मलिन बस्तियों के 90 फीसद बच्चे नहीं जाते स्कूल : इन बस्तियों को लेकर एक चौंकाने वाला सर्वेक्षण आया सामने
इलाहाबाद । अक्सर आपकी निगाह नए और पुराने यमुना पुल के बीच बसी मलिन बस्तियों पर पड़ती होगी। इन बस्तियों को लेकर एक हैरतअंगेज सर्वेक्षण सामने आया है। बस्ती के 400 बच्चों में से महज सौ बच्चे ही स्कूल जा पाते हैं। मतलब नब्बे फीसद बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। यही नहीं, इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने से पहले ही मंडल के मुखिया यानी कमिश्नर ने इस सच्चाई पर अपनी मुहर लगा दी थी। उन्होंने बीते दिनों यह स्वीकार किया था की मंडल के अधिकांश स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बेहद कम है। यह सर्वेक्षण इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों की संस्था ‘एक पहल शिक्षा समिति’ की ओर से किया गया है।
सर्वेक्षण में पुराने यमुना पुल के आस-पास बसी मलिन बस्तियों में डोर टू डोर जाकर लोगों से पूछताछ की। डेढ़ सौ से अधिक झुग्गियों में करीब चार सौ बच्चे मिले। चौंकाने वाला पहलू तब सामने आया जब चार सौ में से तीन सौ बच्चों के स्कूल न जाने की बात स्पष्ट हुई। यही नहीं इन बच्चों के परिजनों को सरकार की किसी भी योजना की जानकारी तक नहीं है। खैर, कमिश्नर ने पिछले दिनों प्रेस वार्ता में खुद ही इस बात को स्वीकार किया था कि मंडल के स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बेहद कम है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर प्रशासन और सरकार कर क्या रही है।
एक पहल शिक्षा समिति के सचिव विवेक दुबे बताते हैं कि सर्वेक्षण के बाद समिति ने मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों के साथ बैठक कर बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा बस्ती के कुछ शिक्षित युवकों के हाथ दिया है। इसके साथ ही मलिन बस्ती में रहने वाली महिलाओं को भी पढ़ाने का काम किया जाएगा। बच्चों को पढ़ाने वाले युवक और युवती को प्रतिमाह के हिसाब से खर्च भी दिया जाएगा।
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