logo

Basic Siksha News.com
बेसिक शिक्षा न्यूज़ डॉट कॉम

एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

कैग ने प्राथमिक विद्यालयों में चल रही मध्यान्ह भोजन योजना को सही ढंग से नहीं लागू किए जाने के लिए प्रदेश सरकार की भूमिका को असंवेदनशील करार दिया : पांच वर्षों में 17 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष सरकार केवल 13 लाख टन अनाज ही उठा सकी

कैग ने प्राथमिक विद्यालयों में चल रही मध्यान्ह भोजन योजना को सही ढंग से नहीं लागू किए जाने के लिए प्रदेश सरकार की भूमिका को असंवेदनशील करार दिया : पांच वर्षों में 17 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष सरकार केवल 13 लाख टन अनाज ही उठा सकी

लखनऊ। देश के महालेखापरीक्षक और नियंत्रक (कैग) ने प्राथमिक विद्यालयों में चल रही मध्यान्ह भोजन योजना को सही ढंग से नहीं लागू किए जाने के लिए प्रदेश सरकार की भूमिका को असंवेदनशील करार दिया है। कैग की विधानसभा में रविवार को पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र आधारित यह योजना सही ढंग से लागू नहीं हो पा रही है जिसके कारण 2010 से 2015 तक छात्रों की संख्या में गिरावट आई है। 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य ही अधर में लटकता दिखाई पड़ रहा है।

कैग ने कहा है कि 2010-11 में छात्रों की संख्या 1.59 करोड़ से घटकर 2014-15 में 1.34 करोड़ हो गई। पांच वर्षों में छात्रों की संख्या में सात फीसदी की गिरावट आई। वर्ष 2010 से 2015 तक इस योजना में 7,227 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस दौरान वित्तीय अनियमितताएं भी देखी गईं। रिपोर्ट के अनुसार बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं उपलब्ध कराई गई। 21 जिलों के 603 विद्यालयों के भौतिक सत्यापन से यह बात उभरकर आई। बच्चे के स्वास्थ्य कार्ड भी नहीं पाए गए। योजना के लिए खाद्यान्नों के उठान भी ठीक ढंग से नहीं की गई।

पांच वर्षों में 17 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष सरकार केवल 13 लाख टन अनाज ही उठ सकी। राज्य सरकार ने 2006 से 2015 तक 1.13 लाख रसोईघर बनाने लिए 724 करोड़ रुपए खर्च किए। आडिट के दौरान रसोईघरों के निर्माण में काफी कमियां पाई गईं। रसोईघरों में दरवाजे तक सही से नहीं लगाए गए हैं। बिजली की व्यवस्था नहीं पाई गई। 21 फीसदी स्कूलों में तो रसोईघर ही नहीं पाए गए। 42 प्रतिशत विद्यालयों में गैस कनेक्शन नहीं थे। कैग ने अपनी रिपोर्ट में उच्चतम न्यायालय के कम से कम 200 दिन मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश का उल्लंघन का भी आरोप लगाया है। रिपोर्ट के मुताबिक 56 हजार स्कूलों में पांच वर्षों में औसतन 102 दिन ही भोजन दिया गया। कई स्कूलों में प्रशिक्षित रसोइया ही नहीं पाए गए।

कैग (CAG) की रिपोर्ट से हुआ खुलास:-

🌑 2010-11 में छात्रों की संख्या 1.59 करोड़ से घटकर 2014-15 में 1.34 करोड़ हो गई

🌑 वर्ष 2010 से 2015 तक इस योजना में 7,227 करोड़ रुपए खर्च हुए

🌑 बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं उपलब्ध कराई गईं

🌑 बच्चों के स्वास्थ्य कार्ड भी नहीं पाए गए

🌑 पांच वर्षों में 17 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष सरकार केवल 13 लाख टन अनाज ही उठा सकी

मिड डे मील का माल उड़ा ले गए NGO : लखनऊ में एक साल में एनजीओ को हुआ 22 लाख का गलत भुगतान

लखनऊ : प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की सेहत बनाने के लिए शुरू किया गया मिड डे मील प्रधानों और एनजीओ के पेट भरता रहा। कैग की रिपोर्ट के हिसाब से लखनऊ में ही 21 एनजीओ को महज एक साल में रसोइया के मानदेय के नाम पर 22 लाख रुपये ज्यादा भुगतान कर दिए गए। भोजन का पोषण जांचा गया न स्वच्छता के मानक पूरे किए गए। 

कैग का कहना है कि योजना का उद्देश्य बच्चों की सेहत सुधारना था लेकिन पिछले पांच सालों में बच्चों के पोषण स्तर पर कोई बेसलाइन सर्वे ही नहीं किया गया। अनाज का बफर स्टाक होते हुए भी उसका आवंटन नहीं हुआ जिसके चलते लोकल परचेज से काम चलाया गया।

आधे दिन ही भोजन : सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि एमडीएम कम से कम 200 दिन उपलब्ध कराया जाए। हालांकि 2010-15 के बीच करीब 57 हजार स्कूलों में महज 102 दिन ही एमडीएम बंटा। इन स्कूलों में निर्धारित छात्र संख्या अनुपात से 10 से 88 फीसदी तक भोजन की कमी रही। 48 फीसदी स्कूलों में रसोइयों को सफाई की ट्रेनिंग नहीं दी गई न ही सेहत का ख्याल रखा गया। 21 जिलों में 62 फीसदी स्कूलों में कोई स्वास्थ्य परीक्षण नहीं किया गया। करीब 27 करोड़ रुपये का अनाज प्रधान दबा गए लेकिन उनकी रिकवरी नहीं हो सकी।

बीते दस बरस का हाल

• 724 करोड़ रुपये 1 लाख स्कूलों में रसोईघर बनवाने में खर्च
• 18 फीसदी में दरवाजे ही नहीं लगे
• 16 फीसदी में लाइट नहीं 
• 34 फीसदी में जल निकासी का जरिया नहीं
• 21 फीसदी स्कूल में भंडार गृह नहीं
• 42 फीसदी स्कूलों में रसोई गैस कनेक्शन नहीं

Post a Comment

1 Comments

  1. 📌 कैग ने प्राथमिक विद्यालयों में चल रही मध्यान्ह भोजन योजना को सही ढंग से नहीं लागू किए जाने के लिए प्रदेश सरकार की भूमिका को असंवेदनशील करार दिया : पांच वर्षों में 17 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष सरकार केवल 13 लाख टन अनाज ही उठा सकी
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/17-13.html

    ReplyDelete