शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूलों के लिए नियम बराबर : सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी स्कूलों को भी शिक्षा के अधिकार के तहत तय नियमों का पालना करना अनिवार्य
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि निजी स्कूलों के साथ-साथ सरकारी स्कूलों के लिए भी शिक्षा का अधिकार कानून के तहत संबंधित राज्य सरकारों से अनिवार्य मान्यता लेना जरूरी है। एक एनजीओ द्वारा लगाई गई याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे स्कूलों के पास छात्रों को पढ़ाने के लिए अनिवार्य मान्यता नहीं है।
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की पीठ के समक्ष मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों के नेतृत्व में चल रहे सभी स्कूल अनिवार्य मान्यता प्राप्त करने के बाद ही चलाए जा रहे हैं। उक्त एनजीओ को ऐसा क्यों लगता है कि सारे नियम व कानून केवल निजी स्कूलों के लिए बने हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी स्कूलों को भी शिक्षा के अधिकार के तहत तय नियमों का पालना करना अनिवार्य है।
एनजीओ इंडिपेंडेंट ने याचिका में कहा था कि सरकारी स्कूलों द्वारा शिक्षा के अधिकार की धारा- 18.1 के तहत अनिवार्य मान्यताएं प्राप्त न करना संविधान का उल्लंघन है। शिक्षा का अधिकार कानून वर्ष 2009 में आया था, जिसे वर्ष 2010 में लागू कर दिया गया था। यह कानून साफ कहता है कि सभी सरकारी व निजी स्कूलों के लिए राज्य सरकार से मान्यता लेना अनिवार्य है। सभी स्कूलों की मान्यता का सर्टिफिकेट हर तीन साल में नवीनीकरण किया जाता है। ऐसा नहीं करने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
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