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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

अब मिड-डे-मील में फल भी खाएंगे बच्चे : मुख्यमंत्री की ही इच्छा से शुरू की जा रही इस योजना के लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने 207 करोड़ रुपये का बजट मांगा

अब मिड-डे-मील में फल भी खाएंगे बच्चे : मुख्यमंत्री की ही इच्छा से शुरू की जा रही इस योजना के लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने 207 करोड़ रुपये का बजट मांगा

√2 लाख प्राइमरी स्कूल हैं प्रदेश में और 1.80 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं इन स्कूलों में 

√मुख्यमंत्री की ही इच्छा से शुरू की जा रही इस योजना के लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने 207 करोड़ रुपये का बजट मांगा

लखनऊ । यूपी के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को मिड-डे-मील में अब फल भी मिलेंगे। इसके लिए सरकार बजट में अलग से प्रावधान करने जा रही है। मुख्यमंत्री की ही इच्छा से शुरू की जा रही इस योजना के लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने 207 करोड़ रुपये का बजट मांगा है। देश भर में बच्चों को स्कूलों में मिड डे मील दिया जाता है। राज्य और केंद्र सरकार दोनों इसके लिए अपने-अपने हिस्से का बजट देते हैं। जो कन्वर्जन कॉस्ट मिलती है, उसके आधार पर स्कूलों में हफ्ते भर का मेन्यू पहले से तय है। पिछले साल मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही बच्चों को हफ्ते में एक बार दूध दिया जाता है।


सरकार का यह निर्णय बहुत अच्छा है। फल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होंगे। इससे ग्रामीण परिवेश के बच्चों को भी पौष्टिक तत्व मिलेंगे। 
- विनय कुमार सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन


पिछले महीने मुख्यमंत्री ने यह ऐलान किया था कि हम बच्चों को मिड-डे-मील में फल भी देंगे।जिसके बाद मध्याह्न भोजन प्राधिकरण और बेसिक शिक्षा एवं वित्त विभाग के अफसरों के साथ पिछले दिनों बैठक हुई। इसमें तय हुआ कि कन्वर्जन कॉस्ट काफी कम है। फल वितरण के लिए अलग से बजट की जरूरत होगी। विधानमंडल का बजट सत्र इसी महीने 29 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। इसमें सभी विभाग बजट के प्रस्ताव भेज रहे हैं। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने भी फलों के लिए 207 करोड़ रुपये का बजट मांगा है। अभी यह तय नहीं है कि फल रोजाना दिए जाएंगे या सप्ताह में इसके लिए कोई दिन तय होगा। विभाग के अफसरों का कहना है कि बजट मिलने के बाद इस पर बाद में विचार किया जाएगा। शिक्षक संगठनों ने भी फल दिए जाने का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इसके वितरण में दिक्कत नहीं है और यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

दूध की जगह विकल्प

दूध वितरण में शुरुआत में ही काफी दिक्कतें आई थीं। खासतौर से दूध के स्टोरेज और वितरण में काफी दिक्कत होती है। दूध पीने से बच्चे बीमार पड़ गए थे। खुद अक्षय पात्र का निरीक्षण करने गईं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी ने भी सुझाव दिया था कि दूध में दिक्कत आ रही हो तो फल दीजिए। प्रदेश भर से और भी कई सुझाव आए थे। ऐसे भी बुधवार को दूध वितरण कागजों पर भले हो रहा हो लेकिन ज्यादातर स्कूलों विकल्प बंद है।

एक दिन में बिकेगा 35 हजार कुंतल फल : 

मिड-डे-मील में फल दिए जाने का निर्णय जहां बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर है, वहीं किसानों और फलों के कारोबार को भी बढ़ावा देने वाला है। प्रदेश में कुल 1.75 करोड़ बच्चे हैं। हर बच्चे को 200 ग्राम फल भी दिया जाता है तो एक दिन में 35 हजार कुंतल फलों की जरूरत पड़ेगी। अभी यह बजट पर निर्भर करेगा कि फल रोजाना दिए जाएंगे या दूध की तरह हफ्ते में एक दिन। एक दिन फल देने पर भी प्रदेश में फल उत्पादकों और कारोबारियों को काफी लाभ होगा।

          साभार : एनबीटी

अखिलेश सरकार शुरू करेगी समाजवादी पौष्टिक आहार योजना : बच्चों को मिड-डे मील के साथ मिलेंगे फल

लखनऊ : अगले वित्तीय वर्ष से परिषदीय स्कूलों, अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से संबद्ध प्राइमरी स्कूलों, अनुदानित जूनियर हाईस्कूलों और मदरसों के छात्रों को मिड-डे मील के साथ हफ्ते में एक दिन ताजा मौसमी फल भी उपलब्ध कराए जाएंगे। अपनी इस मंशा को अमली जामा पहनाने के लिए अखिलेश सरकार समाजवादी पौष्टिक आहार योजना शुरू करने जा रही है जिसका एलान वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में होगा।

यह योजना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहल पर शुरू की जा रही है। मंशा है कि बच्चों को फलों के रूप में पौष्टिक भोज्य तत्व सुलभ कराया जाए। मध्याह्न् भोजन प्राधिकरण ने इस बाबत शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। प्रस्ताव के तहत बच्चों को हफ्ते में एक दिन ताजा मौसमी फल और अतिरिक्त पोषाहार मुहैया कराने का इरादा है। फल वितरण के लिए प्रति बच्चा तीन रुपये की दर प्रस्तावित की गई है। इस योजना को अगले वर्ष के बजट में नई मांग के रूप में शामिल करने के लिए बेसिक शिक्षा महकमे की ओर से वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।

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  1. 📌 अब मिड-डे-मील में फल भी खाएंगे बच्चे : मुख्यमंत्री की ही इच्छा से शुरू की जा रही इस योजना के लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने 207 करोड़ रुपये का बजट मांगा
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