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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

कई अहम विभाग अपने बजट को ही नहीं खर्च कर पाते हैं। इस पर वित्त विभाग क्यों नहीं विभागों की नकेल कसता?

कई अहम विभाग अपने बजट को ही नहीं खर्च कर पाते हैं। इस पर वित्त विभाग क्यों नहीं विभागों की नकेल कसता?

🌑 बजट में सरकार को राजस्व देने वाले विभागों का टारगेट बढ़ाया गया है। क्या इससे जनता पर टैक्स का कुछ बोझ बढ़ेगा?

🌕 बजट में किसी भी तरह की टैक्स वृद्धि नहीं की गई है, केवल विभागों का टारगेट बढ़ाया गया है। कुछ चीजों में टैक्स बढ़ोतरी करनी है या नहीं जरूरत पड़ने पर विभाग इस पर फैसला लेंगे। 

बजट में जिस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है। उससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। अर्थव्यवस्था बढ़ने से विभागों का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि विभागों को जनता पर बोझ डालने की जरूरत पड़ेगी। 

🌑 कई अहम विभाग अपने बजट को ही नहीं खर्च कर पाते हैं। इस पर वित्त विभाग क्यों नहीं विभागों की नकेल कसता?

🌕 विभागों को आवंटित बजट समय से खर्च हो इसके लिए वित्त विभाग समय-समय पर मॉनिटरिंग करता है। बजट खर्च हो इसके लिए हमने नियम भी आसान किए हैं। अब ये व्यवस्था कर दी गई है कि विभाग प्रमुख सचिव स्तर से 25 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे सकते हैं। 

पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष में बजट की राशि से 31, जनवरी तक करीब 38,000 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च किए गए हैं। इसमें से 20,000 करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुए हैं। जो कि काफी बेहतर है। 

🌑 प्रदेश सरकार पर जीडीपी का 30 प्रतिशत कर्ज है। ऐसे में वित्तीय अनुशासन के लिए क्या कदम उठाएंगे ?

🌕 बजट में कर्ज का जो बड़ा हिस्सा दिखा रहा है, उसकी एक बड़ी वजह बिजली कंपनियों का कर्ज सरकार द्वारा चुकाना है। बिजली कंपनियों का कर्ज चुकाने के लिए सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। वित्तीय अनुशासन के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है।

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