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एक छत के नीचे 'प्राइमरी का मास्टर' से जुड़ी शिक्षा विभाग की समस्त सूचनाएं एक साथ

पास धेला नहीं, कैसे लें इम्तिहान : बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन को हकीकत का हवाला देकर मांगे 18.75 करोड़ रुपये

पास धेला नहीं, कैसे लें इम्तिहान : बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन को हकीकत का हवाला देकर मांगे 18.75 करोड़ रुपये

√बेसिक शिक्षा विभाग ने शासन को हकीकत का हवाला देकर मांगे 18.75 करोड़ रुपये

√राज्य सरकार ने फरवरी-मार्च में पहली से आठवीं तक की परीक्षाएं कराने का दिया आदेश

√15 दिन में बजट न मिला तो समय से नहीं हो सकेंगी परीक्षाएं

लखनऊ। बेसिक स्कूलों में इम्तिहान लेने का फरमान तो जारी कर दिया गया, मगर इस मद में शिक्षा विभाग के पास एक नया पैसा नहीं है। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने शासन के सामने पूरी स्थिति रखते हुए 18.75 करोड़ रुपये का बजट मांगा है। अगर जनवरी के पहले पखवाड़े में ही यह रकम नहीं मिली तो तय समय पर परीक्षाएं करा पाना मुश्किल होगा।

राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों की परीक्षाएं लेने का फैसला किया है। पिछले चार साल से इन विद्यार्थियों की परीक्षा नहीं ली जा रही थी। ये परीक्षाएं फरवरी-मार्च में लेने की घोषणा तो कर दी गई, मगर बेसिक शिक्षा विभाग को इसके लिए अभी तक कोई बजट नहीं दिया गया है।

विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रदेश में 1 लाख 12 हजार 747 प्राइमरी स्कूल और 45,649 जूनियर हाईस्कूल हैं। इनमें 191.51 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। इनकी परीक्षाएं कराने के लिए कम से कम 191.51 लाख उत्तर पुस्तिकाओं और इतने ही पर्चों का इंतजाम करना होगा। इसके लिए विभाग को 18.75 करोड़ रुपये की जरूरत है। डिमांड शासन को भेजी जा चुकी है, मगर अभी तक बजट के बाबत कोई निर्णय नहीं किया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिला स्तर पर भी उत्तर पुस्तिकाओं और पर्चों का इंतजाम करने के लिए कम से कम एक महीने का समय चाहिए। फरवरी-मार्च में परीक्षाएं तभी हो पाएंगी, जब इस मद में बजट जनवरी के पहले पखवाड़े में ही स्वीकृत कर दिया जाए।

बचत राशि के इस्तेमाल की इजाजत मिले तो चले काम

सूत्रों के मुताबिक, बेसिक शिक्षा विभाग में कई मद ऐसे हैं, जिनमें दिए गए बजट का पूरा उपयोग नहीं हो पाया है। अगर शासन इस बचत को इस्तेमाल की अनुमति दे दे तो परीक्षाएं कराने के लिए जरूरी रकम का आसानी से इंतजाम हो जाएगा।

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