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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

मिड-डे मील से 125 बच्चे बीमार, ग्रामीणों ने दो ब्लाक सह समन्वयकों को पीटा : प्रधानाध्यापक समेत चार निलंबित, प्रेरक और रसोइयों की सेवा समाप्त, ग्रामीणों के कोपभाजन बने अधिकारी

मिड-डे मील से 125 बच्चे बीमार, ग्रामीणों ने दो ब्लाक सह समन्वयकों को पीटा : प्रधानाध्यापक समेत चार निलंबित, प्रेरक और रसोइयों की सेवा समाप्त, ग्रामीणों के कोपभाजन बने अधिकारी

🌑  इलाज के बाद एंबुलेंस से घर भेजे गए 104 बच्चे
🌑 अफरा-तफरी के बीच स्थिति काबू करना रहा चुनौती
🌑 ग्रामीणों के कोपभाजन बने अधिकारी

बलिया : बेलहरी ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर में शनिवार को मिड-डे-मील की पूड़ी-सब्जी खाने से 125 बच्चों की हालत बिगड़ गई। भोजन को चखने से तीन रसोइयों की भी हालत खराब हो गई। जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने कुछ ही घंटों में बच्चों की बिगड़ती हालत को नियंत्रित कर लिया।

उधर ग्रामीणों ने विद्यालय पर सह ब्लाक समन्वयक शशिकांत ओझा व ब्रज किशोर पाठक को पीट दिया और हंगामा किया। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी डॉ.राकेश सिंह ने प्रधानाध्यापक प्रतिमा उपाध्याय व सहायक अध्यापक गण अनुराधा, देवेंद्र प्रसाद व भोला भारती को निलंबित कर दिया है। वहीं प्रेरक दिलीप राम व रसोइया ललिता देवी, गीता व रंजू देवी की सेवा समाप्त कर दी गई है।

बलिया : बेलहरी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर पर एमडीएम खाने से अस्वस्थ हुए बच्चों को जिला चिकित्सालय में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। इस प्रकार स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता के कारण तत्काल समुचित इलाज होने से सभी बच्चे स्वस्थ हो गए। सभी बच्चों को एंबुलेंसों से उनके घर पहुंचाया गया।

सीएमओ डा.पीके सिंह ने बताया कि 104 बच्चे शाम छह बजे तक घर भेज दिए गए। मिड-डे-मील खाने से इन बच्चों को अचानक उल्टी होने लगी। घटना की सूचना मिलते हुए जिला प्रशासन द्वारा तत्काल बच्चों को एंबुलेंस एवं अन्य प्राइवेट वाहनों से जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। अस्पताल में इलाज के लिए सीएमओ डॉ.पीके सिंह के नेतृत्व में सरकारी डॉक्टरों एवं नर्सेज के अलावा प्राइवेट डॉक्टरों को भी लगाया गया। जिससे सभी बच्चों के स्वास्थ्य में तुरंत सुधार हो गया। इस प्रकार सभी बच्चे ठीक-ठाक हैं।

घटना की जानकारी मिलते ही प्रभारी जिलाधिकारी के बालाजी, पुलिस अधीक्षक मनेाज कुमार झा, अपर जिलाधिकारी केपी सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट बच्चालाल मौर्य, सीओ केसी सिंह पूरे दलबल के साथ वहां पहुंच गए। उधर, बीएसए राकेश सिंह तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए और आवश्यक कार्रवाई में जुट गए।

बच्चों की बीमारी की खबर से पूरा गांव विद्यालय पर उमडा़ गया। जनता के आक्रोश के आगे हर कोई विवश हो गया था। वहां पर पहुंचे बीएसएस डा.राकेश सिंह, एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों को जनता ने जमकर खरी खोटी सुनाई। इसे नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूटने लगे। स्थिति बेकाबू देख हल्दी एसओ सुरेश सिंह ने इसकी सूचना तत्काल एसपी को दी। इस पर कई और थानों की फोर्स वहां पहुंच गई। पुलिस ने वहां से किसी तरह से अधिकारियों समेत अध्यापकों को बाहर निकाला। ग्रामीण विद्यालय की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते रहे। अधिकारी इनकी बातें सबकुछ सुनते रहे। बीएसए मौके से पूरे घटना चक्र की जानकारी उच्चाधिकारियों को मोबाइल पर देते रहे।

हल्दी थाना क्षेत्र के बहादुरपुर प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे-मील खाने के बाद बीमार बच्चों का उपचार डॉक्टरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। क्योंकि मौके पर हजारों की भीड़ जुटी थी और ऐसे मौके पर पूर्व के अवसरों पर चिकित्सकों संग नोकझोंक की घटनाएं भी हुई थीं। प्रशासनिक सूझबूझ व चिकित्सकों की तत्परता का ही नतीजा रहा कि कोई बड़ा हादसा नहीं हो सका। इस घटना की सूचना पूरे जनपद में तेजी से फैल गई। इधर प्रशासनिक अमला व जिला अस्पताल प्रबंधन बच्चों के इलाज के लिए पूरी तरह से तैयारी में जुट गया। हर कदम अस्पताल की तरफ चल दिए। देखते ही देखते काफी संख्या में लोग जुट गए। हर कोई बच्चों के इलाज के बारे में जानकारी लेना चाहता था। भीड़ बढ़ती देख पुलिस ने इसे नियंत्रित करते हुए मुख्य गेट पर ही रोक दिया। हर दल के लोग भी पहुंच गए। वहीं सत्ता पक्ष के लोग भी इलाज की व्यवस्था में लगे रहे। पूर्व विधायक मंजू सिंह, सपा जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह, बबलू तिवारी, लक्ष्मण गुप्ता, भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी, अनूप चौबे, पूर्व चेयरमैन संजय उपाध्याय, सीओ सिटी क सी सिंह, ओक्डेनगंज चौकी इंचार्ज सत्येंद्र कुमार राय व कई शिक्षक नेता पूरी तत्परता से लगे रहे।

खाना बनने के बाद उसे रसोइयों ने चखा भी था। उन्हें संदेह भी हुआ था। इसके बाद भी वह बच्चों के बीच कैसे परोस दीं यह हर किसी की जुबान पर था। इन सभी ने अगर थोड़ी सी तत्परता दिखाई होती तो शायद इतना बढ़ा हादसा नहीं होता। खाना का स्वाद बिगड़ने व कुछ अलग लगने के बाद भी इन सभी ने इसे फेंकना उचित नहीं समझा। संयोग से बेहतर इलाज मिलने के कारण बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित हो गए लेकिन कोई हादसा हो जाता तो स्थित क्या हो

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