7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने को मांगी 50% मदद
लखनऊ। उत्तर प्रदेश ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए केंद्र सरकार के सामने 50 फीसदी राशि की मांग रख दी है। दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ शनिवार को हुई बजट पूर्र्व बैठक में राज्य सरकार की ओर से यह मांग रखी गई। बैठक में प्रदेश की नुमाइंदगी राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र वाजपेयी ने की।
वाजपेयी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से सातवें वेतन आयोग की संभावित वेतन व पेंशन पुनरीक्षण की सिफारिशों की ओर वित्त मंत्री जेटली का ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें भविष्य में लागू करनी होंगी। इससे राज्य के खर्च में भारी वृद्धि होगी। ऐसे में राज्य के विकास के लिए पूंजी और कम पड़ जाएगी। इसे देखते हुए केंद्र को वेतन आयोग की सिफारिशें लागू किए जाने के शुरुआती वर्षों में प्रदेश पर आने वाले खर्च के 50 प्रतिशत हिस्से की मदद करनी चाहिए।
√राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में यूपी ने वित्त मंत्री जेटली के सामने रखी मांगें
√ केंद्रीय वित्त मंत्री की बजट पूर्व बैठक में प्रदेश की ओर से उठाए गए अहम मामले
ऋण सीमा 3.5 % की जाए:-
14वें वित्त आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा गया कि राज्यों की ऋ ण सीमा, जीएसडीपी के 3 प्रतिशत की सीमा के अंतर्गत ही तय की गई है। इसमें कुछ शर्तों के साथ 0.50 प्रतिशत की शिथिलता दी गई, पर केंद्र कृषि, शिक्षा तथा चिकित्सा व स्वास्थ्य के साथ-साथ अन्य सामाजिक क्षेत्रों में अधिक निवेश पर बल दे रहा है। ऐसे में राज्य की ऋण सीमा की छूट बिना शर्त 3.50 प्रतिशत की जाए।
केंद्र करे नुकसान की भरपाई :
यूपी की ओर से कहा गया कि केंद्रीय सहायता वाली योजनाओं को लेकर गठित उपसमिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट पर प्रदेश सरकार ने शर्त के साथ सैद्धांतिक सहमति दी थी। केंद्र को प्रदेश में केंद्र सहायतित परियोजनाओं के केंद्रांश में जो नुकसान हो रहा है, उसकी किसी अन्य रूप में भरपाई की जानी चाहिए।
साभार : अमरउजाला
यूपी सरकार ने प्रदेश में कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए केंद्र सरकार से इस पर होने वाले खर्च के 50 फीसदी धन की मांग की है। माना जा रहा है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर राज्य सरकार को 20 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा, लिहाजा सरकार ने केंद्रीय बजट में 10 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम मांगी है।
इसी के साथ लखनऊ, नोएडा व गाजियाबाद में मेट्रो निर्माण चल रहा है, जबकि वाराणसी और कानपुर में मेट्रो चलाने के लिए भी धन की मांग की गई है।
यह मांग शनिवार को दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व बैठक में यूपी सरकार ने की। इस मांग को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रतिनिधि के रूप में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेई ने रखा। सरकार की ओर से कहा गया कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी जा चुकी है। संभवत: सातवां वेतन और पेंशन पुनरीक्षण पहली जनवरी 2016 से लागू किया जाना है। यूपी सरकार को भविष्य में इसे लागू करना होगा। जिससे राज्य के खर्च में व्यापक वृद्धि होगी। इससे राज्य के विकास के लिए जरूरी धनराशि घट जाएगी। ऐसी परिस्थितियों में केंद्र को यूपी को सातवें वेतन पर आने वाला आधा खर्च देना चाहिए।
एक्सप्रेस वे के लिए दें 18 हजार करोड़
बाजपेई ने मुख्यमंत्री का बयान पढ़ते हुए लखनऊ-बलिया पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिए भी पांच हजार करोड़ की आर्थिक मदद देने की मांग की। इस एक्सप्रेस वे के निर्माण पर 18 हजार करोड़ का खर्च अनुमानित है। मुख्यमंत्री ने यूपी के तेजी से विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं, एक्सप्रेस वे के निर्माण, औद्योगिक विकास, कृषि, सिंचाई, प्राकृतिक आपदा आदि के लिए केंद्र सरकार से ज्यादा से ज्यादा आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, इसलिए यूपी के विकास के बिना देश का विकास संभव नही है।
बुंदेलखण्ड के लिए 325 करोड़ पर्याप्त नहीं
मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड की समस्याओं के समाधान के लिए 325 करोड़ रुपए पर्याप्त नही हैं, वहां की समस्याओं के समाधान व सिंचाई सुविधाओं, पेयजल के काम, जल प्रबंधन व सड़कों के निर्माण के लिए विशेष पैकेज दिया जाए। उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग द्वारा विभाज्य पूल को 32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी किए जाने की सिफारिश को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन केंद्र सहायता से चल रही योजनाओं के स्वरूप में व्यापक बदलाव किया गया है। राज्यों के हिस्से में यूपी का हिस्सा 19.677 फीसदी से घटकर 17.959 हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की मदद से सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना, बाण सागर नगर परियोजना और मध्य गंगा नहर परियोजना चल रही हैं। लेकिन केंद्र द्वारा अपने हिस्से की धनराशि अभी तक नहीं दिए जाने से ये परियोजनाएं अधूरी हैं। इसलिए इनका धन जल्द से जल्द मुक्त किया जाए। खासतौर से सरयू नहर परियोजना पिछले 35 साल से पूरी नहीं हो पा रही है जिससे नौ जिलों की सिंचाई होनी है।
यूपी ने और भी मांगी केंद्र से मदद
- लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 1500 करोड़ दिए जाएं।
- 5,842 नई अदालतें खोली जानी हैं, इनके लिए आधा खर्च दिया जाए।
- गंगा व अन्य नदियों को प्रदूषण रहित करने के लिए भी मदद दी जाए।
- सर्व शिक्षा अभियान का 3,600 करोड़, आईसीडीएस के प्रशासनिक खर्च और पुष्टाहार की बकाया धनराशि दी जाए।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का बकाया 382 करोड़ रुपए दिया जाए।
- सूखे और ओलावृष्टि से 7500 करोड़ की हानि हुई है, जबकि केंद्र से 2801 करोड़ रुपए ही मिला है। अधिक धनराशि दी जाए।
- जीएसटी लागू करने के लिए केंद्रीय बिक्री कर में कमी की गई। इसकी भरपाई के लिए करीब 2700 करोड़ रुपए दिया जाए।
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