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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मन की बात : जैसा की आप सब ये तो जानते ही हैं कि 14 मार्च से हमारे परिषदीय बच्चों के एग्जाम शुरू हो रहे है, हमारे स्कूलों पर जो धब्बा लगा हुआ है कि यहां गरीब बच्चे पढ़ते है, यहां के अध्यापक पढ़ाते नहीं आदि-आदि.............

मन की बात : जैसा की आप सब ये तो जानते ही हैं कि 14 मार्च से हमारे परिषदीय बच्चों के एग्जाम शुरू हो रहे है, हमारे स्कूलों पर जो धब्बा लगा हुआ है कि यहां गरीब बच्चे पढ़ते है , यहां के अध्यापक पढ़ाते नहीं आदि-आदि.............

नमस्कार।

हाँ तो सभी साथियों को मेरा प्रणाम

आप सुन रहे हैं मन की बात

आप सब ये तो जानते ही हैं कि 14 मार्च से हमारे परिषदीय बच्चों के एग्जाम शुरू हो रहे हैं। हमें इस घड़ी में उनका साथ देते हुए उनको हौसला देना चाहिए कि इस बार परीक्षा को गंभीरता से लें, और एक नई पहल करते हुए नई व्यवस्था शुरू करें।

हमारे स्कूलों पर जो धब्बा लगा हुआ है कि यहां गरीब बच्चे पढ़ते है , यहां के अध्यापक पढ़ाते नही है, यहां के बच्चे रोजाना स्कूल नही आते हैं, ड्रेस और MDM आदि की गुणवत्ता ठीक नही है, बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा झाड़ू आदि लगवाया जाता है आदि आदि।

हमें अपने बारे में, अपने स्कूलों के बारे में और विभाग के बारे में अब स्वयं इन दुष्प्रचारों और  इन भ्रमो को दूर करना होगा। हमें स्वयं अपने आपको सक्षम रखते हुए हर गलत कार्य का, हर गलत प्रथा का, हर गलत योजना का, हर गलत दबाव का विरोध करना होगा,
और हमें स्वयं ही एक नई पहल करते हुए अपने प्रयासों को एक नई दिशा देना होगा, तभी हमारे स्कूलों का कायाकल्प हो सकेगा।

सरकारों ने हमारे विद्यालयों को चौपट करने, उन्हें बंद करने, उन्हें बदनाम करने, उन्हें शिक्षा के मंदिर से ज्यादा गैर शैक्षिक कार्यों का ऑफिस बनाने की कोई कसर नही छोड़ी है,

कभी MDM बँटवाती है तो कभी दूध, कभी फल बांटने के आदेश तो कभी भैंस पालने के आदेश, कभी सेनेटरी पैड बांटने के आदेश तो कभी ड्रेस और जर्सी,

ऐसा लगता है कि मानो सारा गरीब समाज परिषदीय स्कूलों के अध्यापक अध्यापिकाओं के ही जिम्मे हो।

कभी बाल गणना तो कभी जनगणना,
कभी पोलियो ड्राप तो कभी कृमि निवारण दवाई, ऐसी न जाने कितनी योजनाएं सरकारें हमारे जरिये चला रही है।

जबकि हमारा काम शिक्षा देना है न कि ये सब काम करना।हमें अपने आपको सक्षम बनाते हुए इन कार्यों का समय से विरोध करके इनसे छुटकारा पाने की ठोस पहल करनी होगी।

साथ ही इन तमाम परेशानियो के बीच भी जो साथी अपनी पूरी लगन और मेहनत से काम कर रहे हैं, अपने अपने स्कूल को एक नई दिशा प्रदान कर रहे है, उनका कार्य वास्तव में सराहनीय है।

जहां एक तरफ सरकार ने गैर शैक्षणिक कार्य कराते हुए शिक्षकों का मान सम्मान और हौसला तोड़ा है वहीँ कुछ साथी जी तोड़ म्हणत करके बेसिक शिक्षा को एक नई दिशा देने में लगे हुए हैं। निश्चित ही ऐसे साथी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं।

हमें भी ऐसे मेहनती साथियों से सीख लेनी होगी और अपने स्कूलों का स्वयं विकास करना होगा, सरकार हमें साल भर में रंगाई-पुताई और रख-रखाव के लिए अधिक से अधिक 10 से 15 हजार सालाना देती है , इससे ज्यादा सरकार नही दे पाएगी कभी।

ऐसे में हमें अपने  स्कूलों को आपसी सहयोग और समाज के सज्जन संभ्रांत लोगों से मदद की अपील करके स्वयं  विकसित करना होगा ।

स्कूल में आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में काम आने वाली चीजें जैसे लैपटॉप, प्रोजेक्टर, बेंच, टेबल आदि सभी सामान की स्वयं व्यवस्था करनी होगी। अन्यथा एक तरफ जहां पब्लिक स्कूल हर सुविधाओं से सुसज्जित होंगे वहीँ हमारे स्कूल मुंह चिढ़ा रहे होंगे। ऐसे में हर अभिभावक चाहेगा कि उसका बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े,

अभिभावक की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण यदि अभिभावक अपने बच्चों को कम सुविधा वाले स्कूल में भेजते हैं तो उनका मकसद शिक्षा ग्रहण करना न होकर सिर्फ सरकारी सुविधाएं पाना होगा। और ऐसे बच्चों और अभिभावकों को हम कभी आगे नही ला सकेंगे जो मात्र सरकारी सुविधाएं पाना चाहते हों।

इसलिए हमें उठ खड़ा होना है, जाग जाना है, और अपने प्रयासों को एक नई दिशा देते हुए अपने स्कूलों को अच्छा बनाने का बीड़ा उठाना है,  ताकि हम अपने कार्यस्थल को ऐसा कर सकें जहां काम करने की दशाएं ऐसी हों कि हर बच्चा स्कूल आना चाहे, हर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से रोक न पाये, और समाज का हर नागरिक हमारे स्कूलों को सम्मान की नजर से देखे तथा हमें भी अपने कार्यों पर गर्व हो।

मन की बात में आज के लिए बस इतना ही। अंत में एक प्रसिद्द शेर के साथ अपनी बात का समापन करना चाहूँगा

कौन कहता है कि आसमां में छेद नही हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।

नियाज़ मीर
ई0प्र0 प्रा0 वि0 कचैड़ा वारसाबाद
ब्लाक बिसरख, जनपद गौतम बुद्ध नगर

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2 Comments

  1. 📌 मन की बात : जैसा की आप सब ये तो जानते ही हैं कि 14 मार्च से हमारे परिषदीय बच्चों के एग्जाम शुरू हो रहे है, हमारे स्कूलों पर जो धब्बा लगा हुआ है कि यहां गरीब बच्चे पढ़ते है, यहां के अध्यापक पढ़ाते नहीं आदि-आदि.............
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/14_10.html

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  2. 📌 मन की बात : जैसा की आप सब ये तो जानते ही हैं कि 14 मार्च से हमारे परिषदीय बच्चों के एग्जाम शुरू हो रहे है, हमारे स्कूलों पर जो धब्बा लगा हुआ है कि यहां गरीब बच्चे पढ़ते है, यहां के अध्यापक पढ़ाते नहीं आदि-आदि.............
    👉 http://www.basicshikshanews.com/2016/03/14_10.html

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