मीना की दुनिया (Meena Ki Duniya) - रेडियो प्रसारण, एपिसोड - 66 । कहानी का शीर्षक - “पीपल का साया”
मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-66
दिनांक-29/01/2016
आकाशवाणी केन्द्र - लखनऊ,
समय - 11:15 से 11:30 तक
आज की कहानी का शीर्षक- “पीपल का साया”
मीना और उसके दोस्त खो-खो का मैच हार जाने के कारण उदास बैठे हैं| वे आपस में बात करते हैं कि अगर मोनू होता तो वे मैच नहीं हारते| वे सब मोनू के न आने का कारण पता करने के लिए उसके घर की तरफ जाते हैं| जब वे सब उसके घर के पास पहुंचते हैं तो वहां से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं| तभी वे देखते हैं कि माँ हाथ में एक छडी लिए आती है और ‘झाड़ू बाबा, झाड़ू बाबा जल्दी भूत भगाओ’ कहते हुए जमीन पर छड़ी से एक लाइन खींचती हैं तथा बच्चों को वहां से जाने की ओर लाइन न पार करने की हिदायत देती हैं|
दीपू- कुछ गड़बड़ लगती है|
सभी बच्चे वहां से यह कहकर लौटते हैं कि कल जब मोनू स्कूल आएगा तो उसी से पूँछ लेगें|
अगले दिन भी मोनू स्कूल नही आया| इसलिए मीना और उसके दोस्त फिर से उसके घर की तरफ गए| मोनू के घर के पिछवाड़े के बहुत ज्यादा धुआँ उठ रहा है| सब बच्चे उस तरफ बढ़ जाते हैं| बच्चे देखते हैं कि ढोंगी बाबा मंत्र बोलते हुए आग में पत्ते डाल रहा है और उसके पास खड़ा मोनू काँप रहा है| सभी बच्चे डर कर वापस जाने के लिए मुड़ते हैं....तभी उनके पीछे खडी मोनू की माँ ने उन्हें झिड़का, ‘...तुमने वो लकीर पार क्यों की?तुम्हें यहाँ आने से मना किया था न|अब जाओ सब जल्दी से एक-एक मुठ्ठी चावल लेकर आओ, वरना वो भूत तुम्हें भी पकड़ लेगा|
मीना- सब ठीक तो है न चाची|
मोनू की माँ- क्या बताऊँ मीना बेटी, परसों शाम को मोनू बुरी तरह काँपता हुआ घर आया.....शरीर में जैसे जान ही नहीं थी, चेहरा बिलकुल सफेद| जब मैंने पूँछा कि कहाँ से आ रहा है तो बोला कि माँ मैं पीपल के पेड़ के पास खेल रहा था| बस वहीँ पीपल के भूत ने उसको पकड़ लिया|
मीना- क्या पीपल के पेड़ पर सचमुच कोई भूत है चाची?
मोनू की माँ- और नहीं तो क्या?याद नहीं वो रमेश उसे भी तो इसी पीपल के भूत ने पकड़ा था| उसका भूत भी झाड़ू बाबा ने उतारा था|अब जाओ तुम लोग भी एक-एक मुठ्ठी चावल लाओ|
मीना- लेकिन चाची, हमारी बहिन जी ने बताया था कि भूत वगैरह बेकार की बातें हैं|
“अच्छा तेरी बहिन जी को ज्यादा पता है और ये जो झाड़ू बाबा हवन कर रहे हैं, ये भी बेकार है? बोल!” मोनू की माँ ने डपटा|
तभी मोनू कांपते-कांपते बेहोश होकर गिर जाता है| उसकी माँ रोंर लगती है| मिली डरते हुए घर से एक-एक मुठ्ठी चावल लाने की बात कहती है| लेकिन मीना कहती है, “ मोनू को इस समय चावल से ज्यादा नर्स बहिन जी की जरूरत है|’’
बच्चे नर्स बहिन जी को लेकर मोनू के घर पहुंचते हैं|
उन सब को देखकर मोनू की माँ रोते हुए कहती है, ‘उन बच्चों ने सब गड़बड़ कर दी, अब मेरा मोनू कभी ठीक नहीं होगा| झाड़ू बाबा ने कहा था कि अगर कोई भी यहाँ बिना चावल के आया तो भूत फिर से मोनू को पकड़ लेगा|’
नर्स बहिन जी मोनू को देखकर कहती हैं, ‘ये काम भूत का नहीं, मलेरिया के मच्छरों का है क्योंकि ये सारे लक्षण मलेरिया के हैं|’
नर्स बहिन जी मोनू की माँ समझाती हैं, ‘घर में कोई भी बीमार हो तो सबसे पहले डॉक्टर दीदी या एएनएम बहिन जी के पास जाना चाहिए, न कि झाड़ू बाबा जैसे लोगों के पास| आप जल्दी से मोनू का इलाज शुरु करवाएं क्योंकि मलेरिया जानलेवा भी हो सकता है|
मोनू की माँ, बच्चों को उनकी आँखें खोलने के लिए शुक्रिया कहती है|
....और फिर एक महीने बाद दुबारा खो-खो का खेल होता है और मीना की टीम मोनू के कारण जीत जाती है|
मीना,मिठ्ठू की कविता-
“ध्यान से सुन ले बात ये मान, सेहत की कीमत पहचान|
खूब हिफाजत करना इसकी नीम हकीम खाते में जान ||”
आज का गाना-
लिख के रख लो बात ये मेरी रोज याद करना|
अपनी सेहत से समझौता कभी नहीं करना||-२
सुबह हो गयी खटिया छोडो,अब तुम फिर चद्दर न ओढो |
उठो फटाफट, बाहर जाके खेलो कूदो भागो दौड़ो|
बात हो सेहत की तो फिर न पीछे हटना|
बात हो सेहत की आँखें बंद नहीं करना|
अपनी सेहत ..................................
अच्छा खाना अच्छा पीना, सेहत सिखलाती है जीना|
असली-नकली को पहचानो, बोला मिठ्ठू बोली मीना|
नीम हकीम है जान का खतरा,हाँ इनसे डरना|
नीम हकीमों के चक्कर में कभी नहीं पड़ना|
अपनी सेहत....................................
सेहत अपनी दौलत,सेहत अपनी ताकत |
सेहत नहीं तो कुछ भी नहीं है,इसकी करो हिफाजत|
अपनी सेहत...................................|
आज का खेल- ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’
“चार पैर होते हैं इसके,
आड़े तिरछे बाल हैं इसके|
बैठना हो तो इसे लिटाओ,
नींद नही आये बिन इसके|”
आज की कहानी का सन्देश-
‘प्रदूषण और अशिक्षा, फैलाये बीमारी और अन्धकार|
नहीं होगा बोध जब इसका,तभी चमकेगा नीम-हकीम का व्यापार||’’
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