शिक्षा सत्र जुलाई से ही शुरू हो, विचार करेगी सरकार : टाट-पट्टी नहीं, कुर्सी-मेज पर बैठेंगे बच्चे, शिक्षक दल ने विधान परिषद में शिक्षा सत्र को जुलाई के बजाय 1 अप्रैल से 31 मार्च तक करने की आलोचना की।
लखनऊ (ब्यूरो)। शिक्षक दल ने विधान परिषद में शिक्षा सत्र को जुलाई के बजाय 1 अप्रैल से 31 मार्च तक करने की आलोचना की। कहा कि इससे तमाम कठिनाइयां आ रही हैं। खास तौर से माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्रों का काफी नुकसान हुआ। शिक्षा सत्र बदलने और चुनाव कार्यों में शिक्षकों की व्यस्तता से पढ़ाई के लिए 105 कार्यदिवस ही मिल पाए।
नियमानुसार, 220 दिन पढ़ाई होनी चाहिए। शिक्षक दल के सदस्यों ने सरकार से मांग की कि शिक्षा सत्र को पूर्ववत 1 जुलाई से 30 जून तक किया जाए। साथ ही शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी न लगाई जाए। नेता सदन ने कहा, शिक्षा सत्र के पुराने पैटर्न पर विचार कर लिया जाएगा।
शिक्षक दल के ध्रुवकुमार त्रिपाठी और जगवीर किशोर जैन ने कहा, सत्र बदलने से पहले अधिकारियों को शिक्षकों से भी राय-मशविरा करना चाहिए था, पर ऐसा नहीं किया गया। नतीजतन फसलों की कटाई में व्यस्तता के चलते विद्यालयों में प्रवेश का काम समय से नहीं हो पाया। विद्यालयों में प्रवेश की तारीख बढ़ाकर 31 अगस्त करनी पड़ी।
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📌 शिक्षा सत्र जुलाई से ही शुरू हो, विचार करेगी सरकार : टाट-पट्टी नहीं, कुर्सी-मेज पर बैठेंगे बच्चे, शिक्षक दल ने विधान परिषद में शिक्षा सत्र को जुलाई के बजाय 1 अप्रैल से 31 मार्च तक करने की आलोचना की।
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