डी-वॉर्मिंग डे पर एल्बेंडाजोल खिलाने से सैकड़ों बच्चे बीमार : 2015 में 12 राज्यों के 4.70 लाख स्कूलों में आठ करोड़ बच्चों को दवा खिलाई गई थी, 10 फरवरी को इन राज्यों में फिर से बच्चों को दवा खिलाई गई
नई दिल्ली : डी-वार्मिंग डे पर बुधवार को कृमिनाशक दवा (एल्बेंडाजोल) खिलाने से देशभर में सैकड़ों बच्चे बीमार हो गए। अकेले बिहार में करीब 400 बच्चों की दवा खाने के बाद तबीयत खराब हो गई। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से भी बच्चों की तबीयत खराब होने की खबरें दिनभर आती रहीं। इनमें से कई बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
बिहार : अकेले नालंदा में 300 छात्र बीमार
राज्य के सभी जिलों में स्थित स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर बुधवार को बच्चों को एल्बेंडाजोल दवा खिलाई गई। इसकी वजह से नालंदा जिले में सबसे अधिक 300 बच्चों की तबीयत खराब होने की रिपोर्ट आई है। नालंदा के मघड़ा मध्य विद्यालय में करीब 150, बड़ी पहाड़ी हाई स्कूल में 60 तथा छोटी पहाड़ी मिडिल स्कूल में 72 बच्चे दवा खाने से बीमार पड़ गए। इनमें से अधिकतर बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। लेकिन कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। सीतामढ़ी जिले के परिहार में 40 बच्चे बीमार हो गए, जबकि सीवान में पांच और किशनगंज में तीन बच्चे बेहोश हो गए। बच्चों और अभिभावकों ने बताया कि दवा खाने के आधा घंटे बाद चक्कर आने लगे और उल्टियां होने लगीं। कई बच्चे बेहोश भी होने लगे।
उत्तराखंड: खटीमा में 16 बच्चे अस्पताल में भर्ती
उत्तराखंड के कई इलाकों से भी एल्बेंडाजोल दवा खिलाने के बाद बच्चों के बीमार होने की खबरें आई। हालांकि चिकित्सकों ने बताया कि कि कई बच्चों को प्राथमिक उपचार देकर छुट्टी दे दी गई। अधिकारियों के मुताबिक, खटीमा के राजकीय इंटर कॉलेज में दवा खाने से 25 छात्रों की तबीयत बिगड़ गई। सूचना मिलने पर एसडीएम ऋचा सिंह और नानकमत्ता के विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा ने स्वयं स्थिति का जायजा लिया। खबर लिखे जाने तक 16 छात्र खटीमा के सामुदायिक केंद्र में भर्ती थे। एसडीएम ने बताया कि ब्लॉक के सभी स्कूलों में दवा पिलाई गई, लेकिन बग्गा चौवन इलाके में ही ऐसा मामला सामने आया। इसके मद्देनजर दवा के सैंपल को जांच के लिए भेज दिया गया है।
उत्तर प्रदेश : आगरा में प्राथमिक उपचार के बाद छात्रों को छुट्टी
उत्तर प्रदेश में भी दवा पिलाने के बाद छात्रों की तबीयत खराब होने की रिपोर्टें दर्ज की गईं। आगरा जिले के फतेबाद ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय में दवा खाने से आधा दर्जन छात्र बीमार पड़ गए। छात्रों ने पेट में दर्द की शिकायत की। थोड़ी देर बाद कई छात्रों को उल्टियां होने लगीं। छात्रों की हालत देख शिक्षकों ने आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम एंबुलेंस लेकर स्कूल पहुंची। चिकित्सकों ने स्कूल पहुंचते ही बच्चों का उपचार शुरू कर दिया।
राजस्थान-हरियाणा में भी बच्चे बीमार पड़े
राजस्थान के बीकानेर जिले के स्कूलों में कृमिनाशक दवा पिलाने से करीब 67 बच्चों की तबीयत खराब हो गई। कई छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 45 छात्र चिड़ावा और 22 छात्राएं रतनगढ़ की हैं। दवा पीने के बाद सूरजगढ़ क्षेत्र के अड़ूका गांव के एमडी स्कूल के 40 और अंबेडकर स्कूल के पांच छात्रों ने जी घबराने और उल्टी आने की शिकायत की। इसके बाद उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। करीब 20 बच्चों को ग्लूकोज चढ़ाना पड़ा। रतनगढ़ के संचियालाल वैद्य बालिका माध्यमिक विद्यालय में भी 22 छात्राओं ने तबीयत खराब होने की शिकायत की। हालांकि, सभी को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। उधर, हरियाणा के सोनीपत स्थित एक स्कूल में भी 16 छात्रों के बीमार होने की खबर है।
उत्तराखंड के लक्सर में दिखी लापरवाही
हरिद्वार की लक्सर पंचायत में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली। यहां के कई स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली कृमिनाशक दवा की बजाय गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली फॉलिक एसिड की गोलियां भेज दी गईं। कई स्कूलों में बच्चों को गलत दवा खिला भी दी गई। हालांकि बाद में गलती का पता चलने के बाद दवा बदलवाई गई। लक्सर में शिक्षा विभाग ने केवी इंटर कॉलेज सहित कई स्कूलों में एल्बेंडाजोल की बजाय फॉलिक एसिड की गोलियां भेज दीं। हालांकि लक्सर के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल वर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग की गलती से ऐसा हुआ। लेकिन फॉलिक एसिड नुकसानदायक नहीं है।
15 फरवरी को फिर दी जाएगी दवा
- 2015 में 12 राज्यों के 4.70 लाख स्कूलों में आठ करोड़ बच्चों को दवा खिलाई गई थी
- 10 फरवरी को इन राज्यों में फिर से बच्चों को दवा खिलाई गई
- 15 फरवरी को उन बच्चों को दवा दी जाएगी, जो 10 फरवरी को छूट गए थे
- 100 फीसदी बच्चों को इस योजना के तहत दवा खिलाने का लक्ष्य है
क्यों खिलाई जाती है दवा
बच्चों के पेट में कीड़ों के संक्रमण की समस्या आम है। पानी आदि के जरिये कीड़े पेट में जाकर आंत में चिपक जाते हैं, जिससे बच्चे खून की कमी के शिकार हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 14 साल तक के बच्चों को इसका सबसे अधिक खतरा रहता है। 22 करोड़ बच्चे हर साल कृमि संक्रमण से पीड़ित होते हैं।
दुष्प्रभाव से घबराने की जरूरत नहीं
एल्बेंडाजोल की दवा खाने से चक्कर आना, ठंड लगने या कभी-कभी पेट खराब होने की शिकायत हो सकती है। लेकिन ये दुष्प्रभाव कुछ समय बाद खुद ठीक हो जाते हैं। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इस तरह के दुष्प्रभाव आयरन की गोली खाने पर भी देखने को मिलते हैं। यदि कृमि किसी मरीज के दिमाग में चला जाए तो यह दवा उसे मार देती है। लेकिन मरीज के बेहोश होने का खतरा रहता है, पर ऐसा दुर्लभ ही होता है।
- प्रोफेसर दिनेश कुमार यादव, बाल रोग विशेषज्ञ, राममनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली
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