगी रोक

शिक्षा विभाग के 76 अफसरों को बड़ी राहत, पदनाम व अन्य लाभ नहीं मिल रहे थे, उनका राह डेढ़ बरस बाद खुली : सुप्रीम कोर्ट ने डेढ़ बरस बाद हटाई डीपीसी पदस्थापन पर लगी रोक

इलाहाबाद। शिक्षा विभाग के 76 अफसरों को बड़ी राहत मिल गई है। प्रमोशन सूची में जिनका नाम होने पर भी पदनाम व अन्य लाभ नहीं मिल रहे थे। उनका राह डेढ़ बरस बाद खुल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) के अनुपालन पर लगे स्थगनादेश को हटा लिया है। अब इसी हफ्ते अफसरों का शैक्षिक सेवा समूह ‘क’ के पद पर नियुक्ति आदेश जारी होना लगभग तय है। वहीं प्रमोशन पाने वालों को उसी के अनुरूप दायित्व भी मिलेगा।

प्रदेश शैक्षिक (सामान्य शिक्षा संवर्ग) सेवा समूह ‘ख’ के 171 अधिकारियों का समूह ‘क’ में प्रमोशन होना था। समूह ‘ख’ के तहत वरिष्ठ प्रवक्ता डायट, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कालेज, बेसिक शिक्षा अधिकारी व अन्य प्रशासनिक पदों में यह अधिकारी कार्यरत रहे हैं। इनका जिला विद्यालय निरीक्षक, एडी बेसिक एवं समकक्ष स्तर पर प्रमोशन होना था।

सात जुलाई 2014 को तत्कालीन प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में डीपीसी हुई। इसमें केवल 76 अफसरों को ही प्रमोशन का लाभ दिया गया। वहीं अन्य अफसरों के खिलाफ जांच प्रक्रिया एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित बताई गई। इसलिए उनके प्रमोशन पर विचार ही नहीं हुआ। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठता के मुकदमे की सुनवाई करते हुए शासन को डीपीसी के अनुपालन से रोका था। हालांकि डीपीसी की सूची सार्वजनिक हो गई थी और सभी प्रोन्नत अफसरों को कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश भी हुआ।

शासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संज्ञान लेकर प्रमोशन प्रक्रिया का रूप बदल दिया। यानी प्रमोशन पाने वाले सभी अफसर जिस पद पर कार्यरत थे उन्हें वहीं कार्य करते रहने का निर्देश हुआ। जिन लोगों को प्रमोशन वाला दायित्व मिला उनके पदनाम के आगे प्रभारी जोड़ दिया गया। इससे प्रमोशन सूची सामने आने पर भी अफसरों को वास्तविक लाभ नहीं मिल सका। कई अफसर ऐसे भी हैं जिनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई होने और जांचें लंबित होने का हवाला देकर शिक्षा निदेशालय ने पत्र भेजा था।

वह प्रमोशन पा गए। दूसरी ओर कई अफसरों के इसी आधार पर लिफाफे नहीं खोले गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने डीपीसी के अनुपालन पर किया गया स्टे खत्म कर दिया है। इससे अफसरों को प्रमोशन का लाभ मिलने एवं उनका पदनाम जारी होने का रास्ता खुल गया है। हालांकि वरिष्ठता प्रकरण की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी रहेगी। इस आदेश के बाद से अफसर गदगद हैं और इसी हफ्ते शासन से प्रमोशन लिस्ट जारी होने की उम्मीद है। इसमें तमाम प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक एवं इलाहाबाद के बीएसए आदि शामिल हैं।

क्या है मामला

सामान्य शिक्षा संवर्ग समूह ‘ख’ के तहत विभाग ने वरिष्ठ प्रवक्ता डायट को 1992 की शिक्षा नियमावली में जुड़वाया था। ऐसे में वरिष्ठता निर्धारण करने के लिए मुकदमा हुआ। उच्च न्यायालय के निर्देश पर नई वरिष्ठता सूची भी बनी। इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। उसी बीच शासन ने नई वरिष्ठता सूची बना दी और डीपीसी की तैयारी शुरू कर दी। तब सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए डीपीसी के अनुपालन पर अगले आदेश तक रोक लगाई थी।

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  1. 📌 शिक्षा विभाग के 76 अफसरों को बड़ी राहत, पदनाम व अन्य लाभ नहीं मिल रहे थे, उनका राह डेढ़ बरस बाद खुली : सुप्रीम कोर्ट ने डेढ़ बरस बाद हटाई डीपीसी पदस्थापन पर लगी रोक
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/76.html

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