प्रदेश के 90 फीसदी स्कूल बंद कर शिक्षा व्यवस्था सुधारने की तैयारी : योजना के मुताबिक प्रदेश के एक लाख 8 हजार स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा।
भोपाल। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और संसाधनों की कमी दूर करने के लिए शिक्षा विभाग 90 फीसदी स्कूल बंद कर व्यवस्था सुधारने की योजना पर काम कर रहा है। योजना के मुताबिक प्रदेश के एक लाख बीस हजार सरकारी स्कूलों में से एक लाख 8 हजार स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा। इन बंद होने वाले स्कूलों के शिक्षकों और विकास मद की राशि से बाकी बचे 12 हजार स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। विभाग का मानना है दर्जनों स्कूल के बजाए एक स्कूल ऐसा हो जिसमें सभी सुविधाएं हों और शिक्षकों की कमी भी न हो।
इस व्यवस्था को लागू करने से हर तीन-तीन किलोमीटर के छोटे-बड़े स्कूलों की जगह 15 किलोमीटर के दायरे में (मतलब 15 किलोमीटर के बीच में, जिससे हर गांव से स्कूल की दूरी साढ़े सात किलोमीटर रहेगी) एक सर्वसुविधा युक्त हायर सेकंडरी स्कूल होगा। सात किलोमीटर बच्चों को पैदल न चलने पड़े, इसके लिए निशुल्क अनुबंधित बसें चलाईं जाएंगी। बसों का खर्च निकालने के लिए स्कूलों में साइकिल देने की योजना को बंद करने का प्रस्ताव है।
प्रयोग के तौर पर इस योजना को भोपाल संभाग के 5 जिलों में लागू किया जाएगा। योजना सफल हुई तो फिर पूरे प्रदेश में लागू करने पर मुख्यमंत्री ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। हालांकि यह योजना दिग्विजय सरकार की शिक्षा गारंटी योजना (ईजीएस) के ठीक विपरीत है। इसके तहत हर एक किलोमीटर पर प्रायमरी और हर तीन किलोमीटर पर मिडिल स्कूल खोला गया था। इस योजना का मकसद हर बच्चे की पहुंच में स्कूल लाना था।
दो साल तक फीडबैक के बाद पूरे प्रदेश में
शिक्षा विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक प्रायोगिक तौर पर भोपाल संभाग के पांच जिले भोपाल, रायसेन, विदिशा, सीहोर और राजगढ़ में योजना शुरू होगी। दो साल बाद योजना का फीडबैक लिया जाएगा। इसके बाद पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी। वर्तमान में भोपाल संभाग में 11,896 सरकारी स्कूल हैं। जिनकी संख्या डेढ़ हजार बचेगी। एक रूट की बसों को अधिकतम छह गांव के बच्चों को लेना होगा।
अभी ये है नियम
वर्तमान में हर एक किमी पर प्राइमरी, तीन किमी पर मिडिल, पांच किमी पर हाईस्कूल और 8 किमी पर हायर सेकंडरी खोले जा रहे हैं।
यह फायदे होंगे
- एक ब्लॉक में 120 से 400 तक स्कूल हैं। नई योजना में ब्लॉक में 15 से 40 तक स्कूल रह जाएंगे। शेष स्कूलों के बच्चों के साथ शिक्षक भी नए स्कूल में शिफ्ट हो जाएंगे। शिक्षकों की कमी दूर होगी और पढ़ाई का स्तर सुधरेगा
- अभी जिला शिक्षा अधिकारी अगर रोज निरीक्षण भी करें तो तीन माह में भी सभी स्कूलों का निरीक्षण नहीं कर सकते, लेकिन कम स्कूल होने से मासिक निरीक्षण आसान होगा।
- शिक्षकों से गैर शिक्षण कार्य भी करवा सकेंगे और पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।
- सरकारी स्कूलों की भी बसें चलेंगी तो बच्चे सरकारी स्कूल के प्रति आकर्षित होंगे।
- स्कूलों के विकास की राशि भी केवल 10 फीसदी स्कूलों में खर्च होगी। इससे स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा।
फैक्ट फाइल
अध्यापक- 2 लाख 50 हजार
संविदा शिक्षक-40 हजार
नियमित सहायक शिक्षक- 2 लाख 75 हजार
स्कूल- 1 लाख 20 हजार
शिक्षकों की कमी-60 हजार
सीएम की अनुमति से लागू करेंगे योजना
प्रस्ताव विचाराधीन है। कुछ और पहलुओं पर विस्तार से चर्चा होनी है। इसके बाद मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा। उनकी अनुमति से ही लागू होगा।
- दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग
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गांव के बच्चे फिर शिक्षा से दूर होंगे
हमने शिक्षा का स्तर सुधारने हर एक किलोमीटर पर स्कूल खोले थे। उद्देश्य था गुणवत्ता युक्त शिक्षा हर बच्चे को उसके घर के नजदीक ही मिले, ताकि वो स्कूल आ सके। हमारे प्रयासों से शिक्षा का स्तर सुधरा भी। वर्तमान सरकार ग्रामीण बच्चों को यह व्यवस्था लागू कर फिर शिक्षा से दूर कर देगी। सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए ऐसा करेगी। यह सरकार का दिवालियापन है।
- इंद्रजीत पटेल, पूर्व शिक्षा मंत्री
योजना का उद्देश्य अच्छा है। पढ़ाई और व्यवस्थाओं का स्तर सुधारने की दृष्टि से भी योजना ठीक है। इसके परिणाम भी अच्छे आएंगे, लेकिन बच्चों की सुरक्षा और सुरक्षित परिवहन पर विचार करना पड़ेगा। इस योजना पर ग्रामीणों का परामर्श भी लेना चाहिए। वे क्या सोचते हैं। क्या चाहते हैं। यह जानना भी जरूरी है। रोडमैप बनाकर प्रकाशित करें और विचार जानें वरना यह योजना भी संकुल व्यवस्था जैसी हो जाएगी।
- प्रो. रमेश दवे, शिक्षाविद्
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