शिक्षा के अधिकार का पालन न होने पर मांगा जवाब : प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि सरकारी स्कूलों में सीट उपलब्ध न होने पर ही निजी स्कूलों में दाखिला कराया जाए।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश में निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून का मामला उच्च न्यायालय में फिर गूंजा। हाईकोर्ट ने सूबाई सरकार से जवाब-तलब किया है साथ ही चार सप्ताह में इस मामले में संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कि आरटीई एक्ट के प्रावधान के तहत कम से कम 25 प्रतिशत बच्चों को निजी शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश दिलाना जरूरी है।
एक्ट की धारा 12 (1) (सी) में प्रावधान है कि आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के बच्चों को भी निजी शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश दिया जाए। अजय कुमार पटेल की याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डा. डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। याची का कहना है कि सूबे के प्राथमिक स्कूलों में कक्षा एक में 56.53 लाख बच्चे पंजीकृत है। इसका 25 फीसद 6.37 लाख बच्चे होते हैं। मगर मौजूदा समय में करीब 2600 गरीब बच्चों को ही निजी स्कूलों में दाखिला मिलने की जानकारी है।
प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि सरकारी स्कूलों में सीट उपलब्ध न होने पर ही निजी स्कूलों में दाखिला कराया जाए। इसी प्रकार से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चों के लिए यह व्यवस्था लागू ही नहीं की गई है। याचिका पर अब 24 फरवरी को सुनवाई होगी।
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📌 शिक्षा के अधिकार का पालन न होने पर मांगा जवाब : प्रदेश सरकार ने शासनादेश जारी कर सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि सरकारी स्कूलों में सीट उपलब्ध न होने पर ही निजी स्कूलों में दाखिला कराया जाए।
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