बच्चों को हफ्ते में एक दिन मिड डे मील में मिलेंगे फल : 3 रुपये प्रति बच्चा प्रति सप्ताह फलों पर खर्च होगा नए सत्र से स्कूलों में मिड डे मील के साथ होगा फल वितरण
🌑 3 रुपये प्रति बच्चा प्रति सप्ताह फलों पर खर्च होगा
🌑 200 करोड़ रुपये बजट मिला फलों के वितरण के लिए
🌑 1.98 करोड़ बच्चे हैं प्राइमरी/अपर प्राइमरी स्कूलों में
🌑 1.80 लाख प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं प्रदेश में
लखनऊ : सरकारी स्कूलों में बच्चों को हफ्ते में एक दिन फल दिए जाएंगे। फलों के लिए प्रति बच्चा तीन रुपये की धनराशि तय की गई है। इसमें कौन सा मौसमी फल दिया जाएगा, यह स्कूल स्तर पर तय किया जाएगा। बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान होने के साथ ही मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। फलों का वितरण नए सत्र से किया जाएगा।
सीएम ने किया था एलान
एमडीएम में बच्चों की उपस्थिति देखी जाए तो, आधे बच्चे ही भोजन करते हैं। ऐसे में स्कूलों को मिलने वाली यह धनराशि प्रति बच्चा छह रुपया हो जाती है। विभाग की ओर से धनराशि तीन रुपये तय हो जाएगी तो वे बच्चों को उतने के ही फल देंगे। ऐसे में धनराशि में हेर-फेर की गुंजाइश और ज्यादा है। वहीं ये दाम फुटकर के रेट के हिसाब से तय किए गए हैं। जबकि मंडी से और सैकड़ों बच्चों के लिए इकट्ठा फल खरीदने पर एक-डेढ़ रुपये का फल पड़ेगा। ऐसे में मॉनीटरिंग बहुत जरूरी होगी। एमडीएम में पहले ही शिकायतें आती हैं। ठीक से मॉनीटरिंग न की गई तो इसमें और ज्यादा बंदरबांट की गुंजाइश है। फलों की क्वालिटी पर भी ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बच्चों को मिड डे मील में दूध के साथ फल भी दिए जाने का ऐलान किया था। उसके बाद प्रदेश सरकार ने फल वितरण के लिए बजट का प्रस्ताव मांगा। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने 200 करोड़ रुपये का बजट सरकार से मांगा था। सरकार ने बजट का यह प्रावधान कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि तीन रुपये में एक केला, अमरूद या कोई अन्य फल आ सकता है। सरकारी स्कूलों में कुल 1.98 करोड़ बच्चे हैं। हफ्ते में एक दिन फल दिए जाने हैं। ऐसे में महीने में चार या पांच बार फल दिए जाएंगे। गर्मियों की छुट्टी और किसी दिन फल वितरण के दिन अन्य अवकाश होने सहित सभी आंकलन करके यह हिसाब लगाया गया है कि हफ्ते में एक दिन प्रति बच्चा तीन रुपये फल वितरण पर खर्च किए जा सकते हैं।
तीन रुपये इस हिसाब से तय किए गए हैं, जिसमें कम से कम एक फल खरीदा जा सके। फलों का वितरण नए सत्र में बजट मिलने के बाद किया जाएगा। मौसमी फलों का चयन स्कूल स्तर पर होगा।
-श्रद्धा मिश्रा, डायरेक्टर एमडीएम
सरकार की यह योजना अच्छी है, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है। बच्चों तक इसका वास्तविक लाभ पहुंचना चाहिए और फलों की क्वालिटी पर भी चेक रखना जरूरी होगा।
-विनय कुमार सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन
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📌 बच्चों को हफ्ते में एक दिन मिड डे मील में मिलेंगे फल : 3 रुपये प्रति बच्चा प्रति सप्ताह फलों पर खर्च होगा नए सत्र से स्कूलों में मिड डे मील के साथ होगा फल वितरण
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